रांचीः मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश के स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों की समस्याओं से अवगत कराया है. इसके साथ ही 24 वर्ष सेवा दे चुके स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान (Selection Scale) देने की मांग सरकार से की है.
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मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सीएम हेमंत सोरेन को जो पत्र लिखा है, उसमें अविभाजित झारखंड-बिहार के पत्रांक का उल्लेख किया है. जिसमें कहा गया है कि 1992 में प्रवरण वेतनमान (Selection Scale) हेतु स्नातकोत्तर की योग्यता उल्लेख है, जबकि बिहार सरकार ने साल 2014 में नया आदेश जारी करते हुए अहर्ता को समाप्त कर सभी वरीय वेतनमान प्राप्त शिक्षकों को 24 साल की सेवा पूरा करने पर प्रवरण वेतनमान (Selection Scale) देने का आदेश निर्गत किया.
मंत्री ने अपने पत्र के माध्यम से ये भी बताया कि बिहार सरकार के उसी आदेश को लेकर झारखंड सरकार स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने वर्ष 2016 में अधिसूचना जारी कर स्पष्ट उल्लेख किया है कि स्नातक प्राप्त शिक्षक को 24 साल की सेवा के बाद प्रवरण वेतनमान (Selection Scale) दिया जाएगा. जिसपर कैबिनेट ने भी अपनी सहमति दी. इस अधिसूचना के आलोक में देवघर, गढ़वा और पाकुड़ जिला में उपायुक्त ने 24 वर्ष की सेवा दे चुके स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान (Selection Scale) का लाभ दे चुके हैं.
इन्हीं अधिसूचना और आदेश का हवाला देकर मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सरकार से आग्रह किया है कि राज्य के अन्य जिलों के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों के स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान (Selection Scale) का लाभ दिया जाए. जैसा देवघर, गढ़वा और पाकुड़ जिला के स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों को दिया जा चुका है.
राज्य के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों के स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों की वेतनमान में प्रोन्नति के संबंध में एक निर्देश जारी किया गया है. जो पहले कैबिनेट से पारित विभागीय अधिसूचना भी जारी किया गया है. लेकिन अब तक उन शिक्षकों को जो लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है. इसी कड़ी में शिक्षकों की ओर से भी एक बैठक की गई है. जिसके बाद मंत्री मिथलेश ठाकुर को तमाम समस्याओं से अवगत कराया गया है. पत्र के माध्यम से मंत्री मिथलेश ठाकुर ने कहा है कि स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक की श्रेणी में वेतनमान का लाभ मूल कोटि के स्वीकृत पदों के 20% देना है लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है. झारखंड के शिक्षक चाहते हैं कि नियुक्त शिक्षकों में समानता हो. यह सभी नियमों को समाप्त कर राज्य कर्मी की तरह एमएसीपी दिया है.