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झारखंड कांग्रेसः संगठन विस्तार और सरकार के साथ सामंजस्य बैठाने में गुजर गया साल

झारखंड कांग्रेस के लिए संगठन विस्तार और सरकार के साथ सामंजस्य बैठाने का वर्ष रहा. पुराने साल में झारखंड कांग्रेस की प्रमुख घटनाएं, जिसके जिक्र में यही कहा जा सकता है कि झारखंड कांग्रेस के लिए ये साल मिलाजुला ही रहा.

Jharkhand Congress in expanding organization and reconciling with government
झारखंड कांग्रेस
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Published : Jan 3, 2022, 8:04 AM IST

रांचीः झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल के साथ कांग्रेस महागठबंधन की सरकार में शामिल है. ऐसे में पुराना वर्ष कांग्रेस के लिए मिलाजुला ही रहा. कांग्रेस के लिए संगठन विस्तार और सरकार में सामंजस्य बैठाने में ही ये साल निकल गया. लेकिन आने वाला वक्त और अच्छा होगा, दल के सभी लोगों की यही कामना है.

इसे भी पढ़ें- सड़क से सदन तक मुखर भाजपाः संगठन और सियासी चुनौतियों के बीच झारखंड बीजेपी

कांग्रेस संगठन में बदलाव का वर्ष रहा

झारखंड में 2019 में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव रामेश्वर उरांव के नेतृत्व में लड़ा था. चुनाव के बाद रामेश्वर उरांव मंत्री बन गए. वर्ष 2021 में झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी (Jharkhand Pradesh Congress Committee) अध्यक्ष से लेकर सभी कार्यकारी अध्यक्ष बदल दिए गए. इसके अलावा राज्य की कमान जमीनी कार्यकर्ता राजेश ठाकुर को सौंप दी गयी. वहीं सांसद गीता कोड़ा को सहित चार लोगों को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया. नए प्रदेश अध्यक्ष ने महंगाई के मुद्दे पर राज्य भर में कांग्रेस का जागरुकता अभियान चला. संगठन को और सशक्त बनाने के लिए सदस्यता अभियान को गति दी गयी.

देखें पूरी खबर

JVM से आए दोनों विधायक को मिली जिम्मेदारी

झारखंड विकास मोर्चा के सिंबल पर विधायक बनने के बाद कांग्रेस में शामिल होने वाले दोनों विधायक को कांग्रेस में जिम्मेदारी दी गयी. बंधु तिर्की को प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया तो प्रदीप यादव विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता बनाये गए.

झारखंड कांग्रेस में गुटबाजी दिखी

झारखंड कांग्रेस में गुटबाजी एक पुरानी समस्या रही है. अलग-अलग गुटों में बंटी पार्टी का संगठन के नेता इससे इनकार करें. लेकिन हकीकत यही है कि पार्टी में कई गुट है और सभी गुटों को किसी ना किसी बड़े नेता की छत्रछाया प्राप्त है.

झामुमो-राजद से कभी तकरार... कभी प्यार...

राज्य में कांग्रेस झामुमो और राजद के साथ सरकार में है. लेकिन भाषा विवाद सहित कई मुद्दे ऐसे आए जब कांग्रेस ने आंखे लाल भी कीं. अभी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री के आवास पर बुलाई गयी सत्ताधारी दलों के सर्वदलीय बैठक को नजरअंदाज कर कांग्रेस विधायक दल के आवास पर बैठक होती रही. इसको लेकर कई कयास भी लगने लगे, फिर वरीय नेताओं ने सबकुछ सामान्य करने में अपनी भूमिका निभाई. आगामी भविष्य में नयी रणनीतियों के साथ नए कलेवर में झारखंड कांग्रेस अपनी जिम्मेदारी निभाएगी. संगठन को विस्तार देगी और सरकार के साथ सामंजस्य बैठाकर जनहित के लिए काम करेगी.

रांचीः झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल के साथ कांग्रेस महागठबंधन की सरकार में शामिल है. ऐसे में पुराना वर्ष कांग्रेस के लिए मिलाजुला ही रहा. कांग्रेस के लिए संगठन विस्तार और सरकार में सामंजस्य बैठाने में ही ये साल निकल गया. लेकिन आने वाला वक्त और अच्छा होगा, दल के सभी लोगों की यही कामना है.

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कांग्रेस संगठन में बदलाव का वर्ष रहा

झारखंड में 2019 में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव रामेश्वर उरांव के नेतृत्व में लड़ा था. चुनाव के बाद रामेश्वर उरांव मंत्री बन गए. वर्ष 2021 में झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी (Jharkhand Pradesh Congress Committee) अध्यक्ष से लेकर सभी कार्यकारी अध्यक्ष बदल दिए गए. इसके अलावा राज्य की कमान जमीनी कार्यकर्ता राजेश ठाकुर को सौंप दी गयी. वहीं सांसद गीता कोड़ा को सहित चार लोगों को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया. नए प्रदेश अध्यक्ष ने महंगाई के मुद्दे पर राज्य भर में कांग्रेस का जागरुकता अभियान चला. संगठन को और सशक्त बनाने के लिए सदस्यता अभियान को गति दी गयी.

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झारखंड विकास मोर्चा के सिंबल पर विधायक बनने के बाद कांग्रेस में शामिल होने वाले दोनों विधायक को कांग्रेस में जिम्मेदारी दी गयी. बंधु तिर्की को प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया तो प्रदीप यादव विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता बनाये गए.

झारखंड कांग्रेस में गुटबाजी दिखी

झारखंड कांग्रेस में गुटबाजी एक पुरानी समस्या रही है. अलग-अलग गुटों में बंटी पार्टी का संगठन के नेता इससे इनकार करें. लेकिन हकीकत यही है कि पार्टी में कई गुट है और सभी गुटों को किसी ना किसी बड़े नेता की छत्रछाया प्राप्त है.

झामुमो-राजद से कभी तकरार... कभी प्यार...

राज्य में कांग्रेस झामुमो और राजद के साथ सरकार में है. लेकिन भाषा विवाद सहित कई मुद्दे ऐसे आए जब कांग्रेस ने आंखे लाल भी कीं. अभी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री के आवास पर बुलाई गयी सत्ताधारी दलों के सर्वदलीय बैठक को नजरअंदाज कर कांग्रेस विधायक दल के आवास पर बैठक होती रही. इसको लेकर कई कयास भी लगने लगे, फिर वरीय नेताओं ने सबकुछ सामान्य करने में अपनी भूमिका निभाई. आगामी भविष्य में नयी रणनीतियों के साथ नए कलेवर में झारखंड कांग्रेस अपनी जिम्मेदारी निभाएगी. संगठन को विस्तार देगी और सरकार के साथ सामंजस्य बैठाकर जनहित के लिए काम करेगी.

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