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झारखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक: राज्य के धरोहर को बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने दिए कई दिशा निर्देश

रांची में झारखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक हुई. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने अधिकारियों को कई दिशा निर्देश दिए. बैठक में कुल 9 एजेंडे मंजूर किए गए.

jharkhand state wildlife board meeting
झारखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक
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Published : Feb 4, 2022, 10:04 AM IST

Updated : Feb 4, 2022, 11:26 AM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक हुई. यह बोर्ड की 14वीं बैठक थी. जिसमें मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा करते हुए कई महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए. बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों के साथ कुल 9 एजेंडों पर चर्चा की. जिसमें 5 एजेंडे स्वीकार किए गए.

ये भी पढ़ेंः रांची के थानों में कार्यरत पुलिसकर्मियों की होगी ऑनलाइन निगरानी, फॉर्मेट में देना होगा डाटा


स्वीकृत किये गये एजेंडो में साहिबगंज के फॉसिल पार्क को बेहतर बनाना, हाथी कॉरिडोर पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई. बैठक में चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि साहिबगंज में पाए जाने वाले फॉसिल पदार्थ को संरक्षित करें क्योंकि फॉसिल सिर्फ पत्थर नहीं इतिहास के पन्ने हैं. इसका सम्मान करें. वही मुख्यमंत्री ने वन्यजीव को सुरक्षित रखने के लिए भी अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वन विभाग हाथी कॉरिडोर पर विशेष ध्यान दें. हाथियों के कॉरिडोर से गुजरने वाली सड़कों के किनारे दीवार या लोहे का ऊंचा बैरियर लगा दिया जाता है. जिस वजह से हाथियों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसके लिए अंडरपास का निर्माण बेहतर ढंग से करवाया जाए ताकि वन क्षेत्र में हाथी आजादी से विचरण कर सकें.

वहीं वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सड़क निर्माण में भी बदलाव लाने का दिशानिर्देश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वन विभाग के अधिकारियों को दिया. ताकि जंगल के बगल से गुजरने वाले नेशनल हाईवे या स्टेट हाईवे पर चलने वाले वाहनों से वन्यजीवों को परेशानी ना हो. इस बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, अपर मुख्य सचिवएल खियांगते, डीजीपी नीरज सिन्हा, वन विभाग के अधिकारी राजीव रंजन, एडीजी प्रशांत कुमार सहित वन विभाग के कई वरिष्ठ पदाधिकारी एवं वन्य जीव संरक्षण के लिए कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठन के सदस्य व अन्य मौजूद रहे.

कोडरमा सहित राज्य के अन्य जिलों में अभ्रक स्क्रैप की अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस संबंध में बनाये गये प्रस्ताव पर सहमति दे दी है. ढिबरा माइका स्क्रैप की अवैध तस्करी रोकने से संबंधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की मंजूरी मिलने के बाद अब कैबिनेट की मंजूरी ली जायेगी. मुख्यमंत्री द्वारा दी गई मंजूरी में ना केवल अभ्रक स्क्रैप की अवैध रुप से हो रहे उत्खनन पर रोक लगाने के प्रस्ताव हैं बल्कि ढिबरा का सर्वेक्षण कर पता लगाने का भी प्रस्ताव है. इसे अब कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति के लिए रखा जाएगा. राज्य में ढिबरा अभ्रक स्क्रैप के लिए बिहार माइका एक्ट /रूल्स में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं होने की वजह से यह प्रस्ताव झारखंड सरकार द्वारा तैयार किया गया है. इसमें तीन शर्ते रखी गई हैं, जिसका पालन करना होगा.

प्रस्ताव में ये है शर्त

  • ढिबरा निष्पादन (अभ्रक स्क्रैप) का सर्वेक्षण किया जाएगा. इसमें उसके स्थल, वॉल्यूम और मात्रा का उल्लेख होगा. इससे ढिबरा की अवैध तस्करी को रोका जा सकेगा.
  • ढिबरा (अभ्रक स्क्रैप) का रसायनिक विश्लेषण रिपोर्ट भी तैयार किया जायेगा ताकि इसकी गुणवत्ता को जाना जाय.
  • जो ढिबरा (अभ्रक स्क्रैप) वन क्षेत्र में है, उसके निष्पादन के पहले सक्षम प्राधिकार से फॉरेस्ट क्लीयरेंस और अन्य जरूरी दस्तावेज प्राप्त कर लिया जाए.

गौरतलब है कि कोडरमा, गिरीडीह आदि जिलों के कई क्षेत्रों में अभ्रक के भंडार हैं जहां से अवैध रुप से माइनिंग की शिकायत आती रही है. इस दौरान कई बार घटनाएं भी हो जाती हैं. स्थानीय जिला प्रशासन के द्वारा अवैध रुप से हो रहे अभ्रक उत्खनन पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई भी की जाती रही है. इसके बावजूद अवैध उत्खनन होता रहा है. ऐसे में सरकार द्वारा इसपर लगाम लगाने के लिए जल्द ही सख्त नियम बनाने की तैयारी है.

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक हुई. यह बोर्ड की 14वीं बैठक थी. जिसमें मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा करते हुए कई महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए. बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों के साथ कुल 9 एजेंडों पर चर्चा की. जिसमें 5 एजेंडे स्वीकार किए गए.

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स्वीकृत किये गये एजेंडो में साहिबगंज के फॉसिल पार्क को बेहतर बनाना, हाथी कॉरिडोर पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई. बैठक में चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि साहिबगंज में पाए जाने वाले फॉसिल पदार्थ को संरक्षित करें क्योंकि फॉसिल सिर्फ पत्थर नहीं इतिहास के पन्ने हैं. इसका सम्मान करें. वही मुख्यमंत्री ने वन्यजीव को सुरक्षित रखने के लिए भी अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वन विभाग हाथी कॉरिडोर पर विशेष ध्यान दें. हाथियों के कॉरिडोर से गुजरने वाली सड़कों के किनारे दीवार या लोहे का ऊंचा बैरियर लगा दिया जाता है. जिस वजह से हाथियों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसके लिए अंडरपास का निर्माण बेहतर ढंग से करवाया जाए ताकि वन क्षेत्र में हाथी आजादी से विचरण कर सकें.

वहीं वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सड़क निर्माण में भी बदलाव लाने का दिशानिर्देश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वन विभाग के अधिकारियों को दिया. ताकि जंगल के बगल से गुजरने वाले नेशनल हाईवे या स्टेट हाईवे पर चलने वाले वाहनों से वन्यजीवों को परेशानी ना हो. इस बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, अपर मुख्य सचिवएल खियांगते, डीजीपी नीरज सिन्हा, वन विभाग के अधिकारी राजीव रंजन, एडीजी प्रशांत कुमार सहित वन विभाग के कई वरिष्ठ पदाधिकारी एवं वन्य जीव संरक्षण के लिए कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठन के सदस्य व अन्य मौजूद रहे.

कोडरमा सहित राज्य के अन्य जिलों में अभ्रक स्क्रैप की अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस संबंध में बनाये गये प्रस्ताव पर सहमति दे दी है. ढिबरा माइका स्क्रैप की अवैध तस्करी रोकने से संबंधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की मंजूरी मिलने के बाद अब कैबिनेट की मंजूरी ली जायेगी. मुख्यमंत्री द्वारा दी गई मंजूरी में ना केवल अभ्रक स्क्रैप की अवैध रुप से हो रहे उत्खनन पर रोक लगाने के प्रस्ताव हैं बल्कि ढिबरा का सर्वेक्षण कर पता लगाने का भी प्रस्ताव है. इसे अब कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति के लिए रखा जाएगा. राज्य में ढिबरा अभ्रक स्क्रैप के लिए बिहार माइका एक्ट /रूल्स में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं होने की वजह से यह प्रस्ताव झारखंड सरकार द्वारा तैयार किया गया है. इसमें तीन शर्ते रखी गई हैं, जिसका पालन करना होगा.

प्रस्ताव में ये है शर्त

  • ढिबरा निष्पादन (अभ्रक स्क्रैप) का सर्वेक्षण किया जाएगा. इसमें उसके स्थल, वॉल्यूम और मात्रा का उल्लेख होगा. इससे ढिबरा की अवैध तस्करी को रोका जा सकेगा.
  • ढिबरा (अभ्रक स्क्रैप) का रसायनिक विश्लेषण रिपोर्ट भी तैयार किया जायेगा ताकि इसकी गुणवत्ता को जाना जाय.
  • जो ढिबरा (अभ्रक स्क्रैप) वन क्षेत्र में है, उसके निष्पादन के पहले सक्षम प्राधिकार से फॉरेस्ट क्लीयरेंस और अन्य जरूरी दस्तावेज प्राप्त कर लिया जाए.

गौरतलब है कि कोडरमा, गिरीडीह आदि जिलों के कई क्षेत्रों में अभ्रक के भंडार हैं जहां से अवैध रुप से माइनिंग की शिकायत आती रही है. इस दौरान कई बार घटनाएं भी हो जाती हैं. स्थानीय जिला प्रशासन के द्वारा अवैध रुप से हो रहे अभ्रक उत्खनन पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई भी की जाती रही है. इसके बावजूद अवैध उत्खनन होता रहा है. ऐसे में सरकार द्वारा इसपर लगाम लगाने के लिए जल्द ही सख्त नियम बनाने की तैयारी है.

Last Updated : Feb 4, 2022, 11:26 AM IST
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