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HC ने कहा- खनन पट्टा और शेल कंपनी मामले में PIL सुनवाई योग्य, जेएमएम और बीजेपी ने दी प्रतिक्रिया - Jharkhand news

झारखंड हाई कोर्ट ने शुक्रवार को यह फैसला दिया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन पट्टा और शेल कंपनी में भागीदारी से जुड़े दोनों पीआईएल सुनने योग्य है. हाई कोर्ट का यह फैसला सीएम हेमंत सोरेन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इसके बाद बीजेपी और झामुमो ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

mining lease and shell company case
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Published : Jun 3, 2022, 8:49 PM IST

Updated : Jun 3, 2022, 9:12 PM IST

रांची: मुख्यमंत्री के खनन पट्टा और शेल कंपनी में भागीदारी से जुड़े दोनों पीआईएल को हाई कोर्ट द्वारा सुनवाई के योग्य बताये जाने के बाद इसपर सियासत तेज हो गई है. विपक्षी दल बीजेपी ने सरकार के कामकाज और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगे आरोप पर तंज कसा है. हालांकि झामुमो का कहना है कि इस मामले में सीएम की ओर से मजबूती से हाई कोर्ट में अफना पक्ष रखा जाएगा.

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने हाई कोर्ट द्वारा दिए गये फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जिस तरह से हाई कोर्ट ने देवघर डीसी को रात 8 बजे तक हाई कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है उससे साफ लगता है कि राज्य में कामकाज कैसा चल रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उनपर लगे आरोपों की जांच में लगी एजेंसी को सहयोग करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: सीएम से जुड़ा खनन पट्टा और शेल कंपनी मामले में दायर दोनों पीआईएल सुनवाई के योग्य, झारखंड हाई कोर्ट का फैसला

इधर, झामुमो ने हाईकोर्ट के द्वारा दिये गये फैसले पर संयमित प्रतिक्रिया व्यक्त की है. झामुमो विधायक सुदिव्य सोनू ने कहा कि न्यायालय का जो भी आदेश आया है उसका सम्मान किया जाएगा और इस केस में मुख्यमंत्री की ओर से न्यायालय में जो पक्ष रख रहे हैं वह और मजबूती से पक्ष रखेंगे.

देखें वीडियो

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मुख्यमंत्री के खनन लीज और शेल कंपनी में भागीदारी से जुड़े दोनों पीआईएल को सुनवाई के योग्य बताया है. कोर्ट ने खनन लीज से जुड़े पीआईएल संख्या 727 और शेल कंपनी से जुड़े पीआईएल संख्या 4290 को मेंटेनेबल बताया है. इस पर हाई कोर्ट ने 80 पेज का आर्डर जारी किया है. वहीं एक दूसरे मामले में झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश कुमार की अदालत ने देवघर के डीसी मंजूनाथ भजंत्री और मोहनपुर के सीओ को रात 8 बजे तक कोर्ट में सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से कहा है कि अगर आज रात 8 बजे तक दोनों को कोर्ट में हाजिर नहीं कराया गया तो गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया जाएगा. कोर्ट के इस आदेश की कॉपी फैक्स के जरिए मुख्य सचिव, देवघर के डीसी और मोहनपुर के सीओ को प्रेषित कर दी. यह मामला बैद्यनाथपुर मौजा के मोहनपुर सर्किल स्थित 3180 स्क्वायर फीट जमीन के पोजेशन सर्टिफिकेट से जुड़ा हुआ है.

याचिकाकर्ता सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले को लेकर साल 2021 में रीट पिटीशन दायर किया था. इसमें रजिस्ट्रेशन विभाग के प्रधान सचिव, रजिस्ट्रेशन विभाग के इंस्पेक्टर जनरल, देवघर से रजिस्ट्रार सह जिलाधिकारी, देवघर के जिला सब रजिस्ट्रार और सीओ को पार्टी बनाया गया था. सरकार की तरफ से अधिवक्ता दीपक कुमार दूबे ने बताया कि मामला लैंड पोजेशन सर्टिफिकेट से जुड़ा हुआ है. उनका दावा है कि याचिकर्ता के रिट पिटिशन में लैंड पोजेशन सर्टिफिकेट का जिक्र नहीं था. बाद में याचिकाकर्ता की तरफ से सप्लीमेंट्री फाइल की गई. उसी दौरान राज्य सरकार की ओर से काउंटर एफीडेविट फाइल कर याचिकाकर्ता को लैंड पोजेशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन देने को कहा गया था.

रांची: मुख्यमंत्री के खनन पट्टा और शेल कंपनी में भागीदारी से जुड़े दोनों पीआईएल को हाई कोर्ट द्वारा सुनवाई के योग्य बताये जाने के बाद इसपर सियासत तेज हो गई है. विपक्षी दल बीजेपी ने सरकार के कामकाज और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगे आरोप पर तंज कसा है. हालांकि झामुमो का कहना है कि इस मामले में सीएम की ओर से मजबूती से हाई कोर्ट में अफना पक्ष रखा जाएगा.

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने हाई कोर्ट द्वारा दिए गये फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जिस तरह से हाई कोर्ट ने देवघर डीसी को रात 8 बजे तक हाई कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है उससे साफ लगता है कि राज्य में कामकाज कैसा चल रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उनपर लगे आरोपों की जांच में लगी एजेंसी को सहयोग करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: सीएम से जुड़ा खनन पट्टा और शेल कंपनी मामले में दायर दोनों पीआईएल सुनवाई के योग्य, झारखंड हाई कोर्ट का फैसला

इधर, झामुमो ने हाईकोर्ट के द्वारा दिये गये फैसले पर संयमित प्रतिक्रिया व्यक्त की है. झामुमो विधायक सुदिव्य सोनू ने कहा कि न्यायालय का जो भी आदेश आया है उसका सम्मान किया जाएगा और इस केस में मुख्यमंत्री की ओर से न्यायालय में जो पक्ष रख रहे हैं वह और मजबूती से पक्ष रखेंगे.

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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मुख्यमंत्री के खनन लीज और शेल कंपनी में भागीदारी से जुड़े दोनों पीआईएल को सुनवाई के योग्य बताया है. कोर्ट ने खनन लीज से जुड़े पीआईएल संख्या 727 और शेल कंपनी से जुड़े पीआईएल संख्या 4290 को मेंटेनेबल बताया है. इस पर हाई कोर्ट ने 80 पेज का आर्डर जारी किया है. वहीं एक दूसरे मामले में झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश कुमार की अदालत ने देवघर के डीसी मंजूनाथ भजंत्री और मोहनपुर के सीओ को रात 8 बजे तक कोर्ट में सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से कहा है कि अगर आज रात 8 बजे तक दोनों को कोर्ट में हाजिर नहीं कराया गया तो गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया जाएगा. कोर्ट के इस आदेश की कॉपी फैक्स के जरिए मुख्य सचिव, देवघर के डीसी और मोहनपुर के सीओ को प्रेषित कर दी. यह मामला बैद्यनाथपुर मौजा के मोहनपुर सर्किल स्थित 3180 स्क्वायर फीट जमीन के पोजेशन सर्टिफिकेट से जुड़ा हुआ है.

याचिकाकर्ता सुनील कुमार शर्मा ने इस मामले को लेकर साल 2021 में रीट पिटीशन दायर किया था. इसमें रजिस्ट्रेशन विभाग के प्रधान सचिव, रजिस्ट्रेशन विभाग के इंस्पेक्टर जनरल, देवघर से रजिस्ट्रार सह जिलाधिकारी, देवघर के जिला सब रजिस्ट्रार और सीओ को पार्टी बनाया गया था. सरकार की तरफ से अधिवक्ता दीपक कुमार दूबे ने बताया कि मामला लैंड पोजेशन सर्टिफिकेट से जुड़ा हुआ है. उनका दावा है कि याचिकर्ता के रिट पिटिशन में लैंड पोजेशन सर्टिफिकेट का जिक्र नहीं था. बाद में याचिकाकर्ता की तरफ से सप्लीमेंट्री फाइल की गई. उसी दौरान राज्य सरकार की ओर से काउंटर एफीडेविट फाइल कर याचिकाकर्ता को लैंड पोजेशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन देने को कहा गया था.

Last Updated : Jun 3, 2022, 9:12 PM IST
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