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जेब में इस्तीफा लेकर घूम रहे हैं विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता, दो दिन से नहीं मिल रहे हैं स्पीकर महोदय

बीएसपी विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता अपनी जेब में इस्तीफे की कॉपी लेकर पिछले 2 दिनों से विधानसभा के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी है.

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Published : Aug 14, 2019, 9:43 PM IST

विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता

रांची: पलामू के हुसैनाबाद से बीएसपी विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता अपनी जेब में इस्तीफे की कॉपी लेकर पिछले 2 दिनों से विधानसभा के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान विधायक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह 13 अगस्त को भी स्पीकर से मिलने पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने अपने सचिव के मार्फत 14 अगस्त को 11 बजे आने को कहा था, लेकिन 14 अगस्त को भी स्पीकर से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी.

देखें पूरी खबर

9 अगस्त को जारी हुआ था पत्र
बीएसपी विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने कहा कि स्पीकर ने उनके खिलाफ जिस असंसदीय भाषा का हवाला देते हुए शरीर उपस्थित होकर क्षमा मांगने और लिखित में इस्तीफा देने के लिए 9 अगस्त को पत्र जारी कर 3 दिन का समय दिया था, लेकिन सोमवार को बकरीद की छुट्टी के कारण वह मंगलवार को विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन तब तक स्पीकर अपने ऑफिस से निकल चुके थे. फोन पर उनसे बात करने के बाद उन्हें 14 अगस्त को आने को कहा गया था, लेकिन 14 अगस्त को भी स्पीकर से उनकी मुलाकात नहीं हुई.

'अभिभावक तुल्य हैं स्पीकर'
विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने कहा कि स्पीकर उनके अभिभावक तुल्य हैं और उन्होंने कभी भी उनके खिलाफ असंसदीय शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है. विधायक ने कहा कि अगर स्पीकर यह चाहते हैं कि नए सिरे से इस्तीफा दिया जाए तो वह इसके लिए भी तैयार हैं और इस्तीफे की एक कॉपी जेब में लेकर घूम रहे हैं.

ये भी पढ़ें- असामाजिक लोगों ने तोड़ी भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा, भड़के ग्रामीणों ने सड़क पर काटा बवाल

आखिर किस बात पर हुआ है विवाद ?
दरअसल, मॉनसून सत्र के दौरान 26 जुलाई को विधायक ने जपला सीमेंट फैक्ट्री खोले जाने को लेकर गैर सरकारी संकल्प के तहत अपना पक्ष रखा था. सरकार की तरफ से जवाब आने के बाद भी वह संतुष्ट नहीं थे. इस पर स्पीकर ने या तो संकल्प को वापस लेने या फिर वोटिंग कराने की बात कही थी. इसी बात पर भड़क कर विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने सदन के भीतर ही स्पीकर को अपना इस्तीफा दे दिया था. हालांकि उस वक्त यह बात आई गई हो गई थी. बाद में मीडिया में यह बात आई की स्पीकर ने इस वजह से इस्तीफा स्वीकार नहीं किया क्योंकि उन्होंने नियम के तहत इस्तीफा नहीं दिया था और इस्तीफा स्वीकार नहीं करने के लिए आग्रह भी किया था. इस मुद्दे पर मीडिया के जरिए विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने स्पीकर पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि सरकार की नाकामी छुपाने के लिए ऐसा कहा गया है. इतनी सी बात पर विवाद बढ़ गया था और स्पीकर की ओर से विधायक को सशरीर उपस्थित होने के लिए पत्र जारी किया गया था.

सीबीएसई की फीस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग
विधायक ने कहा कि CBSE ने एसटी एससी छात्रों के फ़ीस में 24 गुना और सामान्य वर्ग के छात्रों के फीस में 2 गुना वृद्धि का फैसला लिया है जो सरासर गलत है. उन्होंने इस फैसले को छात्र हित में वापस लेने के लिए झारखंड की राज्यपाल और प्रधानमंत्री के नाम भी पत्र प्रेषित किया है. उन्होंने कहा कि अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो वह इसके खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन चलाएंगे.

रांची: पलामू के हुसैनाबाद से बीएसपी विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता अपनी जेब में इस्तीफे की कॉपी लेकर पिछले 2 दिनों से विधानसभा के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान विधायक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह 13 अगस्त को भी स्पीकर से मिलने पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने अपने सचिव के मार्फत 14 अगस्त को 11 बजे आने को कहा था, लेकिन 14 अगस्त को भी स्पीकर से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी.

देखें पूरी खबर

9 अगस्त को जारी हुआ था पत्र
बीएसपी विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने कहा कि स्पीकर ने उनके खिलाफ जिस असंसदीय भाषा का हवाला देते हुए शरीर उपस्थित होकर क्षमा मांगने और लिखित में इस्तीफा देने के लिए 9 अगस्त को पत्र जारी कर 3 दिन का समय दिया था, लेकिन सोमवार को बकरीद की छुट्टी के कारण वह मंगलवार को विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन तब तक स्पीकर अपने ऑफिस से निकल चुके थे. फोन पर उनसे बात करने के बाद उन्हें 14 अगस्त को आने को कहा गया था, लेकिन 14 अगस्त को भी स्पीकर से उनकी मुलाकात नहीं हुई.

'अभिभावक तुल्य हैं स्पीकर'
विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने कहा कि स्पीकर उनके अभिभावक तुल्य हैं और उन्होंने कभी भी उनके खिलाफ असंसदीय शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है. विधायक ने कहा कि अगर स्पीकर यह चाहते हैं कि नए सिरे से इस्तीफा दिया जाए तो वह इसके लिए भी तैयार हैं और इस्तीफे की एक कॉपी जेब में लेकर घूम रहे हैं.

ये भी पढ़ें- असामाजिक लोगों ने तोड़ी भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा, भड़के ग्रामीणों ने सड़क पर काटा बवाल

आखिर किस बात पर हुआ है विवाद ?
दरअसल, मॉनसून सत्र के दौरान 26 जुलाई को विधायक ने जपला सीमेंट फैक्ट्री खोले जाने को लेकर गैर सरकारी संकल्प के तहत अपना पक्ष रखा था. सरकार की तरफ से जवाब आने के बाद भी वह संतुष्ट नहीं थे. इस पर स्पीकर ने या तो संकल्प को वापस लेने या फिर वोटिंग कराने की बात कही थी. इसी बात पर भड़क कर विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने सदन के भीतर ही स्पीकर को अपना इस्तीफा दे दिया था. हालांकि उस वक्त यह बात आई गई हो गई थी. बाद में मीडिया में यह बात आई की स्पीकर ने इस वजह से इस्तीफा स्वीकार नहीं किया क्योंकि उन्होंने नियम के तहत इस्तीफा नहीं दिया था और इस्तीफा स्वीकार नहीं करने के लिए आग्रह भी किया था. इस मुद्दे पर मीडिया के जरिए विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने स्पीकर पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि सरकार की नाकामी छुपाने के लिए ऐसा कहा गया है. इतनी सी बात पर विवाद बढ़ गया था और स्पीकर की ओर से विधायक को सशरीर उपस्थित होने के लिए पत्र जारी किया गया था.

सीबीएसई की फीस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग
विधायक ने कहा कि CBSE ने एसटी एससी छात्रों के फ़ीस में 24 गुना और सामान्य वर्ग के छात्रों के फीस में 2 गुना वृद्धि का फैसला लिया है जो सरासर गलत है. उन्होंने इस फैसले को छात्र हित में वापस लेने के लिए झारखंड की राज्यपाल और प्रधानमंत्री के नाम भी पत्र प्रेषित किया है. उन्होंने कहा कि अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो वह इसके खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन चलाएंगे.

Intro:जेब में इस्तीफा लेकर घूम रहे हैं विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता लेकिन 2 दिन से नहीं मिल रहे हैं स्पीकर महोदय

रांची

पलामू के हुसैनाबाद से बसपा विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता अपनी जेब में इस्तीफे की कॉपी लेकर पिछले 2 दिनों से विधानसभा के चक्कर काट रहे हैं लेकिन अब तक विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी है। ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान विधायक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह 13 अगस्त को भी स्पीकर से मिलने पहुंचे थे लेकिन उन्होंने अपने सचिव के मार्फत 14 अगस्त को 11:00 बजे आने को कहा था लेकिन 14 अगस्त को भी स्पीकर से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि स्पीकर ने उनके खिलाफ जिस असंसदीय भाषा का हवाला देते हुए शरीर उपस्थित होकर क्षमा मांगने और लिखित में इस्तीफा देने के लिए 9 अगस्त को पत्र जारी कर 3 दिन का समय दिया था। लेकिन सोमवार को बकरीद की छुट्टी के कारण वह मंगलवार को विधानसभा पहुंचे थे लेकिन तब तक स्पीकर अपने ऑफिस से निकल चुके थे। फोन पर उनसे बात करने के बाद उन्हें 14 अगस्त को आने को कहा गया था लेकिन 14 अगस्त को भी स्पीकर से उनकी मुलाकात नहीं हुई। विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने कहा कि स्पीकर उनके अभिभावक तुल्य हैं और उन्होंने कभी भी उनके खिलाफ असंसदीय शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है। विधायक ने कहा कि अगर स्पीकर यह चाहते हैं कि नए सिरे से इस्तीफा दिया जाए तो वह इसके लिए भी तैयार हैं और इस्तीफे की एक कॉपी जेब में लेकर घूम रहे हैं।




Body:आखिर किस बात पर हुआ है विवाद

दरअसल मॉनसून सत्र के दौरान 26 जुलाई को विधायक ने जपला सीमेंट फैक्ट्री खोले जाने को लेकर गैर सरकारी संकल्प के तहत अपना पक्ष रखा था। सरकार की तरफ से जवाब आने के बाद भी वह संतुष्ट नहीं थे। इस पर स्पीकर ने या तो संकल्प को वापस लेने या फिर वोटिंग कराने की बात कही थी। इसी बात पर भड़क कर कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने सदन के भीतर ही स्पीकर को अपना इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उस वक्त यह बात आई गई हो गई थी। लेकिन बाद में मीडिया में यह बात आई की स्पीकर ने इस वजह से इस्तीफा स्वीकार नहीं किया क्योंकि उन्होंने नियम के तहत इस्तीफा नहीं दिया था और इस्तीफा स्वीकार नहीं करने के लिए आग्रह भी किया था। इस मुद्दे पर मीडिया के जरिए कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने स्पीकर पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि सरकार की नाकामी छुपाने के लिए ऐसा कहा गया है। इतनी सी बात पर विवाद बढ़ गया था और स्पीकर की ओर से विधायक को सशरीर उपस्थित होने के लिए पत्र जारी किया गया था।


Conclusion:सीबीएसई की फीस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान हुसैनाबाद विधायक ने कहा कि CBSE ने एसटी एससी छात्रों के फ़ीस में 24 गुना और सामान्य वर्ग के छात्रों के फ़ीस में 2 गुना वृद्धि का फैसला लिया है जो सरासर गलत है। उन्होंने इस फैसले को छात्र हित में वापस लेने के लिए झारखंड की राज्यपाल और प्रधानमंत्री के नाम भी पत्र प्रेषित किया है। उन्होंने कहा कि अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो वह इसके खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन चलाएंगे।
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