रांची: आगामी विधानसभा चुनावों में मिशन 65 प्लस के मद्देनजर सत्तारूढ़ बीजेपी अपने मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड खंगालने के मूड में है. मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत 11 मंत्रियों की स्टेट कैबिनेट में आजसू पार्टी के रामचंद्र सहिस को छोड़कर बाकी के 10 बीजेपी के विधायक हैं. आंकड़ों के हिसाब से 9 मंत्रियों के कामकाज और उनके इलाकों में संगठन और लोगों के बीच उनकी पकड़ का फीडबैक लिया जा रहा है.
इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि उनमें से दो मंत्री झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर 2014 में चुनाव जीतकर आए हैं. बाद में उन्होंने कथित तौर पर अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करा लिया और उसके बाद मंत्री बने. ऐसी स्थिति में पार्टी सभी मंत्रियों के कामकाज का हिसाब-किताब ले रही है ताकि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान टिकट डिस्ट्रीब्यूशन में उसे आधार बनाया जा सके.
क्या है इलाकेवार स्थिति
राजधानी रांची से विधायक और सरकार में शहरी विकास विभाग के मंत्री सीपी सिंह पिछले 5 टर्म से विधायक चुने जा रहे हैं. 2019 में पार्टी उनके अलावा अन्य उम्मीदवारों को लेकर के भी विचार कर रही है. वैसे तो विधायक के रूप में लोगों के बीच उनकी उपलब्धता अच्छी है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से शहर में अलग-अलग प्रोजेक्ट को लेकर उनकी किरकिरी हो रही है. वो हरमू नदी से जुड़ा प्रोजेक्ट हो या फिर सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम का प्रोजेक्ट.
वहीं खूंटी से विधायक और राज्य के शहर ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के कामकाज का भी फीडबैक लिया जा रहा है. दरअसल, लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उनके विधानसभा इलाके में बढ़त नहीं मिली. इस वजह से भी पार्टी गंभीर विचार के मूड में है, जबकि पलामू इलाके से आने वाले स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी पर भी पार्टी की नजर है और उनके कामकाज को लेकर भी जानकारी इकट्ठी की जा रही है.
संथाल के मंत्रियों पर है कड़ी नजर
पार्टी सूत्रों की मानें तो संथाल परगना से आने वाले तीनों मंत्रियों पर पार्टी नजर बनाए हुए हैं. इनमें से कृषि मंत्री रणधीर सिंह पूर्व में जेवीएम विधायक थे. वहीं मधुपुर विधानसभा इलाके से विधायक और राज्य के श्रम मंत्री राज पलिवार पर भी पार्टी की नजर है. दरअसल, पालिवार पहले भी विधायक रहे हैं, लेकिन 2009 में उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया था. मौजूदा लोकसभा चुनावों में गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे से उनके समीकरण अच्छे नहीं होने पर भी काफी बवाल हुआ था.
झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के बेटे और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दुमका विधानसभा सीट पर हराकर झारखंड विधानसभा पहुंचने वाली लुईस मरांडी पर भी पार्टी की नजर है. मरांडी प्रदेश की सरकार में समाज कल्याण मंत्री हैं और क्रिश्चियन समुदाय से आती हैं.
बाउरी और नीरा यादव का फीडबैक
वहीं चंदनक्यारी से विधायक और टूरिज्म मिनिस्टर अमर कुमार बाउरी को लेकर भी पार्टी फीडबैक ले रही है, जबकि शिक्षा मंत्री नीरा यादव अपने कामकाज को लेकर काफी चर्चा में रह रही हैं. पारा टीचर आंदोलन को लेकर भी विचारणीय मुद्रा में है. बागी तेवर अपनाने वाले सरयू राय को लेकर भी पार्टी बहुत बैलेंस होकर चल रही है. हालांकि, उनके इलाके में उनकी पकड़ को लेकर पार्टी आश्वस्त है, लेकिन मौजूदा सरकार में समीकरण कथित रूप से फेवरेबल नहीं होने की वजह से संगठन और सरकार में बैलेंस बनाए रखने पर विचार किया जा रहा है.
पिछले कुछ महीनों में अन्य दलों से भी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है. उनमें कई पूर्व विधायक और विभिन्न दलों के कद्दावर नेता भी शामिल हैं. ऐसे में पार्टी का फोकस वैसे कैंडिडेट पर ज्यादा रहेगा जो अपने इलाके में जीत सुनिश्चित करा सके.
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इस बारे में पूछे जाने पर पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि पार्टी अपने नेताओं का फीडबैक बराबर लेती रहती है. यह नई बात नहीं है. ऐसे में मंत्रियों का फीडबैक लिया जाना भी सही है. बता दें कि बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव में 65 असेंबली सीट पर जीत का लक्ष्य रखा है.