रांचीः रांची मौसम विज्ञान केंद्र (Ranchi Meteorological Center) में संसाधनों की भारी कमी है. इस कमी की वजह से सटीक मौसम की जानकारी नहीं मिल जाती है. इसका नुकसान झारखंड के लोगों को उठाना पड़ रहा है. खासकर, मानसून के दौरान वज्रपात से लोगों की जान बचाने में रडार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. रडार के जरिये दो-तीन घंटे पहले बारिश और वज्रपात की अपडेट जानकारी मिलती है. इसके बाद क्षेत्र विशेष के लोगों को सचेत किया जाता है, ताकि लोग सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाए.
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झारखंड जैसे राज्य में रडार काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. इसकी वजह है कि झारखंड में वज्रपात (Thunderstorm in Jharkhand) यानि आसमानी बिजली का गिरना बड़ा प्राकृतिक आपदा है. इससे प्रत्येक साल दर्जनों लोगों की जान चली जाती है. इसके बावजूद मौसम विज्ञान केंद्र के पास अपना रडार नहीं है. तात्कालिक मौसम बदलाव की जानकारी के लिए सेटेलाइट के अलावा बिहार के पटना, पश्चिम बंगाल के कोलकाता और ओडिशा के पारादीप मौसम केंद्र के रडार पर निर्भर रहना पड़ता है.
मौसम विज्ञान केंद्र के प्रभारी हेड (Head incharge of Meteorological Center Abhishek Anand) अभिषेक आनंद ने बताया कि तीन पड़ोसी राज्यों के रडार से लगभग पूरा राज्य कवर हो जाता है. इसके अलावा सेटेलाइट की तस्वीरों से मदद मिलती है. उन्होंने कहा कि अगर रांची मौसम विज्ञान केंद्र के पास अपना रडार होगा तो जल्द मौसमी हलचल की जानकारी मिल जाएगी. उन्होंने कहा कि केंद्र में अपना रडार लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. लेकिन इसमें एक साल लगेगा.
मौसम केंद्र के एक अधिकारी ने बताया कि पहले केंद्र में रडार था, वह आउट डेटेड हो गया था. इस रडार के खराब होने के बाद ठीक नहीं किया गया और नहीं नया रडार लगाया गया. उन्होंने कहा कि रडार नहीं रहने से थोड़ी परेशानी होती है. लेकिन पड़ोसी राज्यों के रडार से काम चल जाता है.