रांचीः झारखंड सरकार के कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख ने लखनऊ में हुई जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में भाग लिया. जिसमें उन्होंने राज्यों का जीएसटी मुआवजा अवधि बढ़ाने और पब्लिक अंडरटेकिंग कंपनी पर बकाए की तत्काल राज्यों को भुगतान की मांग रखी.
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GST कॉउंसिल की 45वीं बैठक में झारखंड का प्रतिनिधित्व करने लखनऊ गए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि भारत सरकार केंद्रीय संस्थानों से राज्य को मिलने वाले बकाया राशि को पेंडिंग रखती है. लेकिन डीवीसी झारखंड राज्य को बिना बताए बिजली काट देती है और बकाए भुगतान के लिए नोटिस भी करती है जो कहीं से उचित नहीं है. डीवीसी के बिजली काटने और नोटिस देने के खिलाफ उन्होंने काउंसिल में जोरदार तरीके से विरोध किया.
कोयला के GST स्लॉट में हो बदलाव
कोयला के जीएसटी स्लैब में बदलाव की मांग राज्य हित में करने की बातें भी बादल पत्रलेख ने बैठक में की. उन्होंने राज्य के जीएसटी मुआवजा की राशि ₹1544 करोड़ की मांग की है, रॉयल्टी के रूप में ₹12,725 करोड़ जो झारखंड को मिलना है उस ओर भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ध्यान आकृष्ट कराया.
उन्होंने कहा कि राज्यों के राजस्वगत स्थितियां और राजकोषीय जरूरतों को सकारात्मकता और सहयोग के भाव से देखे जाने की आवश्यकता है. कोविड काल मे मेडिसिन और उपकरणों में टैक्स की जो रियायत दी गई है उसकी सराहना हम करते हैं. मंत्री बादल पत्रलेख ने बैठक के दौरान कहा कि किसी भी राज्य को समय पर रेवेन्यू लॉसेस की क्षतिपूर्ति जल्द मिले इसका ख्याल केंद्र को रखना चाहिए.
खपत आधारित GST से झारखंड को नुकसान
खपत आधारित जीएसटी कर प्रणाली में झारखंड को राजस्व का नुकसान हो रहा है, इसे देखने की आवश्यकता है, ये मांग कृषि मंत्री ने केंद्र सरकार से की है. इस बैठक में वाणिज्य कर विभाग के सचिव आराधना पटनायक भी उपस्थित रहीं. कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव की जगह भाग लिया.
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जीएसटी काउंसिल मीटिंग में लिए गए फैसले
जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों ने पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) को जीएसटी (GST) के दायरे में लाने के प्रस्ताव का विरोध किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल करने के मुद्दे पर चर्चा हुई. कई राज्यों ने कहा कि वो पेट्रोलियम प्रॉडक्टस को जीएसटी में नहीं लाना चाहते हैं. फिलहाल यह तय हुआ है कि काउंसिल को यह बात केरल हाई कोर्ट को बतानी चाहिए कि इस मामले पर चर्चा हुई है. काउंसिल ने महसूस किया कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाने का यह सही समय नहीं है.
काउंसिल ने कोरोना महामारी (Covid-19 pandemic) की दवाओं पर जीएसटी छूट 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है. यह छूट केवल दवाओं पर बढ़ाई गई है, मेडिकल इक्विपमेंट्स पर नहीं है. Amphotericin B और Tocilizumab पर 31 दिसंबर तक कोई जीएसटी नहीं लगेगा. काउंसिल ने साथ ही मस्कुलर एट्रॉफी के इलाज में काम आने वाली दवाओं Zolgensma और Viltepso को भी जीएसटी में रियायत देने का फैसला किया है. ये बहुत खास दवाएं हैं जिनकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपये है. यह छूट पर्सनल यूज के लिए आयात की जाने वाली दवाओं पर मिलेगी. अब तक इन पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता था. इसी तरह कैंसर संबंधी ड्रग जैसे कीट्रूडा (Keytruda) पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई है.
काउंसिल ने साथ ही लीज पर लेने के लिए विमानों के आयात पर आईजीएसटी नहीं लगेगा. इसके अलावा रेलवे पार्ट और लोकोमोटिव्स पर जीएसटी की दर 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला लिया है. बायो-डीजल पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई है. जीएसटी काउंसिल ने गुड्स कैरीज के लिए राज्यों की ओर से ली जाने वाली नेशनल परमिट फीस में छूट देने का फैसला लिया है. इसके अलावा जोमैटो और स्विगी जैसी फूड डिलीवरी कंपनियों पर जीएसटी लगाने के बारे में उन्होंने बताया कि इन पर कोई भी नया टैक्स नहीं लगाया गया है.