रांची: झारखंड में कोल परियोजनाओं से वसूली के लिए झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादी एक बार फिर सक्रिय हो चले है. भाकपा माओवादियो की चतरा पर खास नजर है. यही वजह है कि एक बार फिर भाकपा माओवादियों की चतरा में एकाएक गतिविधियां बढ़ गई है.
2018 तक टीपीसी का था चतरा में वर्चस्व
साल 2018 तक टीपीसी उग्रवादियों की पकड़ चतरा में काफी मजबूत थी. चतरा जिले के मगध, आम्रपाली, अशोका, पुरनाडीह समेत कई कई कोल परियोजनाओं से टीपीसी के उग्रवादी विस्थापित कमेटियों के साथ वसूली करते थे. लेकिन एनआईए के दबिश और एफआईआर दर्ज करने के बाद टीपीसी की बड़े नाम चतरा से अंडरग्राउंड हो गए. उनके करीबियों पर भी एनआईए का शिकंजा कसा. ऐसे में भाकपा माओवादियों ने टीपीसी की खोयी जमीन पर अपनी धमक बढ़ाने की रणनीति पर काम शुरू किया है. हाल के दिनों में रीजनल कमेटी मेंबर व पंद्रह लाख के ईनामी मिथलेश की गतिविधियां चतरा में बढ़ी हैं. मिथलेश ने संगठन के बिस्तार के लिए पुराने कैडरों को भी साथ जोड़ने की दिशा में काम शुरू किया है. ऐसे में उसने चतरा से लेकर रांची के बुढमू इलाके तक में बैठक की थी.
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कैसे-कैसे बढ़ी धमक
21 नवंबर की सुबह छठ घाट पर सिमरिया में कोल कारोबारी की हत्या कर दी गई थी. इससे पहले अक्तूबर महीने में ही एक महिला को माओवादियों ने पुलिस की मुखबीर कर मार डाला था. हाल के दिनों में सिमरिया, पत्थलगड्डा, मयूरहंड में नक्सल हत्या के वारदात भी हुए हैं. खुफिया विभाग की सूचनाओं के मुताबिक, टंडवा इलाके में भी माओवादियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है. उग्रवादी नवीन यादव, सर्वजीत यादव के दस्ते की गतिविधि भी चतरा में बढ़ी है.
टीपीसी- जेजेएमपी समर्थक निशाने पर
माओवादियों के निशाने पर टीपीसी व जेजेएमपी के समर्थक भी हैं. टीपीसी के उग्रवादियों की अदावत लंबे समय से भाकपा माओवादियों के साथ रही है. पूर्व में भाकपा माओवादियों से निपटने के लिए पुलिस टीपीसी को अंदरखाने मदद करती थी. लेकिन बदली परिस्थितियों में टीपीसी पर पुलिस के साथ साथ एनआईए की दबिश बढ़ी है. ऐसे में भाकपा माओवादी फिर से चतरा में अपनी जमीन मजबूत कर रहे हैं.