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करमा के पर्व में इस पत्ते का होता है खास महत्व, बिना इसके संपन्न नहीं होती पूजा

झारखंड में करमा का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन आदिवासी एक खास तरह के पत्ते का पूजा में इस्तेमाल करते हैं. मान्यता है कि इन पत्तों से घर और खेत में लगे फसलों की रक्षा होती है.

भेलवा पत्तों की बिक्री करते ग्रामीण
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Published : Sep 9, 2019, 7:03 AM IST

लोहरदगा: सरहुल के बाद सितंबर के महीने में मनाए जाने वाले करमा पर्व दिवासियों के लिए बेहद अहम है इसका उनके जीवन में अपना अलग ही महत्व है. इस दिन लोग करम की डाली की पूजा करते हैं. जिसमें खासतौर पर महिलाएं अपने भाइयों के लिए व्रत रखती हैं.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-गोड्डा में जबरन धर्म परिवर्तन कराने का मामला, फादर समेत दो गिरफ्तार

भेलवा पेड़ के पत्तों का है खास महत्व

आदिवासी समुदाय के साथ अन्य समुदाय के लोग भी प्रकृति पर्व करमा को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. वहीं, आदिवासी समुदाय में करमा के दिन भेलवा डाली और उसके पत्तों के बिना पूजा संपन्न नहीं मानी जाती. पर्व के दिन आदिवासियों के घरों में ये पत्ते मुख्य रूप से पाए जाते हैं. पूजा के बाद आदिवासी इन पत्तों को अपने घर और खेतों में लगाते हैं. उनका मानना है कि इससे उनके घर और फसलों की कीड़े-मकोड़े और अन्य चीजों से रक्षा होती है.

भेलवा पत्तों की होती है बिक्री

करमा को लेकर बाजार में इन पत्तों की बकायदा बिक्री भी की जाती है. भेलवा पेड़ की डाली को ग्रामीण बाजारों में बेचने का काम करते हैं.10 रुपए से लेकर लगभग 30 रुपए तक इन पत्तों की कीमत है. जिसे खरीद कर ग्रामीण अपने घरों में ले जाते हैं जहां करमा पर इनकी पूजा होती है. करमा के त्योहार में प्रकृति की पूजा आस्था और विश्वास के साथ की जाती है. कहा जाता है कि झारखंड में एक-एक पत्ता और एक-एक पेड़ जीवन के रूप में मनुष्य जीवन में अपना प्रभाव रखता है.

लोहरदगा: सरहुल के बाद सितंबर के महीने में मनाए जाने वाले करमा पर्व दिवासियों के लिए बेहद अहम है इसका उनके जीवन में अपना अलग ही महत्व है. इस दिन लोग करम की डाली की पूजा करते हैं. जिसमें खासतौर पर महिलाएं अपने भाइयों के लिए व्रत रखती हैं.

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भेलवा पेड़ के पत्तों का है खास महत्व

आदिवासी समुदाय के साथ अन्य समुदाय के लोग भी प्रकृति पर्व करमा को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. वहीं, आदिवासी समुदाय में करमा के दिन भेलवा डाली और उसके पत्तों के बिना पूजा संपन्न नहीं मानी जाती. पर्व के दिन आदिवासियों के घरों में ये पत्ते मुख्य रूप से पाए जाते हैं. पूजा के बाद आदिवासी इन पत्तों को अपने घर और खेतों में लगाते हैं. उनका मानना है कि इससे उनके घर और फसलों की कीड़े-मकोड़े और अन्य चीजों से रक्षा होती है.

भेलवा पत्तों की होती है बिक्री

करमा को लेकर बाजार में इन पत्तों की बकायदा बिक्री भी की जाती है. भेलवा पेड़ की डाली को ग्रामीण बाजारों में बेचने का काम करते हैं.10 रुपए से लेकर लगभग 30 रुपए तक इन पत्तों की कीमत है. जिसे खरीद कर ग्रामीण अपने घरों में ले जाते हैं जहां करमा पर इनकी पूजा होती है. करमा के त्योहार में प्रकृति की पूजा आस्था और विश्वास के साथ की जाती है. कहा जाता है कि झारखंड में एक-एक पत्ता और एक-एक पेड़ जीवन के रूप में मनुष्य जीवन में अपना प्रभाव रखता है.

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स्टोरी- प्रकृति पर्व करमा में इस पेड़ के पत्तों का है खास महत्व
वी/ओ- झारखंड के ग्रामीण परिवेश से लेकर अब तो शहरों में भी प्रकृति पूजा को महत्व दिया जाने लगा है. झारखंड की संस्कृति और सभ्यता यहां की पहचान है. आदिवासी समुदाय से लेकर मूलवासी समुदाय के लोग भी प्रकृति पर्व करमा को पूरे उल्लास और उत्साह के साथ मनाते हैं. झारखंड के जंगलों, नदियों, पहाड़ों से ही यहां की पहचान है. कहा जाए तो अपने नाम के अनुरूप झारखंड जंगलों और पहाड़ों के रूप में अपनी पहचान रखता है. यहां प्रकृति पर्व का काफी अधिक महत्व है. भेलवा डाली के बिना पूजा पूर्ण नहीं हो सकती। एक प्रकार से भेलवा के पत्तों के रूप में ग्रामीण प्रकृति को अपने करीब रखना चाहते हैं.

बाइट- बसंती उरांव, ग्रामीण महिला
बाइट- एतवा उरांव, ग्रामीण

वी/ओ- कर्मा के त्योहार में प्रकृति की पूजा आस्था और विश्वास के साथ की जाती है. कहा जाता है कि झारखंड में एक एक पत्ता और एक एक पेड़ जीवन के रूप में मनुष्य के जीवन में अपना प्रभाव रखता है. करमा पूजा महोत्सव में एक विशेष पत्ते के बिना पूजा पूर्ण नहीं हो सकती. यह पता सिर्फ पूजा में ही उपयोग में नहीं आता, बल्कि पूजा के उपरांत इस पत्ते को ग्रामीण अपने घरों में खेतों में लगाने का काम करते हैं. जिससे फसलों और उनके घरों की रक्षा होती है. मान्यता है कि कीड़े-मकोड़ों और अन्य चीजों से उनके परिवार और घर, खेत, खलिहान की रक्षा होती है.

बाइट- शानिचरवा मुंडा, ग्रामीण

एंकर- कर्मा को लेकर बाजार में इन पत्तों की बकायदा बिक्री भी की जाती है भेलवा पेड़ की डाली को ग्रामीण महिला और पुरुष बाजारों में बेचने का काम करते हैं. 10 रुपए से लेकर 30 रुपए तक इन पत्तों की कीमत है. जिसे खरीद कर ग्रामीण अपने घरों में ले जाते हैं जहां पर कर्मा पर इनकी पूजा होती है.


Body:कर्मा के त्यौहार में प्रकृति की पूजा आस्था और विश्वास के साथ की जाती है कहा जाता है कि झारखंड में एक एक पत्ता और एक एक पेड़ जीवन के रूप में मनुष्य के जीवन में अपना प्रभाव रखता है करमा पूजा महोत्सव में एक विशेष पत्ते के बिना पूजा पूर्ण नहीं हो सकती यह पता सिर्फ पूजा में ही उपयोग में नहीं आता बल्कि पूजा के उपरांत इस पत्ते को ग्रामीण अपने घरों में खेतों में लगाने का काम करते हैं जिससे फसलों और उनके घरों की रक्षा होती है मान्यता है कि कीड़े मकोड़ों और अन्य चीजों से उनके परिवार और घर खेत खलिहान की रक्षा होती है.


Conclusion:झारखंड में रहने वाले आदिवासी समुदाय के साथ-साथ मूलवासी समुदाय के लोग भी प्रकृति पर्व करमा को अपने सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाते हैं. यह त्यौहार मूल रूप से प्रकृति की पूजा का त्योहार है.
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