नई दिल्लीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन माइनिंग लीज मामले (Hemant Soren Mining Lease Case) में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह पहले याचिका के विश्वसनीयता के मुद्दे पर विचार करे और फिर सीएम हेमंत सोरेन के खनन पट्टे और शेल कंपनियों से संबंधित मामले में कानून के अनुसार आगे बढ़े. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद झारखंड हाई कोर्ट में आज मामले में सुनवाई हुई. मामले की अगली सुनवाई अब 1 जून को होगी.
बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टा और शेल कंपनी वाली दो याचिका के मेंटेनेबिलिटी पर 1 जून को हाई कोर्ट में होगी सुनवाई. उसी दिन पूजा सिंघल से जुड़े मनरेगा मामले की भी सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि बचाव पक्ष की तरफ से सिर्फ केस को टालने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि आज आंशिक सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को कहा कि ज्यादा वक्त देने से साक्ष्य प्रभावित होगा.
अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि सरकार के अधिवक्ता कपिल सिब्बल केस के मेंटेनेबिलिटी पर बहस करने के लिए 4 सप्ताह का समय मांगा था लेकिन हाई कोर्ट ने 1 जून का समय दिया है. साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि सभी पक्षों को 31 मई तक अपना जवाब दाखिल कर देना है.
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने ईडी को बताया कि स्थिरता के परिणाम के बावजूद, उसके पास आरोपों की जांच करने का अधिकार है. यदि उसे लगता है कि मामले में जांच की आवश्यकता है. कोर्ट ने कहा कि उसे उस बचाव को उठाना चाहिए. सीएम हेमंत सोरेन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा करने के खिलाफ तर्क दिया. उन्होंने कहा कि ईडी मामले को हाईजैक कर रहा है. छुट्टी के दौरान मामले की सुनवाई की अत्यावश्यकता पर भी उन्होंने सवाल उठाया. राज्य सरकार की ओर से वकील कपिल सिब्बल और हेमंत सोरेन की ओर से मुकुल रोहतगी ने माइनिंग लीज मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.