रांची: झारखंड में महागठबंधन सरकार के 1 साल पूरे होने जा रहे हैं. ऐसे में इस एक साल में पहली बार विधायक बनकर आए खिजरी के कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप और महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने अपने अनुभव को साझा किया. इन विधायकों की माने तो महागठबंधन सरकार के 1 साल का सफर मेमोरेबल और चैलेंजिंग रहा है. इस दौरान कई आरोप-प्रत्यारोप भी सरकार और संगठन समेत विधायकों पर लगे हैं. इसके साथ ही विकास के कार्य बाधित होने पर जनता में नाराजगी भी रही है तो विपक्ष भी हमलावर रहा है. हालांकि विधायकों ने कहा है कि भले ही विपक्ष लगातार आरोप लगाते रहे हो लेकिन कोरोना संक्रमण की विपत्ति की घड़ी में उनके क्षेत्र की जनता से हमेशा आशीर्वाद ही मिलता रहा.
जनता का मिला है आशीर्वाद
उन्होंने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र के लोग समझते हैं कि कोरोना काल में सभी को परेशानियां हो रही हैं. इस वजह से जनता का भी साफ कहना है कि क्षेत्र के विकास के लिए जो कर सकते हैं वह करें. उन्होंने कहा कि जनता का लगातार आशीर्वाद मिला है और उन्होंने भी सराहना की है कि दुख की घड़ी में जनप्रतिनिधि होने के नाते वह हमेशा सबके बीच रहे.
इसके साथ ही कोरोना काल के दौरान राजेश कच्छप ने विधायक इरफान अंसारी के नेतृत्व में दिल्ली जाकर आलाकमान के समक्ष क्षेत्र के विकास के लिए नहीं हो रहे कार्यों की जानकारी देते हुए नाराजगी भी जाहिर की थी. जिसके बाद उन पर आरोप भी लगा था कि वह संगठन और सरकार के खिलाफ जा रहे हैं. हालांकि इसे लेकर उन्होंने कहा कि हर विधायक चाहता है कि शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात हो जाए. इसके लिए दिल्ली जाना और नेताओं से मिलना लगा रहता है. इसे अलग तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अभी फिर दिल्ली जाना है. ऐसे में फिर से यह मतलब ना निकाला जाए कि वह सरकार और संगठन से नाराज हैं.
पहली बार विधायक बनने का उत्साह
वहीं, महगामा से पहली बार विधायक बनी दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि पहली बार विधायक बनने का उत्साह बड़ा रहता है. इसके साथ ही दुनिया का सबसे बड़ा चैलेंज कोरोना के रूप में सभी के सामने आया है. उन्होंने कहा कि जनता ने जिस भरोसे से विधायक बनाया था. कोरोना संक्रमण काल में जनता की जो अपेक्षाएं थीं, उसे सहायता और राहत के रूप में पहुंचाने का काम किया गया है. यही वजह है कि धीरे-धीरे इस परेशानी से सभी बाहर निकल रहे हैं और जिन जिन मुद्दों को लेकर चुनाव लड़कर जीत कर आए हैं. चाहे वह राशन, पेंशन या आवास की बात हो वह अब स्ट्रीम लाइन पर आने शुरू हो गए हैं. उन्होंने कहा कि विधायक कार्यकाल का मेमोरेबल और चैलेंजिंग भरा पहला साल रहा है.
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जनप्रतिनिधियों के प्रति दिखी नाराजगी
इसके साथ ही कोरोना संक्रमण काल से उबरने के दौरान जनता में विकास कार्य नहीं होने पर जनप्रतिनिधियों के प्रति नाराजगी भी देखने को मिली है. हालांकि इस बाबत दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि जनता के बीच किसी भी तरह की नाराजगी नहीं थी लेकिन विकास की जो रफ्तार होनी चाहिए थी, वह जरूर धीमी हुई है. इस परेशानी को जनता भी समझ रही है क्योंकि वह जानते हैं कि जहां केंद्र सरकार ने भी मजदूरों को भगवान भरोसे छोड़ दिया था. वहीं, झारखंड सरकार ने मजदूरों को जरूरत पड़ने पर हवाई जहाज से भी लाने का काम किया है और उनकी सेहत के लिए जो व्यवस्था करनी चाहिए थी. वह भी सीमित संसाधन होने के बावजूद की गई.
महागठबंधन की सरकार में लोगों को मिला रोजगार
उन्होंने कहा कि जब डबल इंजन की खुशहाली भरी सरकार थी तब भी भुखमरी से मौत के मामले में झारखंड राज्य बदनाम हो रहा था लेकिन कोरोना काल में जब रोजगार छिन रहे थे तब भी भुखमरी जैसी घटना सामने नहीं आई. बल्कि राज्य सरकार ने खाद्यान्न के खजाने जनता के लिए खोल दिए. इतना ही नहीं गांव की अर्थव्यवस्था सही रहे इसलिए मनरेगा के सालों के बकाए का भुगतान किया गया और मनरेगा के माध्यम से रोजगार मुहैया कराए गए. उन्होंने उम्मीद जताई है कि शिक्षित युवा जो सरकार से रोजगार की अपेक्षा रखते हैं, आने वाले दिनों में सरकार उसे भी पूरा करेगी.