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डिप्रेशन से जूझ रहे झारखंड पुलिस के जवान, साथियों की मदद के लिए आगे आया मुख्यालय, अब होगा इलाज

झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा की पहल पर झारखंड पुलिस मुख्यालय ने वैसे तमाम पुलिस कर्मियों की सूची तैयार की है जो किसी न किसी वजह से डिप्रेशन में है. तैयार सूची के आधार पर अब उन पुलिसकर्मियों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध करवाई जाएगी, ताकि वे मानसिक अवसाद से बाहर निकले और अपनी ड्यूटी को बेहतरीन तरीके से निभा सकें.

Jharkhand Police Headquarters
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Published : Apr 5, 2022, 8:04 PM IST

Updated : Apr 5, 2022, 9:31 PM IST

रांची: देश के अलग-अलग हिस्सों से कई बार ऐसी खबरें सामने आती हैं जिनमें मानसिक तनाव में होने की वजह से पुलिसकर्मियों ने गलत कदम उठाने की बात होती है. झारखंड पुलिस में भी कई बार ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं, जिसमें मानसिक तनाव की वजह से पुलिसकर्मी ने अपनी जान दे दी है. ऐसी घटनाएं झारखंड पुलिस में ना हो इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने एक बड़ा प्रयास किया गया है.

झारखंड पुलिस मुख्यालय ने पिछले कुछ वर्षों में मानसिक तनाव के चलते अपने कुछ अफसरों और जवानों को खोने के बाद इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है. आईजी अमोल होमकर के अनुसार पुलिस का काम कठिन होता है. ऐसे में यह संभव है कि पारिवारिक कारणों सहित अन्य वजहों से पुलिस के जवान मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाते हैं, सही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण जवान डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

पिछले वर्ष ही आईजी अमोल होमकर ने राज्य के सभी एसीएसपी, एसपी और कमांडेंट को पत्र लिखकर जल्द से जल्द ऐसे सभी जवानों की सूची बनाकर हेडकॉर्टर को भेजने को कहा था, ताकि सही समय पर वैसे जवानों का उचित इलाज या काउंसलिंग कराया जा सके. ऐसे जवानों की सूची तैयार करवाने के पीछे एक मात्र मकसद है की मानसिक तनाव से गुजर रहे जवानों का विशेष ख्याल रखा जा सके और साथ ही विभाग जवानों को होने वाले मानसिक तनाव की प्रमुख वजह का पता लगा सके.




218 पुलिसकर्मियों की सूची तैयार: पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद झारखंड पुलिस के अलग-अलग विंग्स में पदस्थापित 218 पुलिसकर्मियों की लिस्ट तैयार की गई है, जो किसी न किसी वजह से मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. यह लिस्ट जवानों से बात कर, उनके पिछले मेडिकल हिस्ट्री और उनके साथियों से पूछताछ के आधार पर तैयार की गई है. हालांकि वे कौन-कौन से पुलिसकर्मी हैं और कहां काम कर रहे हैं इसे गुप्त रखा गया है, ताकि उनकी मानसिक स्थिति पर किसी तरह का असर न पड़े.



लिस्ट में शामिल जवानों की होगी काउंसिलिंग: झारखंड पुलिस के वैसे अफसर और जवान जो किसी न किसी वजह से मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं और उनका नाम 218 की लिस्ट में शामिल है अब उनकी काउंसलिंग की जाएगी. पुलिस मुख्यालय की तरफ से सभी जिलों के एसपी को यह निर्देश जारी किया गया है कि लिस्ट में शामिल सभी पुलिसकर्मियों से सीधे बातचीत कर उनकी समस्याओं को सुना जाए. इसके अलावा अगर उनकी समस्याएं पारिवारिक हैं या फिर ऑफिशियल दोनों को हल करने का प्रयास किया जाए. वहीं, अगर किसी पुलिसकर्मी को रांची स्थित रिनपास के वरीय चिकित्सकों की सलाह की जरूरत है तो उन्हें वह भी उपलब्ध करवाया जाएगा.



पुलिस लाइन में योग और स्ट्रेस दूर करने के उपाय किए जाएंगे: पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी को यह भी आदेश दिया है कि वह अपने-अपने जिलों में स्थित पुलिस लाइन में हर सप्ताह पुलिस कर्मियों के लिए योग क्लास करवाएं, साथ ही उनके स्ट्रेस को दूर करने के लिए नियमित रूप से उनके लिए किसी न किसी तरह का मनोरंजन के साधन उपलब्ध करवाएं.


बेहतरीन पहल: रांची के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार झारखंड पुलिस की यह पहल स्वागत योग्य है. पुलिस की नौकरी में काम को लेकर बहुत ज्यादा तनाव होता है. पेंडिंग मामलों का निपटारा, अपराधियों के धर पकड़ और कानून व्यस्था की जिम्मेदारी संभालने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. ऐसे में कोई भी मानसिक विकार का शिकार हो सकता है और इसकी वजह से उसके काम पर भी असर पड़ता है. डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार कोई भी व्यक्ति अगर मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो वह अपने किसी भी काम को अच्छे तरीके से नहीं कर पाएगा और अगर किसी की मानसिक स्थिति का पता पहले में ही चल जाए तो बेहतर है कि उसका इलाज करवाया जाए क्योंकि इलाज नहीं होने से कई तरह की घटनाएं भविष्य में घट सकती.

रांची: देश के अलग-अलग हिस्सों से कई बार ऐसी खबरें सामने आती हैं जिनमें मानसिक तनाव में होने की वजह से पुलिसकर्मियों ने गलत कदम उठाने की बात होती है. झारखंड पुलिस में भी कई बार ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं, जिसमें मानसिक तनाव की वजह से पुलिसकर्मी ने अपनी जान दे दी है. ऐसी घटनाएं झारखंड पुलिस में ना हो इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने एक बड़ा प्रयास किया गया है.

झारखंड पुलिस मुख्यालय ने पिछले कुछ वर्षों में मानसिक तनाव के चलते अपने कुछ अफसरों और जवानों को खोने के बाद इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है. आईजी अमोल होमकर के अनुसार पुलिस का काम कठिन होता है. ऐसे में यह संभव है कि पारिवारिक कारणों सहित अन्य वजहों से पुलिस के जवान मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाते हैं, सही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण जवान डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

पिछले वर्ष ही आईजी अमोल होमकर ने राज्य के सभी एसीएसपी, एसपी और कमांडेंट को पत्र लिखकर जल्द से जल्द ऐसे सभी जवानों की सूची बनाकर हेडकॉर्टर को भेजने को कहा था, ताकि सही समय पर वैसे जवानों का उचित इलाज या काउंसलिंग कराया जा सके. ऐसे जवानों की सूची तैयार करवाने के पीछे एक मात्र मकसद है की मानसिक तनाव से गुजर रहे जवानों का विशेष ख्याल रखा जा सके और साथ ही विभाग जवानों को होने वाले मानसिक तनाव की प्रमुख वजह का पता लगा सके.




218 पुलिसकर्मियों की सूची तैयार: पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद झारखंड पुलिस के अलग-अलग विंग्स में पदस्थापित 218 पुलिसकर्मियों की लिस्ट तैयार की गई है, जो किसी न किसी वजह से मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. यह लिस्ट जवानों से बात कर, उनके पिछले मेडिकल हिस्ट्री और उनके साथियों से पूछताछ के आधार पर तैयार की गई है. हालांकि वे कौन-कौन से पुलिसकर्मी हैं और कहां काम कर रहे हैं इसे गुप्त रखा गया है, ताकि उनकी मानसिक स्थिति पर किसी तरह का असर न पड़े.



लिस्ट में शामिल जवानों की होगी काउंसिलिंग: झारखंड पुलिस के वैसे अफसर और जवान जो किसी न किसी वजह से मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं और उनका नाम 218 की लिस्ट में शामिल है अब उनकी काउंसलिंग की जाएगी. पुलिस मुख्यालय की तरफ से सभी जिलों के एसपी को यह निर्देश जारी किया गया है कि लिस्ट में शामिल सभी पुलिसकर्मियों से सीधे बातचीत कर उनकी समस्याओं को सुना जाए. इसके अलावा अगर उनकी समस्याएं पारिवारिक हैं या फिर ऑफिशियल दोनों को हल करने का प्रयास किया जाए. वहीं, अगर किसी पुलिसकर्मी को रांची स्थित रिनपास के वरीय चिकित्सकों की सलाह की जरूरत है तो उन्हें वह भी उपलब्ध करवाया जाएगा.



पुलिस लाइन में योग और स्ट्रेस दूर करने के उपाय किए जाएंगे: पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी को यह भी आदेश दिया है कि वह अपने-अपने जिलों में स्थित पुलिस लाइन में हर सप्ताह पुलिस कर्मियों के लिए योग क्लास करवाएं, साथ ही उनके स्ट्रेस को दूर करने के लिए नियमित रूप से उनके लिए किसी न किसी तरह का मनोरंजन के साधन उपलब्ध करवाएं.


बेहतरीन पहल: रांची के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार झारखंड पुलिस की यह पहल स्वागत योग्य है. पुलिस की नौकरी में काम को लेकर बहुत ज्यादा तनाव होता है. पेंडिंग मामलों का निपटारा, अपराधियों के धर पकड़ और कानून व्यस्था की जिम्मेदारी संभालने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. ऐसे में कोई भी मानसिक विकार का शिकार हो सकता है और इसकी वजह से उसके काम पर भी असर पड़ता है. डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार कोई भी व्यक्ति अगर मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो वह अपने किसी भी काम को अच्छे तरीके से नहीं कर पाएगा और अगर किसी की मानसिक स्थिति का पता पहले में ही चल जाए तो बेहतर है कि उसका इलाज करवाया जाए क्योंकि इलाज नहीं होने से कई तरह की घटनाएं भविष्य में घट सकती.

Last Updated : Apr 5, 2022, 9:31 PM IST
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