रांची: राजधानी रांची में पारा शिक्षकों और शिक्षा मंत्री के बीच बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने वादा किया है कि उनकी मांगों पर गौर किया जाएगा. राज्य में समग्र शिक्षा अभियान के तहत कार्यरत 66 हजार पारा शिक्षकों के मामले को लेकर लगातार बैठक हो रही है. इसी कड़ी में कुछ बिंदुओं को लेकर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के अध्यक्षता में पारा शिक्षकों की बैठक हुई.
एक लंबे अरसे से पारा शिक्षकों और राज्य सरकार के बीच उनके स्थायीकरण नियमावली को लेकर बैठक हो रही है. इसके बावजूद नतीजा कुछ नहीं निकल रहा है. लेकिन अब सरकार के सकारात्मक पहल के बाद उम्मीद की जा रही है कि इसका समाधान निकलेगा. इसी सिलसिले में झारखंड के पारा शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री के साथ एक बैठक की. इस बैठक के दौरान पारा शिक्षकों ने नियमावली को लेकर अपनी अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई है.
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के प्रशासनिक पदाधिकारी सह राज्य शिक्षा सेवा के पदाधिकारी जयंत मिश्रा ने पारा शिक्षकों की समस्याओं को लेकर गलत रिपोर्ट बना दी थी. स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने इसे गंभीरता से लेते हुए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की बात कही है. उस गलत रिपोर्ट के कारण पारा शिक्षकों में भ्रम फैल गया था. इसी भ्रम को दूर करने के उद्देश्य से शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने पारा शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल को बुलाकर बैठक की. जिसमें शिक्षा मंत्री ने कहा कि पारा शिक्षकों को 60 साल की उम्र तक के लिए स्थाई किया जाएगा. आकलन परीक्षा के तहत सहायक अध्यापक बनाया जाएगा. चिकित्सा सेवा, बीमा सेवा और अनुकंपा पर भी उन्हें नियुक्त किया जाएगा.
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एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेता संजय दुबे ने सरकार के प्रस्ताव पर पारा शिक्षक का रुख क्या होगा इसके लिए दो दिन का वक्त मांगा था. वेतनमान देने से पीछे हट रही सरकार के रुख पर पारा शिक्षक नेता संजय दुबे ने बताया था कि सरकार का कहना है कि पारा शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं हुआ है. इसलिए वेतनमान देने में परेशानी है. पारा शिक्षक नेताओं ने कहा कि आरक्षण रोस्टर का अगर पालन नहीं किया गया तो इसमें पारा शिक्षकों का क्या दोष है.