रांची: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का लगाव झारखंड से रहा है. और वह कई बार रांची भी आ चुके हैं. उन्हीं के स्मृति में अभी भी एक स्कूल विशेष बच्चों के लिए चलाई जाती है. जानकार बताते हैं कि क्षितिज चंद्र बोस ने इस स्कूल की स्थापना 1938 में की थी. इस स्कूल की स्थापना के पीछे भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ही थे.
बताया जाता है कि महात्मा गांधी ने क्षितिज चंद्र बोस को इस क्षेत्र में विशेष बच्चों के लिए स्कूल खोलने को लेकर प्रेरित किया था. लोगों का कहना है कि महात्मा गांधी इस स्कूल के उद्घाटन के मौके पर रांची पहुंचे थे, लेकिन कागजात नहीं होने के कारण अब तक इस बात पर मुहर नहीं लग पाई है.
महात्मा गांधी का क्षितिज चंद्र बोस से था घनिष्ठ संबंध
दरअसल, बात उस समय की है जब सन 1917 में कोलकाता में विशेष बच्चों के लिए एक संस्था खोली जानी थी. उस संस्था के उद्घाटन के मौके पर राष्ट्रकवि रविंद्र नाथ टैगोर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी रांची पहुंचे थे. उसी दौरान क्षितिज मूक-बधिर मध्य विद्यालय के संस्थापक क्षितिज चंद्र बोस भी उस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. ऐसा माना जाता है कि क्षितिज बाबू का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ घनिष्ठ संबंध था. उसी कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने क्षितिज बाबू को यह सुझाव दिया था कि आप भी अपने क्षेत्र में इस तरह के विशेष बच्चों के लिए और समाज के बेहतरी के लिए स्कूल की स्थापना करें, उन्होंने कहा था कि अगर आप ऐसा कर लेते हैं तो उसके उद्घाटन के मौके पर मैं जरूर आऊंगा.
भीमराज मोदी ने किया था काफी सहयोग
जिसके बाद सन 1938 में इस स्कूल के जमीन मालिक भीम राज मोदी ने मुफ्त में इस जमीन को दिया और स्कूल के निर्माण में काफी सहयोग किया. ब्रिटिश जमाने में बने इस स्कूल की बनावट में कुछ परिवर्तन जरूर किया गया है, लेकिन फाउंडेशन देखकर आप समझ सकते हैं कि उस दौरान भीमराज मोदी और क्षितिज कुमार बोस का कितना योगदान रहा है.
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स्कूल के उद्घाटन पर रांची आए थे बापू
जानकार बताते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रेरणा से ही इस स्कूल की स्थापना रांची के निवारणपुर में किया जा सका है. शुरुआती दौर में 3 बच्चों को लेकर स्कूल संचालित की गई थी, लेकिन अब इस स्कूल में डेढ़ सौ से अधिक दिव्यांग बच्चे पढ़ते हैं. जानकार यह भी कहते हैं कि क्षितिज बाबू के आग्रह पर महात्मा गांधी इस स्कूल के उद्घाटन के मौके पर भी शामिल हुए थे, लेकिन उस दौरान इस क्षेत्र में आपदा और बाढ़ के कारण सारे कागजात बर्बाद हो गए. जिस वजह से कोई ठोस सबूत न होने के कारण गांधी जी के यहां आने पर मुहर नहीं लगाई जा सकी. लेकिन यह तय है कि क्षितिज बाबू ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सुझाव पर ही इस स्कूल को बनवाया था. जो आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की स्मृति में और क्षितिज चंद्र बोस की याद में मूक-बधिर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है.
गांधी जयंती पर स्कूल में विशेष कार्यक्रम का आयोजन
वहीं, प्रत्येक वर्ष गांधी जयंती के अवसर पर इस स्कूल में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होता है. बच्चे अपने ही अंदाज में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी देते हैं और उन्हें स्मरण करते हैं.