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झारखंड राजद को किंग मेकर बनने की है चाहत, 2024 के लिए 18 विधानसभा सीटों पर नजर - Rashtriya Janata Dal in Jharkhand

झारखंड राजद साल 2024 में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगा. इसको लेकर पार्टी संगठन को मजबूत करने की तैयारी में जुट गई है. इसके साथ ही 18 विधानसभा सीटों को भी चिन्हित किया गया है, जहां राजद अपना प्रत्याशी उतारेगा.

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झारखंड राजद को किंग मेकर बनने की है चाहत
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Published : Aug 24, 2022, 6:34 PM IST

रांचीः झारखंड में राष्ट्रीय जनता दल के एक विधायक है और हेमंत सोरेन की महागठबंधन की सरकार में शामिल हैं. लेकिन झारखंड राजद खुश नहीं है. राज्य की राजनीति में खासकर महागठबंधन में अपनी धमक फिर से पाना चाहता है, ताकि पार्टी झारखंड से राज्यसभा में सदस्य भेज सकें. इसको लेकर झारखंड राजद संगठन को मजबूत करने में जुट गई है. इसके साथ ही 2024 में होने वाली झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) को लेकर 18 सीटों पर तैयारी भी शुरू कर दी है.

यह भी पढ़ेंः बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने पर झारखंड में जश्न, राजद कार्यकर्ताओं ने मनाई होली और दिवाली

2014 के विधानसभा चुनाव में शून्य पर क्लीन बोल्ड होने वाली लालू की पार्टी ने 2019 में चतरा विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी. लेकिन राज्य में राजनीतिक ताकत नहीं बढ़ी. झारखंड राजद के नेता और पार्टी के राज्य निर्वाचन अधिकारी अनिता यादव कहती हैं कि हम गठबंधन में हैं, आगे भी रहेंगे. लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान क्या होगा. यह अभी कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि अगला विधानसभा चुनाव बाद गठबंधन होगा.

क्या कहती हैं राजद नेता

झारखंड राज्य बनने के समय साल 2000 में राजद के 9 विधायक हुआ करते थे. साल 2005 के विधानसभा चुनाव में राजद विधायकों की संख्या घटकर 7 हो गई. साल 2009 के विधानसभा चुनाव में राजद के विधायकों की संख्या 5 पर पहुंच गई. इसके बाद राजद विधायकों की संख्या शून्य हो गई. 2014 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल का खाता नहीं खुला. लेकिन 2019 में विधानसभा चुनाव महागठबंधन में शामिल होकर लड़ी और चतरा सीट पर जीत दर्ज की.

झारखंड राजद संगठन के निर्वाचन पदाधिकारी अनिता यादव कहती हैं कि हम झारखंड में सत्ता में शामिल हैं. हम महागठबंधन में आगे शामिल होना चाहेंगे. लेकिन गठबंधन चुनाव बाद होगा. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद पलामू दौरे पह पहुंचे थे तो सभी 81 सीटों पर तैयारी करने का निर्देश दिए थे. हालांकि, पार्टी ने 18 ऐसी सीटों को चिन्हित किया गया है, जहां राजद ने हर हाल में उम्मीदवार देने का मन बना रखा है.


राजद नेता अनिता यादव ने कहा कि राज्य में कभी 9 विधायक थे. उन्होंने कहा कि हम महागठबंधन धर्म को निभाने में धीरे धीरे सीटें छोड़ते चले गए. इससे राजद के सिर्फ एक विधायक हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में पहले संगठन को मजबूत करना है. उन्होंने कहा कि राजद ने 18 सीटों की एक सूची बनाई है, जहां 2024 विधानसभा चुनाव में राजद अपना प्रत्याशी उतारेगा.


झारखंड राष्ट्रीय जनता दल ने जिन 18 विधानसभा सीटों को चिन्हित किया है. इसमें पहले नंबर पर गढ़वा है, जहां से झामुमो के विधायक मिथिलेश ठाकुर है. राजद का तर्क है कि यह सीट परंपरागत रूप से राजद की रही है और दो बार राजद की जीत हुई है. इसके अलावे भवनाथपुर, विश्रामपुर, हुसैनाबाद, छतरपुर, पांकी, मनिका, लातेहार, चतरा, कोडरमा, देवघर, गोड्डा, जमुआ, सारठ, बरकट्ठा, गांडेय, महगामा और हटिया विधानसभा सीट शामिल हैं.

जाहिर है कि इस सूची में गढ़वा, गांडेय और लातेहार के शामिल होने से झामुमो असहज होगा. इसकी वजह है कि इन तीनों सीटों पर जेएमएम जीती हुई है. इसी तरह मनिका और महगामा सीट पर कांग्रेस को परेशानी होना तय है. पार्टी सूत्र बताते हैं कि 2019 में विश्रामपुर सीट के लिए कांग्रेस और राजद के बीच खींचतान के बीच तेजस्वी यादव ने अकेले चुनाव लड़ने का करीब करीब फैसला कर लिया था. लेकिन भाजपा को सत्ता से दूर करने के लिए लालू प्रसाद ने विश्रामपुर सीट कांग्रेस को देकर और बदले में बरकट्ठा लेकर गठबंधन को बचा लिया था.

रांचीः झारखंड में राष्ट्रीय जनता दल के एक विधायक है और हेमंत सोरेन की महागठबंधन की सरकार में शामिल हैं. लेकिन झारखंड राजद खुश नहीं है. राज्य की राजनीति में खासकर महागठबंधन में अपनी धमक फिर से पाना चाहता है, ताकि पार्टी झारखंड से राज्यसभा में सदस्य भेज सकें. इसको लेकर झारखंड राजद संगठन को मजबूत करने में जुट गई है. इसके साथ ही 2024 में होने वाली झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) को लेकर 18 सीटों पर तैयारी भी शुरू कर दी है.

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2014 के विधानसभा चुनाव में शून्य पर क्लीन बोल्ड होने वाली लालू की पार्टी ने 2019 में चतरा विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी. लेकिन राज्य में राजनीतिक ताकत नहीं बढ़ी. झारखंड राजद के नेता और पार्टी के राज्य निर्वाचन अधिकारी अनिता यादव कहती हैं कि हम गठबंधन में हैं, आगे भी रहेंगे. लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान क्या होगा. यह अभी कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि अगला विधानसभा चुनाव बाद गठबंधन होगा.

क्या कहती हैं राजद नेता

झारखंड राज्य बनने के समय साल 2000 में राजद के 9 विधायक हुआ करते थे. साल 2005 के विधानसभा चुनाव में राजद विधायकों की संख्या घटकर 7 हो गई. साल 2009 के विधानसभा चुनाव में राजद के विधायकों की संख्या 5 पर पहुंच गई. इसके बाद राजद विधायकों की संख्या शून्य हो गई. 2014 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल का खाता नहीं खुला. लेकिन 2019 में विधानसभा चुनाव महागठबंधन में शामिल होकर लड़ी और चतरा सीट पर जीत दर्ज की.

झारखंड राजद संगठन के निर्वाचन पदाधिकारी अनिता यादव कहती हैं कि हम झारखंड में सत्ता में शामिल हैं. हम महागठबंधन में आगे शामिल होना चाहेंगे. लेकिन गठबंधन चुनाव बाद होगा. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद पलामू दौरे पह पहुंचे थे तो सभी 81 सीटों पर तैयारी करने का निर्देश दिए थे. हालांकि, पार्टी ने 18 ऐसी सीटों को चिन्हित किया गया है, जहां राजद ने हर हाल में उम्मीदवार देने का मन बना रखा है.


राजद नेता अनिता यादव ने कहा कि राज्य में कभी 9 विधायक थे. उन्होंने कहा कि हम महागठबंधन धर्म को निभाने में धीरे धीरे सीटें छोड़ते चले गए. इससे राजद के सिर्फ एक विधायक हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में पहले संगठन को मजबूत करना है. उन्होंने कहा कि राजद ने 18 सीटों की एक सूची बनाई है, जहां 2024 विधानसभा चुनाव में राजद अपना प्रत्याशी उतारेगा.


झारखंड राष्ट्रीय जनता दल ने जिन 18 विधानसभा सीटों को चिन्हित किया है. इसमें पहले नंबर पर गढ़वा है, जहां से झामुमो के विधायक मिथिलेश ठाकुर है. राजद का तर्क है कि यह सीट परंपरागत रूप से राजद की रही है और दो बार राजद की जीत हुई है. इसके अलावे भवनाथपुर, विश्रामपुर, हुसैनाबाद, छतरपुर, पांकी, मनिका, लातेहार, चतरा, कोडरमा, देवघर, गोड्डा, जमुआ, सारठ, बरकट्ठा, गांडेय, महगामा और हटिया विधानसभा सीट शामिल हैं.

जाहिर है कि इस सूची में गढ़वा, गांडेय और लातेहार के शामिल होने से झामुमो असहज होगा. इसकी वजह है कि इन तीनों सीटों पर जेएमएम जीती हुई है. इसी तरह मनिका और महगामा सीट पर कांग्रेस को परेशानी होना तय है. पार्टी सूत्र बताते हैं कि 2019 में विश्रामपुर सीट के लिए कांग्रेस और राजद के बीच खींचतान के बीच तेजस्वी यादव ने अकेले चुनाव लड़ने का करीब करीब फैसला कर लिया था. लेकिन भाजपा को सत्ता से दूर करने के लिए लालू प्रसाद ने विश्रामपुर सीट कांग्रेस को देकर और बदले में बरकट्ठा लेकर गठबंधन को बचा लिया था.

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