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भारत में दिखा चंद्रग्रहण, 149 साल के बाद बना दुर्लभ संयोग

सदी का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रग्रहण दिखाई दिया. ग्रहण की कुल अवधि 2.59 घंटे की थी. बता दें कि इस बार चंद्र ग्रहण पर वही दुर्लभ योग बने जो 149 साल पहले 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा पर बने थे.

देखें चंद्रग्रहण
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Published : Jul 17, 2019, 5:14 AM IST

बीती रात सदी का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रग्रहण दिखाई दिया. चंद्रग्रहण 16 जुलाई की रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू हो गया था. जिसका 17 जुलाई सुबह चार बजकर 30 मिनट पर मोक्ष हो गया. ग्रहण की कुल अवधि 2.59 घंटे की थी. यह आंशिक चंद्रग्रहण था और इसी के साथ ये साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण भी रहा.

देखें चंद्रग्रहण
यहां देखे गए ग्रहण


बता दें कि चंद्रग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले यानी कि शाम 4:30 बजे से सूतक लगा था. इस चंद्र ग्रहण को भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, एशिया लेकिन यहां के उत्तर-पूर्वी भाग को छोड़ कर, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के ज्यादातर भागों में देखा गया.

इस बार चंद्रग्रहण पर वही दुर्लभ योग बने जो 149 साल पहले 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा पर बने थे.

ये भी पढ़ें- विश्‍वप्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरु, शिवालयों में उमड़े श्रद्धालु


क्या होता है आंशिक चंद्रग्रहण?
आंशिक चंद्रग्रहण तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्‍वी घूमते हुए आती है, लेकिन तीनों ही सीधे एक लाइन में नहीं होते. ऐसी स्थिति में चांद की छोटी सी सतह पर पृथ्‍वी के बीच के हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे अंब्र कहते हैं. चांद के बाकी हिस्‍से में पृथ्‍वी के बाहरी हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे पिनम्‍ब्र कहते हैं. इस दौरान चांद के एक बड़े हिस्‍से में हमें पृथ्‍वी की छाया नजर आने लगती है.

बीती रात सदी का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रग्रहण दिखाई दिया. चंद्रग्रहण 16 जुलाई की रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू हो गया था. जिसका 17 जुलाई सुबह चार बजकर 30 मिनट पर मोक्ष हो गया. ग्रहण की कुल अवधि 2.59 घंटे की थी. यह आंशिक चंद्रग्रहण था और इसी के साथ ये साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण भी रहा.

देखें चंद्रग्रहण
यहां देखे गए ग्रहण


बता दें कि चंद्रग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले यानी कि शाम 4:30 बजे से सूतक लगा था. इस चंद्र ग्रहण को भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, एशिया लेकिन यहां के उत्तर-पूर्वी भाग को छोड़ कर, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के ज्यादातर भागों में देखा गया.

इस बार चंद्रग्रहण पर वही दुर्लभ योग बने जो 149 साल पहले 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा पर बने थे.

ये भी पढ़ें- विश्‍वप्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरु, शिवालयों में उमड़े श्रद्धालु


क्या होता है आंशिक चंद्रग्रहण?
आंशिक चंद्रग्रहण तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्‍वी घूमते हुए आती है, लेकिन तीनों ही सीधे एक लाइन में नहीं होते. ऐसी स्थिति में चांद की छोटी सी सतह पर पृथ्‍वी के बीच के हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे अंब्र कहते हैं. चांद के बाकी हिस्‍से में पृथ्‍वी के बाहरी हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे पिनम्‍ब्र कहते हैं. इस दौरान चांद के एक बड़े हिस्‍से में हमें पृथ्‍वी की छाया नजर आने लगती है.

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बीती रात सदी का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रग्रहण दिखाई दिया. चंद्रग्रहण 16 जुलाई की रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू हो गया था. जिसका 17 जुलाई सुबह चार बजकर 30 मिनट पर मोक्ष हो गया. ग्रहण की कुल अवधि 2.59 घंटे की थी. यह आंशिक चंद्र ग्रहण था और इसी के साथ ये साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भी रहा.

यहां देखे गए ग्रहण

बता दें कि चंद्र ग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले यानी कि शाम 4:30 बजे से सूतक लगा था. इस चंद्र ग्रहण को भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, एशिया लेकिन यहां के उत्तर-पूर्वी भाग को छोड़ कर, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के ज्यादातर भागों में देखा गया.

149 साल बाद बना यह संयोग

इस बार चंद्र ग्रहण पर वही दुर्लभ योग बने जो 149 साल पहले 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा पर बने थे.

क्या होता है आंशिक चंद्रग्रहण?

आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्‍वी घूमते हुए आती है, लेकिन तीनों ही सीधे एक लाइन में नहीं होते. ऐसी स्थिति में चांद की छोटी सी सतह पर पृथ्‍वी के बीच के हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे अंब्र कहते हैं. चांद के बाकी हिस्‍से में पृथ्‍वी के बाहरी हिस्‍से की छाया पड़ती है, जिसे पिनम्‍ब्र कहते हैं. इस दौरान चांद के एक बड़े हिस्‍से में हमें पृथ्‍वी की छाया नजर आने लगती है.


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