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झारखंड का प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत से अधिक, टॉप राज्यों में है शामिल

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Published : Jul 12, 2022, 9:41 AM IST

Updated : Jul 12, 2022, 10:02 AM IST

झारखंड में परिवार नियोजन पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये. लेकिन झारखंड में प्रजनन दर कम नहीं हो रहा है. अब भी झारखंड का प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है. विश्व जनसंख्या दिवस पर इस विषय को लेकर चर्चा की गयी.

Jharkhand fertility rate
झारखंड का प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत से अधिक

रांचीः विश्व जनसंख्य दिवस पर झारखंड के सभी जिलों और प्रखंडों में परिवार नियोजन के अलग अलग कार्यक्रम आयोजित किये गये. इन आयोजनों के बीच नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-21) के बीच जारी आंकड़ें बताते हैं कि तमाम कोशिशों के बावजूद राज्य में टीएफआर यानी टोटल फर्टिलिटी रेट 2 या 2 से नीचे नहीं आया है. हालांकि, झारखंड के साथ बनें दो राज्य छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड ने प्रजनन दर को 2 से नीचे करने की उपलब्धि प्राप्त कर ली है. झारखंड का प्रजनन दर 2.4 है. वहीं, उत्तराखंड में यह 1.9 और छतीसगढ़ में 1.8 हो गया है, जो राष्ट्रीय औसत 2.0 से भी कम है.


यह भी पढ़ेंःWorld Population Day 2022: विश्व जनसंख्या दिवस पर रांची में सम्मान समारोह, डॉक्टरों ने पुरुष नसबंदी को बताया बेहतर



झारखंड का प्रजनन दर न सिर्फ दो के ऊपर है, बल्कि देश के पांच टॉप प्रजनन दर वाले राज्यों में झारखंड एक है. बिहार का प्रजनन दर जहां 3.0, मेघालय का प्रजनन दर 2.9, मणिपुर का प्रजनन दर का 2.9, उत्तर प्रदेश का प्रजनन दर 2.4 है. वहीं झारखंड का प्रजनन दर 2.4 है. झारखंड के ग्रामीण इलाकों में प्रजनन दर 2.5 है तो शहरी इलाकों में मात्र 1.6 है. ये आंकड़े बताते हैं कि राज्य में जनसंख्या को नियंत्रित करना है तो ग्रामीण इलाकों में जागरुकता अभियान तेज करना होगा.

देखें पूरी खबर

सर्जन डॉ. आरके सिंह कहते हैं कि अशिक्षा, गरीबी, अंधविश्वास और कुछ सामुदायिक मान्यता की वजह से राज्य में प्रजनन दर कम होने के बावजूद अब भी अधिक है. वहीं, डॉ एके झा कहते हैं कि सरकार को परिवार नियोजन को सफल बनाने के लिए नये नियम बनाने होंगे. उन्होंने कहा कि कोई डॉक्टर परिवार नियोजन को अपनाने के लिए दंपत्ति से आग्रह ही कर सकता है.

अर्थशास्त्री हरिश्र्वर दयाल कहते हैं कि छोटा परिवार रहने से खुशियां आती है. इसकी वजह है कि हमारे पास संसाधन सीमित है. उन्होंने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद जनसंख्या को नियंत्रित करने के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सके हैं. उन्होंने कहा कि जैसे ही शिक्षा बढ़ेगी, स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त होगी, लोगों की आय बढ़ेगी तो उच्च प्रजनन दर कम होगा.

रांचीः विश्व जनसंख्य दिवस पर झारखंड के सभी जिलों और प्रखंडों में परिवार नियोजन के अलग अलग कार्यक्रम आयोजित किये गये. इन आयोजनों के बीच नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-21) के बीच जारी आंकड़ें बताते हैं कि तमाम कोशिशों के बावजूद राज्य में टीएफआर यानी टोटल फर्टिलिटी रेट 2 या 2 से नीचे नहीं आया है. हालांकि, झारखंड के साथ बनें दो राज्य छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड ने प्रजनन दर को 2 से नीचे करने की उपलब्धि प्राप्त कर ली है. झारखंड का प्रजनन दर 2.4 है. वहीं, उत्तराखंड में यह 1.9 और छतीसगढ़ में 1.8 हो गया है, जो राष्ट्रीय औसत 2.0 से भी कम है.


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झारखंड का प्रजनन दर न सिर्फ दो के ऊपर है, बल्कि देश के पांच टॉप प्रजनन दर वाले राज्यों में झारखंड एक है. बिहार का प्रजनन दर जहां 3.0, मेघालय का प्रजनन दर 2.9, मणिपुर का प्रजनन दर का 2.9, उत्तर प्रदेश का प्रजनन दर 2.4 है. वहीं झारखंड का प्रजनन दर 2.4 है. झारखंड के ग्रामीण इलाकों में प्रजनन दर 2.5 है तो शहरी इलाकों में मात्र 1.6 है. ये आंकड़े बताते हैं कि राज्य में जनसंख्या को नियंत्रित करना है तो ग्रामीण इलाकों में जागरुकता अभियान तेज करना होगा.

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सर्जन डॉ. आरके सिंह कहते हैं कि अशिक्षा, गरीबी, अंधविश्वास और कुछ सामुदायिक मान्यता की वजह से राज्य में प्रजनन दर कम होने के बावजूद अब भी अधिक है. वहीं, डॉ एके झा कहते हैं कि सरकार को परिवार नियोजन को सफल बनाने के लिए नये नियम बनाने होंगे. उन्होंने कहा कि कोई डॉक्टर परिवार नियोजन को अपनाने के लिए दंपत्ति से आग्रह ही कर सकता है.

अर्थशास्त्री हरिश्र्वर दयाल कहते हैं कि छोटा परिवार रहने से खुशियां आती है. इसकी वजह है कि हमारे पास संसाधन सीमित है. उन्होंने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद जनसंख्या को नियंत्रित करने के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सके हैं. उन्होंने कहा कि जैसे ही शिक्षा बढ़ेगी, स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त होगी, लोगों की आय बढ़ेगी तो उच्च प्रजनन दर कम होगा.

Last Updated : Jul 12, 2022, 10:02 AM IST
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