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विधायक सरयू राय ने लिखा सीएम हेमंत सोरेन को पत्र, पुलिस की कार्यशैली पर खड़े किए सवाल

विधायक सरयू राय ने राज्य की पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र भेजा है. पत्र पर जिक्र किया गया है कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान कथित तौर पर उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी.

MLA Saryu Rai wrote a letter to Hemant Soren, Saryu Rai questions on functioning of Jharkhand Police, विधायक सरयू राय ने लिखा हेमंत सोरेन को पत्र, सरयू राय ने झारखंड पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवाल
विधायक सरयू राय
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Published : May 14, 2020, 6:32 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा में निर्दलीय विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को विधानसभा चुनाव में हराने वाले सरयू राय ने राज्य की पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. इस बाबत उन्होंने गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र भेजा है. जिसमें इस बात का जिक्र है कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान कथित तौर पर उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी. राय ने कहा कि इस बाबत उन्होंने 1 मई को डीजीपी को भी पत्र भेजा था, लेकिन अभी तक उस पर कोई जानकारी हासिल नहीं हो पाई है.

जांच की मांग

सरयू राय ने कहा कि उनके पत्र के आलोक में एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया जाए और पूरे मामले की जांच कराई जाए. डीजीपी को भेजे गए पत्र में राय ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें इस बात की शंका है कि उनकी गतिविधियों के ऊपर नजर रखी जा रही है.

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सरयू राय ने पत्र लिखकर की है जांच की मांग

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में राय ने कहा कि डीजीपी को 1 मई 2020 को पत्र के माध्यम से इन सभी चीजों के बारे में बताया गया था और उनकी जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह भी किया गया, ताकि झारखंड पुलिस का चेहरा साफ हो सके. उन्होंने कहा कि इस बारे में पुलिस ने अब तक पर्याप्त सूचना संग्रह कर ली होगी और इस बारे में एसआईटी गठित करें. उन्होंने कहा कि सरकार में शीर्ष पद पर आसीन व्यक्ति की इजाजत के बिना ऐसा कुकृत्य को अंजाम देने की हिम्मत किसी वरीय पुलिस पदाधिकारी की नहीं होगी. उन्होंने कहा कि इस तरह यह मामला केवल विशेष शाखा के अधिकारी तक ही सीमित नहीं होगा. तत्कालीन डीजीपी सचिव और अधिकारियों की जानकारी के बिना नहीं हुआ होगा.

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'गतिविधियों पर स्पेशल ब्रांच की नजर रहती है'
प्रदेश के पुलिस आरक्षी महानिरीक्षक को पत्र लिखकर आशंका जताई है कि उनकी गतिविधियों के ऊपर स्पेशल ब्रांच की नजर रहती है. उन्होंने 2017 में हुई साहिबगंज जिले में एक घटना का जिक्र करते हुए इस बात का उल्लेख किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि 2018 में राजभवन के बाहर भी उनके साथ ऐसा ही हुआ था और दोनों ही घटनाओं में उनके ऊपर नजर रखने वाले स्पेशल ब्रांच के पुलिसकर्मी थे. उन्होंने कहा कि राजभवन के सामने हुई घटना में संबंधित व्यक्ति को जब पकड़ा गया तो उसने माना कि विशेष शाखा का सिपाही है.

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'कुछ चौंकाने वाली सूचनाएं मिली हैं'
इसक साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ चौंकाने वाली सूचनाएं मिली हैं. इसके अनुसार पूर्ववर्ती सरकार के आदेश पर रांची के कांके रोड स्थित गोंदा थाना के पीछे अनाधिकृत रूप से स्पेशल ब्रांच का एक कार्यालय चल रहा था. जिसमें कंप्यूटर और टेक्नीशियन सभी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि उसमें का मकान से सटे व्यक्ति खूंटी में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी में कार्यरत थे और अभी भी कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि वह इस कार्यालय के संपर्क सूत्र के रूप में सक्रिय थे. उन्हें विशेष शाखा की ओर से दो अंगरक्षक भी मिले हुए थे और स्पेशल ब्रांच के दो ड्राइवर भी मिले थे. उस कार्यालय में स्पेशल ब्रांच के डीएसपी लेवल के तीन अधिकारी भी पोस्टेड थे.

रांची: झारखंड विधानसभा में निर्दलीय विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को विधानसभा चुनाव में हराने वाले सरयू राय ने राज्य की पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. इस बाबत उन्होंने गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र भेजा है. जिसमें इस बात का जिक्र है कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान कथित तौर पर उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी. राय ने कहा कि इस बाबत उन्होंने 1 मई को डीजीपी को भी पत्र भेजा था, लेकिन अभी तक उस पर कोई जानकारी हासिल नहीं हो पाई है.

जांच की मांग

सरयू राय ने कहा कि उनके पत्र के आलोक में एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया जाए और पूरे मामले की जांच कराई जाए. डीजीपी को भेजे गए पत्र में राय ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें इस बात की शंका है कि उनकी गतिविधियों के ऊपर नजर रखी जा रही है.

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सरयू राय ने पत्र लिखकर की है जांच की मांग

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में राय ने कहा कि डीजीपी को 1 मई 2020 को पत्र के माध्यम से इन सभी चीजों के बारे में बताया गया था और उनकी जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह भी किया गया, ताकि झारखंड पुलिस का चेहरा साफ हो सके. उन्होंने कहा कि इस बारे में पुलिस ने अब तक पर्याप्त सूचना संग्रह कर ली होगी और इस बारे में एसआईटी गठित करें. उन्होंने कहा कि सरकार में शीर्ष पद पर आसीन व्यक्ति की इजाजत के बिना ऐसा कुकृत्य को अंजाम देने की हिम्मत किसी वरीय पुलिस पदाधिकारी की नहीं होगी. उन्होंने कहा कि इस तरह यह मामला केवल विशेष शाखा के अधिकारी तक ही सीमित नहीं होगा. तत्कालीन डीजीपी सचिव और अधिकारियों की जानकारी के बिना नहीं हुआ होगा.

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'गतिविधियों पर स्पेशल ब्रांच की नजर रहती है'
प्रदेश के पुलिस आरक्षी महानिरीक्षक को पत्र लिखकर आशंका जताई है कि उनकी गतिविधियों के ऊपर स्पेशल ब्रांच की नजर रहती है. उन्होंने 2017 में हुई साहिबगंज जिले में एक घटना का जिक्र करते हुए इस बात का उल्लेख किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि 2018 में राजभवन के बाहर भी उनके साथ ऐसा ही हुआ था और दोनों ही घटनाओं में उनके ऊपर नजर रखने वाले स्पेशल ब्रांच के पुलिसकर्मी थे. उन्होंने कहा कि राजभवन के सामने हुई घटना में संबंधित व्यक्ति को जब पकड़ा गया तो उसने माना कि विशेष शाखा का सिपाही है.

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'कुछ चौंकाने वाली सूचनाएं मिली हैं'
इसक साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ चौंकाने वाली सूचनाएं मिली हैं. इसके अनुसार पूर्ववर्ती सरकार के आदेश पर रांची के कांके रोड स्थित गोंदा थाना के पीछे अनाधिकृत रूप से स्पेशल ब्रांच का एक कार्यालय चल रहा था. जिसमें कंप्यूटर और टेक्नीशियन सभी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि उसमें का मकान से सटे व्यक्ति खूंटी में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी में कार्यरत थे और अभी भी कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि वह इस कार्यालय के संपर्क सूत्र के रूप में सक्रिय थे. उन्हें विशेष शाखा की ओर से दो अंगरक्षक भी मिले हुए थे और स्पेशल ब्रांच के दो ड्राइवर भी मिले थे. उस कार्यालय में स्पेशल ब्रांच के डीएसपी लेवल के तीन अधिकारी भी पोस्टेड थे.

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