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21 साल के जवां झारखंड पर गहरे दाग, सरकारें बदली नहीं बदला सिस्टम

बिहार से अगल होकर हमने अपने सपनों का झारखंड (Jharkhand) बनाने की योजना 15 नवंबर 2000 में बनाई थी. लेकिन हमारे सपने कितना साकार हो पाए हैं इसे जानने के लिए जमीनी हकीकत देखनी होगी. हमने विकास तो किया लेकिन इन 21 सालों में कई दाग भी झारखंड पर लगे. झारखंड कभी मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) के लिए शर्मसार हुआ तो कभी भात-भात करते हुए भूख से मौत (Starved to Death) के मुंह में गई संतोषी ने सरकार और सिस्टम पर एक ऐसा सवाल खड़ा किया जिसका जवाब देना आसान नहीं है. हम आपको बताएंगे इन 21 सालों में किन मुद्दों ने झारखंड को पूरे भारत में बदनाम किया.

jharkhand foundation day 2021
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Published : Nov 15, 2021, 12:01 AM IST

रांची: 15 नवंबर, आज से ठीक 21 साल पहले झारखंड बिहार से अलग हो गया था. पूरे झारखंड (Jharkhand) में जश्न का माहौल था. मांदर और ढोल की थाप लोग नाच रहे थे. एक नया इतिहास लिखा जा चुका था. झारखंड राज्य बन चुका था. 'आबुआ दिशुम, आबुआ राज' का सपना पूरा हो चुका था. झारखंड के निर्माण के पीछे भी बिरसा मुंडा (Birsa Munda), तिलका मांझी (Tilka Manjhi), सिद्दु-कान्हु, चांद-भैरव, झुनी-फूलो, तेलंग खड़िया, शेख भिखारी और नीलांबर पीतांबर का सपना सच हुआ था.

झारखंड अलग हुआ तो सपना था कि सदियों से हाशिये पर रहे गरीब भूखे-नंगे और शोषित आदिवासियों का अब अबुआ राज होगा. आदिवासियों का उत्थान होगा और हर झारखंडवासी की उन्नति होगी. लेकिन 21 साल बाद आज झारखंड वहां खड़ा है जहां इसके दामन पर घोटाला, भुखमरी और मॉबलिंचिंग के दाग हैं. इसके अलावा राज्य के लगभग 16 जिले लाल चादर में लिपटे हुए हैं. जहां जंगलों में पेड़ पौधों और महुआ की खुशबू होनी चाहिए थी, वहां आज बारूद की गंध फैली हुई है. जंगलों में पंछियों की चहचहाट की जगह दहशत बोल रही है. प्रचुर संसाधन होने के बाद भी बेरोजगारी, अशिक्षा, बीमारी, कुपोषण, अराजकता और पलायन है.

बात करें घोटालों की तो राज्य बनने के साथ ही यहां घोटाले होने लगे. यही वजह है कि 21 साल के बाद भी झारखंड देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल है.

मैनहर्ट घोटाला

झारखंड बनने के बाद 2003 में झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने राज्य की राजधानी रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को विकसित करने का आदेश दिया. उस समय रांची में सिवरेज-ड्रेनेज के लिए दो परामर्शी का चयन किया गया. लेकिन कुछ दिनों बाद सरकार बदल गई. 2005 में अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) मुख्यमंत्री बने और रघुवर दास (Raghubar das) नगर विकास मंत्री बनाए गए. 2005 में रांची में सिरवरेज-ड्रेनेज निर्माण को लेकर डीपीआर बनाने के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट (Manhart) को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया. आरोप के मुताबिक इस पर तकरीबन 21 करोड़ रुपए खर्च हुए, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ.

jharkhand foundation day 2021
मैनहर्ट घोटाले में रघुवर दास पर उठी उंगली

कोयला घोटाला में मधु कोड़ा गए जेल

मधु कोड़ा (Madhu koda) ने मात्र 35 साल की उम्र में सितंबर 2006 को झारखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. उस दौरान कांग्रेस, झारखंड मु‌क्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, जअुआ मांझी ग्रुप, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, आल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक के अलावा तीन अन्य निर्दलीय विधायकों ने उन्हें समर्थन दिया. लेकिन सीएम बनने के बाद वे घोटाले में फंस गए उनपर कोयला घोटाला का आरोप है. कहा गया कि सरकार और इस्पात मंत्रालय ने इस कोल ब्लाक के आवंटन की अनुशंसा नहीं की थी. इसके बावजूद तत्कालीन कोयला सचिव एचसी गुप्ता और झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु की सदस्यता वाली 36 वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने राजहरा नार्थ कोल ब्लाक विसुल को देने की सिफारिश कर दी. इसको आधार बनाकर झारखंड की तत्कालीन मधु कोड़ा सरकार ने यह आवंटन कर दिया था. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने इस आवंटन के बदले अरबों रुपये की रिश्वतखोरी और हेराफेरी का आरोप लगाया. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने साल 2009 में रिपोर्ट दर्ज करायी. इसके कुछ ही दिन बाद मधु कोड़ा गिरफ्तार कर लिए गए थे. 2015 में कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी गई.

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मधु कोड़ा

34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन में घोटाला

34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन को झारखंड सरकार (Jharkhand Govrnment) ने एक अवसर के तौर पर लिया. इस आयोजन के लिए रांची में एक खेल गांव का निर्माण कराया गया. जहां एक ही कैंपस में कई तरह के खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा वाले स्टेडियम और खिलाड़ियों के रहने के लिए हॉस्टल का निर्माण किया गया. रांची के साथ-साथ धनबाद में भी कुछ खेलों का आयोजन किया गया ताकि धनबाद शहर में भी इसी बहाने विकास के काम हो जाए. इतने बड़े आयोजन में अरबों रुपए खर्च हुए. इन्हीं अरबों रुपए में से करोड़ों का घोटाला भी हो गया.

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खेल गांव, रांची

भुखमरी के लिए बदनाम रहा झारखंड

सिर्फ घोटाला ही नहीं झारखंड भुखमरी (starvation) के लिए भी बदनाम रहा है. 3 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले इस प्रदेश में करीब आधे लोगों को पर्याप्त खाना मयस्सर नहीं हो पाता है. करीब एक चौथाई लोगों को ही सिर्फ 2 वक्त का भोजन मिल पाता है. भूख से कथित मौत को लेकर झारखंड अक्सर सुर्खियों में रहता है. कई ऐसे मामले आए हैं जहां लोगों की मौत हुई और वजह बताई गई भूख. लेकिन, झारखंड में चाहे किसी की सरकार हो वह मानने को तैयार नहीं होती कि भूख से किसी की जान गई है. 28 सितंबर 2017 को झारखंड में 11 साल की एक बच्ची संतोषी की मौत हो गई. मां कोयली देवी ने आरोप लगाया था कि भूख से उसकी बेटी की जान गई है. ये फेहरिस्त काफी लंबी है. 9 अप्रैल 2020 को बोकारो के टीकाहरा पंचायत में एक 17 वर्षीय लड़की की कथित भूख से मौत हुई थी. 17 मई 2020 को लातेहार के हिसातू गांव जुगलाल भुइयां के घर दो दिन से खाना नहीं बना था. उसकी पांच साल की बेटी की मौत हो गई थी. बोकारो में मार्च 2020 में शंकरडीहा गांव में 12 साल की एक बच्ची की कथित भूख से मौत हो गई थी.

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संतोषी की मां

लाल चादर में लिपटे झारखंड के 16 जिले

21 साल में अतीत के पन्नों को पलटें तो विरासत में मिली नक्सलवाद (Naxalism) की समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं निकला है. झारखंड में नक्सली (Naxalites in Jharkhand) बड़ी चिंता का विषय हैं. पिछले 21 सालों में नक्सलियों को पूरी तरह खत्म करने में सरकारें नाकाम रही हैं. अब भी झारखंड के 16 जिले में नक्सलियों का प्रभाव है. जबकि 8 जिले ऐसे हैं जिसे केंद्र सरकार अतिनक्सलवाद प्रभावित मानती है. प्रदेश में 21 साल में 12 हजार से ज्यादा नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए हैं, जिसमें 2014 में 16, 2015 में 18, 2016 में पंद्रह, 2017 में चार, 2018 में पैतालिस, 2019 में 54 और 2020 में 15 उग्रवादी मारे गए. 2020 में 12 माह के दौरान नक्सलियों ने 121 वारदातों को अंजाम दिया था. इन हमलों में एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया जबकि 27 आम आदमी मारे गए. जबकि 2021 में अब तक नक्सली और उग्रवादी लगभग 60 घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. इस दौरान 1200 से अधिक नक्सली गिरफ्तार किए गए.

खूंटी के कोचांग गैंगरेप ने किया पूरे झारखंड को शर्मसार

झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) को नक्सल फ्रंट पर कामयाबी अनुमान से ज्यादा मिली लेकिन इस दौरान अपराध के आंकड़े बढ़ गए. झारखंड में अपराधी बेकाबू हो चुके हैं दुष्कर्म के कई ऐसे मामले हैं जिससे पूरा झारखंड शर्मसार हो गया. इन्हीं में से एक है खूंटी के कोचांग का गैंगरेप मामला 19 जून 2018 को पांच युवतियां को स्कूल से अगवाकर सामूहिक बलात्कार किया गया था. जिन खौफनाक हालात से पीड़िताएं गुजरीं वह रोंगटे खड़े करने वाला है. प्राथमिकी के अनुसार नुक्कड़ नाटक में शामिल पुरुष सदस्यों को पेशाब पीने तक के लिए मजबूर किया गया, जबकि युवतियों से बेहद ही अमानवीय सलूक किया गया. पीड़िताओं ने दावा किया है कि स्कूल के फादर ने अपराधियों के साथ षड्यंत्र रचकर इस खौफनाक घटना को अंजाम दिलाया. इस मामले में निचली अदालत ने पादरी अल्फांसो सहित अन्य को दोषी पाया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी.

बूटी मोड़ में दुष्कर्म के बाद जिंदा जलाया

जब पूरा देश 16 दिसंबर 2016 को दिल्ली की निर्भया गैंगरेप की बरसी मना रहा था उसी वक्त झारखंड की राजधानी रांची में एक और निर्भया की गैंगरेप के बाद जलाकर हत्या कर दी गई. रांची के बूटी मोड़ इलाके में एक इंजीनियरिंग की 19 वर्षीया छात्रा की शुक्रवार को कथित रूप से दुष्कर्म के बाद जलाकर निर्मम हत्या कर दी गयी. इस मामले ने पूरे झारखंड को झकझोर कर रख दिया.

रांची में लॉ की छात्रा से 12 लोगों ने किया गैंगरेप

दिल्ली के निर्भया की तर्ज पर ही रांची में 26 नवंबर 2019 को लॉ की एक छात्रा के साथ 12 लोगों ने सामूहित दुष्कर्म किया. वरदात को उस समय अंजाम दिया गया जब लड़की अपने दोस्त के साथ स्कूटी से यूनिवर्सिटी से लौट रही थी, उसी वक्त उसे संग्रामपुर ईंट भट्ठा फैक्ट्री के पास कार और एक बाइक सवार युवकों ने रोका. प्राथमिकि के मुताबिक नौ युवकों ने पीड़ित को उसके दोस्त के साथ रोका और लड़की को जबरन कार में बैठाया. इस दौरान उसके साथी को बंदूक की नोंक पर रोका गया. अपहरण के बाद लड़की को एक सुनसान जगह पर ले जाया गया, जहां तीन और युवक आ गए. छात्रा से कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उसे वहीं छोड़ दिया गया.

मॉब लिंचिंग लिंचिंग ने झारखंड को पूरी दुनिया में किया बदनाम

झारखंड में हुई मॉब लिंचिंग (Mob Lynching की वारदात ने न सिर्फ झारखंड को बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया. सरायकेला में 18 जून 2019 को चोरी करने के आरोप में तबरेज अंसारी की हत्या कर दी थी. कहा गया कि भीड़ ने जबरन उसे जय श्रीराम और जय हनुमान का नारा लगवाया. इसके बाद उसे इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई. इस घटना के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संसद में जिक्र करते हुए कहा कि झारखंड को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए. इस मॉब लिंचिंग में पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया और सलाखों के पीछे भेजा.

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मॉब लिंचिंग का शिकार तबरेज आलम

झारखंड में हेट क्राइम (hate crime) का लंबा इतिहास रहा है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2013 से 2016 के डायन बताकर मारपीट मामले में झारखंड टॉप पर रहा है. पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, साल 2016 से 2019 के बीच करीब 14 मामले मॉब लिंचिंग के देखे गए हैं. इनमें 7 मामले 2017 में दर्ज किए गए, जबकि 5 एफआईआर 2018 में दर्ज की गई हैं. वहीं, 2019 में 4 मामले मॉब लिंचिंग के सामने आ चुके हैं. वहीं हेमंत राज में भी कई लोग मॉब लिंचिंग के शिकार हुए हैं. इनमें 11 आदिवासी, तीन मुसलमान और चार हिंदू हैं. ये सभी घटनाएं अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच हुई हैं.

डायनबिसाही झारखंड के माथे पर कलंक

झारखंड में डायन बिसाही (witchcraft in jharkhand) के मामले भी अक्सर आते रहते हैं. 2016 में राज्य में ऐसे 27 मामले दर्ज किए गए थे और 2001 से 2016 के बीच कुल 523 ऐसे मामले सामने आए हैं. इन सभी महिलाओं को बेदर्दी से पीट-पीटकर मार डाला गया. इस साल राष्ट्रपति ने झारखंड की छुटनी देवी को पद्मश्री से सम्मानित किया है. छुटनी देवी झारखंड में डायन प्रथा को खत्म करने पर काम कर रहीं हैं. अब तक उन्होंने 62 महिलाओं को डायन प्रथा के प्रकोप से बचाया है.

रांची: 15 नवंबर, आज से ठीक 21 साल पहले झारखंड बिहार से अलग हो गया था. पूरे झारखंड (Jharkhand) में जश्न का माहौल था. मांदर और ढोल की थाप लोग नाच रहे थे. एक नया इतिहास लिखा जा चुका था. झारखंड राज्य बन चुका था. 'आबुआ दिशुम, आबुआ राज' का सपना पूरा हो चुका था. झारखंड के निर्माण के पीछे भी बिरसा मुंडा (Birsa Munda), तिलका मांझी (Tilka Manjhi), सिद्दु-कान्हु, चांद-भैरव, झुनी-फूलो, तेलंग खड़िया, शेख भिखारी और नीलांबर पीतांबर का सपना सच हुआ था.

झारखंड अलग हुआ तो सपना था कि सदियों से हाशिये पर रहे गरीब भूखे-नंगे और शोषित आदिवासियों का अब अबुआ राज होगा. आदिवासियों का उत्थान होगा और हर झारखंडवासी की उन्नति होगी. लेकिन 21 साल बाद आज झारखंड वहां खड़ा है जहां इसके दामन पर घोटाला, भुखमरी और मॉबलिंचिंग के दाग हैं. इसके अलावा राज्य के लगभग 16 जिले लाल चादर में लिपटे हुए हैं. जहां जंगलों में पेड़ पौधों और महुआ की खुशबू होनी चाहिए थी, वहां आज बारूद की गंध फैली हुई है. जंगलों में पंछियों की चहचहाट की जगह दहशत बोल रही है. प्रचुर संसाधन होने के बाद भी बेरोजगारी, अशिक्षा, बीमारी, कुपोषण, अराजकता और पलायन है.

बात करें घोटालों की तो राज्य बनने के साथ ही यहां घोटाले होने लगे. यही वजह है कि 21 साल के बाद भी झारखंड देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल है.

मैनहर्ट घोटाला

झारखंड बनने के बाद 2003 में झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने राज्य की राजधानी रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को विकसित करने का आदेश दिया. उस समय रांची में सिवरेज-ड्रेनेज के लिए दो परामर्शी का चयन किया गया. लेकिन कुछ दिनों बाद सरकार बदल गई. 2005 में अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) मुख्यमंत्री बने और रघुवर दास (Raghubar das) नगर विकास मंत्री बनाए गए. 2005 में रांची में सिरवरेज-ड्रेनेज निर्माण को लेकर डीपीआर बनाने के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट (Manhart) को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया. आरोप के मुताबिक इस पर तकरीबन 21 करोड़ रुपए खर्च हुए, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ.

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मैनहर्ट घोटाले में रघुवर दास पर उठी उंगली

कोयला घोटाला में मधु कोड़ा गए जेल

मधु कोड़ा (Madhu koda) ने मात्र 35 साल की उम्र में सितंबर 2006 को झारखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. उस दौरान कांग्रेस, झारखंड मु‌क्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, जअुआ मांझी ग्रुप, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, आल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक के अलावा तीन अन्य निर्दलीय विधायकों ने उन्हें समर्थन दिया. लेकिन सीएम बनने के बाद वे घोटाले में फंस गए उनपर कोयला घोटाला का आरोप है. कहा गया कि सरकार और इस्पात मंत्रालय ने इस कोल ब्लाक के आवंटन की अनुशंसा नहीं की थी. इसके बावजूद तत्कालीन कोयला सचिव एचसी गुप्ता और झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु की सदस्यता वाली 36 वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने राजहरा नार्थ कोल ब्लाक विसुल को देने की सिफारिश कर दी. इसको आधार बनाकर झारखंड की तत्कालीन मधु कोड़ा सरकार ने यह आवंटन कर दिया था. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने इस आवंटन के बदले अरबों रुपये की रिश्वतखोरी और हेराफेरी का आरोप लगाया. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने साल 2009 में रिपोर्ट दर्ज करायी. इसके कुछ ही दिन बाद मधु कोड़ा गिरफ्तार कर लिए गए थे. 2015 में कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी गई.

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मधु कोड़ा

34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन में घोटाला

34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन को झारखंड सरकार (Jharkhand Govrnment) ने एक अवसर के तौर पर लिया. इस आयोजन के लिए रांची में एक खेल गांव का निर्माण कराया गया. जहां एक ही कैंपस में कई तरह के खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा वाले स्टेडियम और खिलाड़ियों के रहने के लिए हॉस्टल का निर्माण किया गया. रांची के साथ-साथ धनबाद में भी कुछ खेलों का आयोजन किया गया ताकि धनबाद शहर में भी इसी बहाने विकास के काम हो जाए. इतने बड़े आयोजन में अरबों रुपए खर्च हुए. इन्हीं अरबों रुपए में से करोड़ों का घोटाला भी हो गया.

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खेल गांव, रांची

भुखमरी के लिए बदनाम रहा झारखंड

सिर्फ घोटाला ही नहीं झारखंड भुखमरी (starvation) के लिए भी बदनाम रहा है. 3 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले इस प्रदेश में करीब आधे लोगों को पर्याप्त खाना मयस्सर नहीं हो पाता है. करीब एक चौथाई लोगों को ही सिर्फ 2 वक्त का भोजन मिल पाता है. भूख से कथित मौत को लेकर झारखंड अक्सर सुर्खियों में रहता है. कई ऐसे मामले आए हैं जहां लोगों की मौत हुई और वजह बताई गई भूख. लेकिन, झारखंड में चाहे किसी की सरकार हो वह मानने को तैयार नहीं होती कि भूख से किसी की जान गई है. 28 सितंबर 2017 को झारखंड में 11 साल की एक बच्ची संतोषी की मौत हो गई. मां कोयली देवी ने आरोप लगाया था कि भूख से उसकी बेटी की जान गई है. ये फेहरिस्त काफी लंबी है. 9 अप्रैल 2020 को बोकारो के टीकाहरा पंचायत में एक 17 वर्षीय लड़की की कथित भूख से मौत हुई थी. 17 मई 2020 को लातेहार के हिसातू गांव जुगलाल भुइयां के घर दो दिन से खाना नहीं बना था. उसकी पांच साल की बेटी की मौत हो गई थी. बोकारो में मार्च 2020 में शंकरडीहा गांव में 12 साल की एक बच्ची की कथित भूख से मौत हो गई थी.

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संतोषी की मां

लाल चादर में लिपटे झारखंड के 16 जिले

21 साल में अतीत के पन्नों को पलटें तो विरासत में मिली नक्सलवाद (Naxalism) की समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं निकला है. झारखंड में नक्सली (Naxalites in Jharkhand) बड़ी चिंता का विषय हैं. पिछले 21 सालों में नक्सलियों को पूरी तरह खत्म करने में सरकारें नाकाम रही हैं. अब भी झारखंड के 16 जिले में नक्सलियों का प्रभाव है. जबकि 8 जिले ऐसे हैं जिसे केंद्र सरकार अतिनक्सलवाद प्रभावित मानती है. प्रदेश में 21 साल में 12 हजार से ज्यादा नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए हैं, जिसमें 2014 में 16, 2015 में 18, 2016 में पंद्रह, 2017 में चार, 2018 में पैतालिस, 2019 में 54 और 2020 में 15 उग्रवादी मारे गए. 2020 में 12 माह के दौरान नक्सलियों ने 121 वारदातों को अंजाम दिया था. इन हमलों में एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया जबकि 27 आम आदमी मारे गए. जबकि 2021 में अब तक नक्सली और उग्रवादी लगभग 60 घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. इस दौरान 1200 से अधिक नक्सली गिरफ्तार किए गए.

खूंटी के कोचांग गैंगरेप ने किया पूरे झारखंड को शर्मसार

झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) को नक्सल फ्रंट पर कामयाबी अनुमान से ज्यादा मिली लेकिन इस दौरान अपराध के आंकड़े बढ़ गए. झारखंड में अपराधी बेकाबू हो चुके हैं दुष्कर्म के कई ऐसे मामले हैं जिससे पूरा झारखंड शर्मसार हो गया. इन्हीं में से एक है खूंटी के कोचांग का गैंगरेप मामला 19 जून 2018 को पांच युवतियां को स्कूल से अगवाकर सामूहिक बलात्कार किया गया था. जिन खौफनाक हालात से पीड़िताएं गुजरीं वह रोंगटे खड़े करने वाला है. प्राथमिकी के अनुसार नुक्कड़ नाटक में शामिल पुरुष सदस्यों को पेशाब पीने तक के लिए मजबूर किया गया, जबकि युवतियों से बेहद ही अमानवीय सलूक किया गया. पीड़िताओं ने दावा किया है कि स्कूल के फादर ने अपराधियों के साथ षड्यंत्र रचकर इस खौफनाक घटना को अंजाम दिलाया. इस मामले में निचली अदालत ने पादरी अल्फांसो सहित अन्य को दोषी पाया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी.

बूटी मोड़ में दुष्कर्म के बाद जिंदा जलाया

जब पूरा देश 16 दिसंबर 2016 को दिल्ली की निर्भया गैंगरेप की बरसी मना रहा था उसी वक्त झारखंड की राजधानी रांची में एक और निर्भया की गैंगरेप के बाद जलाकर हत्या कर दी गई. रांची के बूटी मोड़ इलाके में एक इंजीनियरिंग की 19 वर्षीया छात्रा की शुक्रवार को कथित रूप से दुष्कर्म के बाद जलाकर निर्मम हत्या कर दी गयी. इस मामले ने पूरे झारखंड को झकझोर कर रख दिया.

रांची में लॉ की छात्रा से 12 लोगों ने किया गैंगरेप

दिल्ली के निर्भया की तर्ज पर ही रांची में 26 नवंबर 2019 को लॉ की एक छात्रा के साथ 12 लोगों ने सामूहित दुष्कर्म किया. वरदात को उस समय अंजाम दिया गया जब लड़की अपने दोस्त के साथ स्कूटी से यूनिवर्सिटी से लौट रही थी, उसी वक्त उसे संग्रामपुर ईंट भट्ठा फैक्ट्री के पास कार और एक बाइक सवार युवकों ने रोका. प्राथमिकि के मुताबिक नौ युवकों ने पीड़ित को उसके दोस्त के साथ रोका और लड़की को जबरन कार में बैठाया. इस दौरान उसके साथी को बंदूक की नोंक पर रोका गया. अपहरण के बाद लड़की को एक सुनसान जगह पर ले जाया गया, जहां तीन और युवक आ गए. छात्रा से कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उसे वहीं छोड़ दिया गया.

मॉब लिंचिंग लिंचिंग ने झारखंड को पूरी दुनिया में किया बदनाम

झारखंड में हुई मॉब लिंचिंग (Mob Lynching की वारदात ने न सिर्फ झारखंड को बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया. सरायकेला में 18 जून 2019 को चोरी करने के आरोप में तबरेज अंसारी की हत्या कर दी थी. कहा गया कि भीड़ ने जबरन उसे जय श्रीराम और जय हनुमान का नारा लगवाया. इसके बाद उसे इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई. इस घटना के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संसद में जिक्र करते हुए कहा कि झारखंड को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए. इस मॉब लिंचिंग में पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया और सलाखों के पीछे भेजा.

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मॉब लिंचिंग का शिकार तबरेज आलम

झारखंड में हेट क्राइम (hate crime) का लंबा इतिहास रहा है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2013 से 2016 के डायन बताकर मारपीट मामले में झारखंड टॉप पर रहा है. पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, साल 2016 से 2019 के बीच करीब 14 मामले मॉब लिंचिंग के देखे गए हैं. इनमें 7 मामले 2017 में दर्ज किए गए, जबकि 5 एफआईआर 2018 में दर्ज की गई हैं. वहीं, 2019 में 4 मामले मॉब लिंचिंग के सामने आ चुके हैं. वहीं हेमंत राज में भी कई लोग मॉब लिंचिंग के शिकार हुए हैं. इनमें 11 आदिवासी, तीन मुसलमान और चार हिंदू हैं. ये सभी घटनाएं अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच हुई हैं.

डायनबिसाही झारखंड के माथे पर कलंक

झारखंड में डायन बिसाही (witchcraft in jharkhand) के मामले भी अक्सर आते रहते हैं. 2016 में राज्य में ऐसे 27 मामले दर्ज किए गए थे और 2001 से 2016 के बीच कुल 523 ऐसे मामले सामने आए हैं. इन सभी महिलाओं को बेदर्दी से पीट-पीटकर मार डाला गया. इस साल राष्ट्रपति ने झारखंड की छुटनी देवी को पद्मश्री से सम्मानित किया है. छुटनी देवी झारखंड में डायन प्रथा को खत्म करने पर काम कर रहीं हैं. अब तक उन्होंने 62 महिलाओं को डायन प्रथा के प्रकोप से बचाया है.

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