रांची: झारखंड में 27 फरवरी की आधी रात के बाद अपराधियों का राज कायम हो सकता है. अपराधी खुलेआम वारदात को अंजाम देते नजर आएंगे, लेकिन उन्हें रोकने वाली पुलिस न थाना में मौजूद रहेगी और न ही सड़कों पर.
सामूहिक अवकाश
27 फरवरी की आधी रात से झारखंड के 70 हजार पुलिसवाले पांच दिनों के लिए सामूहिक अवकाश पर जाने वाले हैं. झारखंड पुलिस के सभी एसोसिएशन ने पुलिस मुख्यालय को स्पष्ट कर दिया है कि अगर 27 फरवरी की रात 11 बजे तक उनकी सात सूत्री मांगों को नहीं मानी गई तो वे सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे.
सात सूत्री मांग
बता दें कि अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे झारखंड के 70 हजार पुलिसकर्मी तीन चरणों के आंदोलन में दो चरण पूरा कर चुके हैं. तीसरे चरण का आंदोलन जो 27 फरवरी की आधी रात से शुरू होने वाला है. वह झारखंड के लिए काफी खतरनाक हो साबित हो सकता है.
27 फरवरी से हड़ताल
मुख्यालय से हर तरह की वार्ता विफल होने के बाद झारखंड पुलिस एसोसिएशन के बैनर के तले 70 हजार पुलिसकर्मी एक साथ अवकाश पर जाने को लेकर अपनी तैयारियां कर रहे हैं. झारखंड पुलिस एसोसिएशन के महामंत्री अक्षय राम के अनुसार पुलिस मुख्यालय के स्तर से उनकी मांगों पर विचार के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. ऐसे में उनके पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है. महामंत्री के अनुसार 27 फरवरी की आधी रात के बाद पुलिसवाले अपने हथियार जमा कर अवकाश पर चले जाएंगे. उसके बाद अगर राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति गड़बड़ाती है तो उसके लिए मुख्यालय और सरकार जिम्मेवार होगा.
आंदोलन की तैयारी
एक तरफ पुलिसवाले अपने आंदोलन को लेकर पूरी तैयारियों के साथ मैदान में डटे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ पुलिस मुख्यालय लगातार उनसे अपना आंदोलन समाप्त करने का आग्रह ही करते नजर आ रहा है. झारखंड पुलिस के एडीजी अभियान सह वरीय पुलिस प्रवक्ता एमएल मीणा के अनुसार पुलिसकर्मियों की मांगों को लेकर लिखित मंतव्य सरकार के पास भेजा जा चुका है. अब उन मांगों पर सरकार को ही विचार करना है.
'कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी'
एडीजी के अनुसार, पुलिस कर्मियों के आंदोलन के लिए यह समय सही नहीं है. लोकसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है. ऐसे में पुलिसवालों को चुनाव को लेकर अपनी तैयारियों में लगना चाहिए. चुनाव के बाद उनकी मांगों पर विचार किया जा सकता है. पुलिस मुख्यालय ने यह भी इशारा किया है कि अगर आंदोलनरत पुलिसकर्मी सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला लेते हैं तो उन पर कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी.
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जनता पीसकर रह जाएगी
दरअसल, पिछले दो सालों से अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे पुलिसकर्मियों ने इस बार अपनी मांगें पूरी करवाने के निर्णय पर अड़े हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ पुलिस मुख्यालय हर बार की तरह इस बार भी आंदोलन को सिर्फ आश्वासन देकर खत्म करवाना चाहती है. अगर 27 फरवरी की रात से पुलिस वाले सामूहिक अवकाश पर चले जाते हैं तो मुख्यालय और उनकी लड़ाई के बीच आम जनता पीसकर रह जाएगी.
क्या है 7 सूत्री मांगें
- सिपाही से सीधे एसआई की भर्ती को रद्द किया जाए
- पुलिसकर्मियों को 13 माह का वेतन दिया जाए
- पुलिसकर्मियों को मिलने वाले भत्ते में वृद्धि की जाए
- एसीपी/एमसीपी की लंबित मामलों का जल्द निपटारा किया जाए
- शहीद पुलिसकर्मियों के आश्रितों को नौकरी हेतु निर्धारित उम्र सीमा में छूट दी जाए
- पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाए
- वरीय पुलिस पदाधिकारियों की तरह कनीय पुलिस पदाधिकारियों एवं कर्मियों को भी चिकित्सा सुविधा मिले