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झारखंड हाई कोर्ट ने रिम्स के ट्यूटर नियुक्ति स्थाई करने के मामले मे हस्तक्षेप से किया इनकार, याचिका खारिज

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Published : Mar 25, 2022, 6:45 AM IST

झारखंड हाई कोर्ट ने रिम्स में ट्यूटर व शिक्षकों के पद पर नियुक्त अस्थायी चिकित्सकों को स्थायी करने के मामले में हस्तक्षेप से इंकार किया है. कोर्ट ने मेरिट के आधार पर याचिका खारिज करते स्थायी करने की मांग को गलत ठहराया है.

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स में ट्यूटर व शिक्षकों के पद पर नियुक्त अस्थायी चिकित्सकों को स्थायी करने के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने मेरिट के आधार पर याचिका खारिज करते हुए 25 नवंबर 2020 और 9 मार्च 2021 के पारित अंतरिम आदेश को भी वापस ले लिया है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से ट्यूटर के पद पर स्थायी करने की मांग करना न्यायोचित नहीं है, क्योंकि इससे पद पर अन्य योग्य लोगों को मौका नहीं मिल पायेगा. ये ट्यूटर तीन वर्षों के लिए ही अस्थायी सरकारी सेवक थे और उनके नियुक्ति पत्र में भी इसका उल्लेख था.

ये भी पढ़ें- बड़कागांव गोलीकांडः पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और पूर्व विधायक निर्मला देवी को 10-10 साल की सजा

कोर्ट में क्या हुआ: सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हाउस सर्जन का पद अब रिम्स में ट्यूटर, रेसीडेंट चिकित्सक और वरीय रेसीडेंट्स के नाम से परिभाषित हो गया है. मेडिकल काउंसिल के नियमों के तहत ही नियुक्तियां की गई. ऐसे में डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया की नीतियों के तहत यू टर्न नहीं लिया जा सकता है. कोर्ट को बताया गया कि ट्यूटर का पद एक स्थायी सृजित पद है और इसे एक टेन्योर पोस्ट पर तब्दील नहीं किया जा सकता. यह पद स्थायी स्तर का है जो सिर्फ तीन वर्ष के लिए ही सृजित किया गया था.

सीनियर रेसीडेंट का पद स्थायी नहीं हो सकता: कोर्ट ने कहा कि रणधीर कुमार बनाम झारखंड सरकार एवं अन्य मामले में यह आदेश दिया गया था कि सीनियर रेसीडेंट का पद स्थायी नहीं हो सकता है, क्योंकि वे सहायक प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत नहीं हो सकते हैं. अदालत में कहा गया कि रिम्स में 28 मार्च 2017 को विज्ञापन निकला था. यह विज्ञापन 19 फरवरी 2016 के विस्तार में निकाला गया था. इसमें स्पष्ट किया गया कि रिम्स के डेंटल विभाग में तीन वर्षों के लिए ट्यूटर की नियुक्ति होनी है. दिए गए नियुक्ति पत्र में किसी प्रकार की प्रोन्नति या विस्तार की मांग नहीं मानने का भी जिक्र था. इसके बाद राज्य सरकार ने असाधारण गजट प्रकाशित कर कहा था कि ट्यूटर, सीनियर रेसिडेंट का पद तीन वर्षों के लिए ही मान्य होगा.

पोस्ट को ब्लॉक रखने की इजाजत नहीं: कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पोस्ट को ब्लॉक रखने की इजाजत नहीं दी जायेगी. रिम्स प्रबंधन अगले बैच के ट्यूटर और सीनियर रेसिडेंट्स के पदों के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू करे. सभी पोस्ट ग्रैजुएट छात्रों को सहायक प्रोफेसर के पद पर यानी इंट्री लेवल के पदों पर तीन वर्ष की समाप्ति के बाद नियुक्त किया जाए. याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि उन्हें तीन वर्षों के बाद हटा दिया गया. इसके बाद उन लोगों ने स्वास्थ्य सचिव से लेकर कई जगहों पर स्थायीकरण की मांग को लेकर अपना आवेदन दिया, पर सुनवाई नहीं हुई.

कई डॉक्टरों ने दायर की थी याचिका: बता दें कि रिम्स की डॉ प्रियंका कुमारी, डॉ अनुभूति, डॉ अंजनी कुमार शुक्ला, डॉ नीरव दत्ता, डॉ तान्या खेतान, डॉ श्वेता टेकरीवाल, डॉ विशाल, डॉ प्रतीक, डॉ राहुल कुमार सिंह, डॉ ऋषण सिंह, डॉ मनीष गौतम, डॉ भावना गुप्ता, डॉ रुचिका गुप्ता, डॉ रोहित, डॉ वरुण देव कुमार, डॉ तपन कुमार मंडल, डॉ स्पर्श भास्कर श्रीवास्तव, डॉ प्रियरंजन और डॉ सुगंधा वर्मा ने याचिका दायर की थी.

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स में ट्यूटर व शिक्षकों के पद पर नियुक्त अस्थायी चिकित्सकों को स्थायी करने के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने मेरिट के आधार पर याचिका खारिज करते हुए 25 नवंबर 2020 और 9 मार्च 2021 के पारित अंतरिम आदेश को भी वापस ले लिया है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से ट्यूटर के पद पर स्थायी करने की मांग करना न्यायोचित नहीं है, क्योंकि इससे पद पर अन्य योग्य लोगों को मौका नहीं मिल पायेगा. ये ट्यूटर तीन वर्षों के लिए ही अस्थायी सरकारी सेवक थे और उनके नियुक्ति पत्र में भी इसका उल्लेख था.

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कोर्ट में क्या हुआ: सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हाउस सर्जन का पद अब रिम्स में ट्यूटर, रेसीडेंट चिकित्सक और वरीय रेसीडेंट्स के नाम से परिभाषित हो गया है. मेडिकल काउंसिल के नियमों के तहत ही नियुक्तियां की गई. ऐसे में डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया की नीतियों के तहत यू टर्न नहीं लिया जा सकता है. कोर्ट को बताया गया कि ट्यूटर का पद एक स्थायी सृजित पद है और इसे एक टेन्योर पोस्ट पर तब्दील नहीं किया जा सकता. यह पद स्थायी स्तर का है जो सिर्फ तीन वर्ष के लिए ही सृजित किया गया था.

सीनियर रेसीडेंट का पद स्थायी नहीं हो सकता: कोर्ट ने कहा कि रणधीर कुमार बनाम झारखंड सरकार एवं अन्य मामले में यह आदेश दिया गया था कि सीनियर रेसीडेंट का पद स्थायी नहीं हो सकता है, क्योंकि वे सहायक प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत नहीं हो सकते हैं. अदालत में कहा गया कि रिम्स में 28 मार्च 2017 को विज्ञापन निकला था. यह विज्ञापन 19 फरवरी 2016 के विस्तार में निकाला गया था. इसमें स्पष्ट किया गया कि रिम्स के डेंटल विभाग में तीन वर्षों के लिए ट्यूटर की नियुक्ति होनी है. दिए गए नियुक्ति पत्र में किसी प्रकार की प्रोन्नति या विस्तार की मांग नहीं मानने का भी जिक्र था. इसके बाद राज्य सरकार ने असाधारण गजट प्रकाशित कर कहा था कि ट्यूटर, सीनियर रेसिडेंट का पद तीन वर्षों के लिए ही मान्य होगा.

पोस्ट को ब्लॉक रखने की इजाजत नहीं: कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पोस्ट को ब्लॉक रखने की इजाजत नहीं दी जायेगी. रिम्स प्रबंधन अगले बैच के ट्यूटर और सीनियर रेसिडेंट्स के पदों के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू करे. सभी पोस्ट ग्रैजुएट छात्रों को सहायक प्रोफेसर के पद पर यानी इंट्री लेवल के पदों पर तीन वर्ष की समाप्ति के बाद नियुक्त किया जाए. याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि उन्हें तीन वर्षों के बाद हटा दिया गया. इसके बाद उन लोगों ने स्वास्थ्य सचिव से लेकर कई जगहों पर स्थायीकरण की मांग को लेकर अपना आवेदन दिया, पर सुनवाई नहीं हुई.

कई डॉक्टरों ने दायर की थी याचिका: बता दें कि रिम्स की डॉ प्रियंका कुमारी, डॉ अनुभूति, डॉ अंजनी कुमार शुक्ला, डॉ नीरव दत्ता, डॉ तान्या खेतान, डॉ श्वेता टेकरीवाल, डॉ विशाल, डॉ प्रतीक, डॉ राहुल कुमार सिंह, डॉ ऋषण सिंह, डॉ मनीष गौतम, डॉ भावना गुप्ता, डॉ रुचिका गुप्ता, डॉ रोहित, डॉ वरुण देव कुमार, डॉ तपन कुमार मंडल, डॉ स्पर्श भास्कर श्रीवास्तव, डॉ प्रियरंजन और डॉ सुगंधा वर्मा ने याचिका दायर की थी.

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