रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने रविवार को राष्ट्र निर्माण की अपने महान विरासत कांग्रेस की श्रृंखला धरोहर की 13वीं वीडियो को अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट को शेयर किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 1917 के चंपारण सत्याग्रह ने पूरे देश में आजादी के आंदोलन को नई दिशा दिखाई.
उन्होंने कहा कि तिनकठिया प्रथा यानी प्रति बीघा में तीन कट्ठा नील की खेती के ब्रिटिश फरमान के विरोध से शुरुवात हुई थी. जिससे चंपारण के किसान तबाह हो रहे थे, इसके साथ ही जर्मनी में पैदा होने वाले कृत्रिम नील के उत्पादन में यहां के किसानों पर दोहरी मार कर दी. ऐसी स्थिति में किसानों पर टैक्स का बोझ बढ़ता गया. वहीं कांग्रेस विधायक दल नेता आलमगीर आलम ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता इतिहास में गांधीजी के सत्याग्रह का यह पहला प्रयोग था. बापू ने सत्याग्रह का जो बिगुल फूंका था वह काफी कारगर साबित हुआ.
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झारखंड सरकार में कांग्रेस के मंत्री बादल और बन्ना गुप्ता ने कहा कि भारत की जंग-ए- आजादी के इतिहास में चंपारण सत्याग्रह को मील का पत्थर माना जाता है. इसी आंदोलन की वजह से देशवासियों ने बापू को महात्मा के तौर पर पहचान. गांधीजी ने यहीं से अहिंसा को एक कामयाब विचार के रूप में बांधा, कांग्रेस पार्टी अपने बुजुर्गों और देश के लिए किए गए कार्यों को कभी जीते जी भूल नहीं सकती.
जबकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा धरोहर वीडियो की जारी तेरहवीं कड़ी में पूज्य बापू का पदार्पण महानायक के रुप में हुआ. जिसने पूरी दुनिया में भारत वासियों की एक अलग पहचान बना दी, राष्ट्रपिता ने देशवासियों के साथ मिलकर जो काम किया वह इतिहास के लिए भी और पूरी दुनिया के लिए अविस्मरणीय घटना है.