रांची: प्रदेश में कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद के महागठबंधन वाले सरकार की कार्यशैली को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में बयानबाजी तेज हो गई है. एक तरफ प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर राज्य सरकार के ऊपर दबाव बनाने का आरोप लगाया तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने बीजेपी को अपने गिरेबान में झांकने की हिदायत दे डाली है.
'कांग्रेस का शासनकाल बुरा'बीजेपी के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने कहा कि झारखंड का इतिहास रहा है कि जब भी कांग्रेस के समर्थन से सरकार चलती है राज्य को बुरा समय झेलना पड़ता है. उन्होंने कहा कि यही स्थिति मौजूदा राज्य सरकार की भी हो रही है. कांग्रेस हर बात में प्रेशर बनाकर अपना काम निकलवाना चाहती है. उन्होंने कहा कि आनेवाले समय में अगर इसी तरह कांग्रेस का दखल राज्य सरकार में रहा तो स्थितियां बुरी हो सकती हैं. बीजेपी ने कहा कि राज्य में स्थितियां लॉकडाउन लगाने को लेकर अनुकूल है. हर व्यक्ति मौजूदा दौर में लॉकडाउन के पक्ष में है, लेकिन राज्य सरकार कांग्रेस के दबाव की वजह से ऐसा नहीं कर रही है. पूरे राज्य में स्थिति भयानक बनी हुई है.
कांग्रेस ने किया पलटवार
वहीं, बीजेपी के इस हमले पर कांग्रेस ने पलटवार किया है. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि बीजेपी का यह आरोप बेबुनियाद और निराधार है. उन्होंने कहा कि पहले भाजपा के नेताओं को अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब भी झारखंड में बीजेपी सत्ता में रही है राज्य में कानून व्यवस्था सही से नहीं चली है. उन्होंने कहा कि बीजेपी हमेशा से जोड़तोड़ कर राजनीति करती रही है. शाहदेव ने कहा कि व्यक्तिगत स्वार्थ के मकसद से की गई राजनीति हमेशा नुकसानदायक साबित हुआ है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के कार्यकाल को लेकर लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि समाज के लोगों को विभाजन कर बीजेपी किस तरह शासन करती है.
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कांग्रेस कोटे से चार मंत्री
दरअसल, झारखंड सरकार में कांग्रेस के 16 विधायकों समेत दो अन्य झाविमो विधायकों का समर्थन है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री सहित 11 सदस्यों की स्टेट कैबिनेट में कांग्रेस कोटे से चार विधायक शामिल किए गए हैं. कांग्रेस कोटे से बने मंत्रियों के जिम्मे स्वास्थ्य, वित्त, ग्रामीण विकास विभाग, खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले समेत कृषि और पशुपालन विभाग है. बता दें कि 2006 में भी कांग्रेस के समर्थक से मधु कोड़ा की सरकार बनी थी और लगभग 2 साल तक यह सरकार चली थी. कोटा के शासनकाल में हुए कथित घोटालों को लेकर अदालतों में सुनवाई जारी है.