रांची: मेयर आशा लकड़ा ने लॉकडाउन 4 के दौरान शराब दुकानों के खोले जाने पर सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने बुधवार को इस बाबत कहा है कि कोरोना के इस संकट की घड़ी में लोगों को शराब की नहीं बल्कि अनाज की जरूरत है. सरकार को इस समय पानी पिलाने की आवश्यकता है, न कि शराब परोसने की.
आशा लकड़ ने आंशका जाहिर की है कि सरकार का यह निर्णय आने वाले समय में एक बार फिर कोरोना वायरस का संवाहक बन सकता है. उन्होंने कहा कि अभी भी समय है. शराब को छोड़ पेयजल संकट के समाधान, बिना राशन कार्ड वालों को अनाज उपलब्ध कराने, प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था कराने पर चिंतन करें. उन्होंने कहा कि इस विषम परिस्थिति में आम लोगों के समक्ष भूखमरी की स्थिति है. ऑटो, ई-रिक्शा, ठेला-खोमचा से अपना जीविकोपार्जन करने वाले लोग काफी परेशान हैं.
कुल मिलाकर शहर की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस समय असहाय है. उन्हें शराब की नहीं, अनाज की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन 4 में राज्य सरकार का छूट देना उचित निर्णय नहीं हैं. कम से कम उन्हें केन्द्र सरकार के दिशा निर्देशों के तहत 31 मई तक लॉकडाउन का सख्ती से पालन करना चाहिए था. इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताया कि वर्तमान में कोरोना पॅाजिटिव मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है.
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ऐसे समय में पूर्व में चिन्हित माइक्रो कंटेनमेंट जोन को खोला जाना एक बार फिर कोरोना वायरस के संक्रमण का वाहक बन सकता है. वर्तमान में राज्य सरकार को राजस्व वृद्धि से ज्यादा जनहित को देखते हुए उचित निर्णय लेने की आवश्यकता है. खुदरा शराब दुकानों के खोले जाने से संबंधित दुकानां में सुबह से ही लोग पहुंच रहे हैं. ग्राहको के बीच शारीरिक दूरी का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है. उन सभी दुकानों पर गाइडलाइन का अनुपालन कराने की आवश्यकता है.
आशा लकड़ा ने कहा कि इन सभी मामलों को नगरीय प्रशासन अपने हाथों में लेते हुए नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 364, 365 ,367 और 368 के तहत कार्यवाई कर सकती है. रांची नगर निगम क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में लगातार कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं. प्रशासन को सख्ती के साथ नियम का पालन कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी कंटेनमेंट जोन में प्रत्येक व्यक्ति का थर्मल स्कैनिंग और जांच कराया जाए. उसके बाद ही लॉकडाउन को समाप्त या ढील देने पर विचार करते तो बेहतर होता.