रांची: हेमंत कैबिनेट (Hemant Cabinet) ने नियुक्ति नियमावली (Appointment Manual) में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है. इसे लेकर लगातार विवाद चल रहा है. एक तरफ जहां छात्र संगठनों ने इस पर सवाल उठाए हैं. वहीं मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने भी हेमंत सरकार से कई सवाल किए हैं. मामला तूल पकड़ता देख अब जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस वार्ता कर इस मामले पर सफाई दी है.
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हेमंत कैबिनेट ने नियुक्ति नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है. इसके तहत थर्ड और फोर्थ ग्रेड की बहाली के लिए 12 क्षेत्रीय भाषाओं में से किसी एक में पास होना अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार के इस स्टैंड पर मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने भी आपत्ति जताई है. वहीं कई छात्र संगठनों ने भी हेमंत सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा किया है. इस पूरे मामले को लेकर जेएमएम का कहना है नियुक्ति नियमावली में संशोधन का स्थानीय लोगों को सीधा लाभ मिलेगा. स्थानीय भाषा में अभ्यर्थी अपनी बातों को लोग बेहतर ढंग से रख पाएंगे. इसे देखते हुए ही यह प्रावधान किया गया है.
जेएमएम ने जेएसएससी में पीटी की परीक्षा हटाए जाने का किया स्वागत
जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने जेएसएससी में पीटी की परीक्षा हटाए जाने और एक चरण की परीक्षा लिए जाने को लेकर सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि नॉन गैजेटेड पोस्ट की परीक्षा लेने वाले इस आयोग में बदलाव होना राज्य के लिए अच्छा संकेत है, क्योंकि असफल होने वाले परीक्षार्थी किसी ना किसी तरीके से मुख्य परीक्षा में अड़चन लगाते थे और कोर्ट की शरण में चले जाते थे, जिससे बैकलॉग की प्रक्रिया लंबी और जटिल हो रही थी. ऐसे ही कई मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने अब जेएसएससी के परीक्षा में भी बदलाव किया गया है, जो सही संकेत है.
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किसी भी त्रुटि पर संज्ञान लेने के लिए मुख्यमंत्री अधिकृत
सुप्रियो भट्टाचार्य ने सरकार द्वारा पारित किए गए नियुक्ति नियमावली से संबंधित तमाम बिंदुओं को बेहतर बताया है. उन्होंने कहा कि नियुक्ति वर्ष की दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है. सरकार की जो नीति है, उसमें स्थानीय लोगों को तवज्जो देने की है. इस राज्य में जन्मे सभी लोगों को फायदा मिलेगा. हिंदी विकल्प को समाप्त करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस राज्य में सामान्य जाति के छात्रों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा. इस राज्य के स्थानीय लोगों को हर क्षेत्र में इस नियमावली में जगह दी जाएगी. अगर कहीं भी किसी को आपत्ति है तो मामले में मुख्यमंत्री संज्ञान लेंगे.
जनगणना को लेकर जेएमएम की प्रतिक्रिया
वहीं जनगणना को लेकर केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकारों को भार दिए जाने को लेकर भी सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रतिक्रिया दी है. उनकी मानें तो जब भी केंद्र सरकार किसी भी चीज को लेकर फंसती है, तब राज्य सरकारों पर ठीकरा फोड़ देती है. जातिगत आधार पर जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने एक बार फिर राज्य सरकारों पर कार्यभार सौंप दिया है. बीजेपी का आरक्षण को समाप्त करने का एक बड़ा प्रोपेगेंडा है और उसी के तहत जनगणना को लेकर ही केंद्र सरकार काम कर रही है.
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
भारतीय जनता पार्टी ने सरकार की इस नियोजन नीति को झारखंड विनाश नीति बताते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने बताया कहा कि एक ओर मातृभाषा हिंदी को अपमानित किया गया है. वहीं मूलवासियों को अपमानित किया गया है. भाजपा नेता ने कहा कि यह कैसा प्रावधान है जिसमें दूसरे राज्यों में सेवा देने वाले मूलवासियों के बच्चे भी झारखंड में नौकरी से वंचित होंगे. झामुमो के केंदीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने सरकार की नियोजन नीति की सराहना करते हुए कहा कि पूर्व कर रघुवर दास सरकार द्वारा लायी नियोजन नीति का दुष्प्रभाव यह था कि दूसरे राज्य के लोग नौकरी पा रहे थे और हमलोग मुंह देख रहे थे. कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि पिछले सरकार की नियोजन नीति दरअसल विवाद नीति बनकर रह गया था. उन्होंने कहा कि इस सरकार ने 2021 को नियोजन वर्ष घोषित कर रखा है इसलिए ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों को नौकरी मिले इसकी व्यवस्था इससे होगी.