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दलमा के बाघ को लाया जाएगा पलामू! पीटीआर ने एनटीसीए से मांगी अनुमति - TIGER IN DALMA

पीटीआर दलमा के बाघ को लाने की तैयारी में है. इसके लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से अनुमति मांगी गई है.

Tiger In Dalma
दलमा के इलाके में बाघ. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 19, 2025, 1:25 PM IST

Updated : Feb 19, 2025, 1:31 PM IST

पलामूः दलमा के इलाके में मौजूद बाघ को पलामू टाइगर रिजर्व लाने को तैयारी की जा रही है. पलामू टाइगर रिजर्व ने एक प्रस्ताव तैयार कर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को भेजा है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की अनुमति मिलने के बाद दलमा के इलाके में मौजूद बाघ को ट्रेंकुलाइज कर पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में लाया जाएगा. बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के दौरान वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की एक टीम भी मौजूद रहेगी.

पीटीआर से बाघ पहुंचा है दलमा

दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व का एक बाघ पिछले कुछ महीनों से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और झारखंड के दलमा के इलाके में अपना ठिकाना बनाए हुए है. बाघ की मॉनिटरिंग के लिए पलामू टाइगर रिजर्व की एक स्पेशल टीम भी दलमा के इलाके में कैंप कर रही है. पलामू टाइगर रिजर्व से दलमा के बीच एक प्राकृतिक कॉरिडोर है, जिसके माध्यम से बाघ दलमा पहुंचा है.

जानकारी देते पीटीआर के उप निदेशक प्रजेश कांत जेना. (वीडियो-ईटीवी भारत)

"दलमा के बाघ को पीटीआर लाने की तैयारी है. बाघ को ट्रेंकुलाइज किया जाएगा. इस दौरान वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट के एक टीम भी मौजूद रहेगी. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार दलमा का बाघ पीटीआर का है. नेचुरल कॉरिडोर के माध्यम से बाघ दलमा गया है. एनटीसीए से गाइड लाइन मांगा गया है. बाघ के मूवमेंट पर निगरानी रखी जा रही है."- प्रजेश कांत जेना, उप निदेशक, पीटीआर

दलमा में बाघ शिकार के लिए मवेशियों पर निर्भर

दलमा के इलाके में बाघों के लिए शिकार नहीं है. बाघ अपनी भूख को मिटाने के लिए मवेशी का शिकार कर रहा है. दलमा का इलाका हाथियों के लिए चर्चित है. इलाके में हिरण, चीतल, नीलगाय, बायसन जैसे जंगली जीव बेहद ही कम है. बाघ ज्यादातर इन्हीं जानवरों का शिकार करता है. दलमा से सटा हुआ एक बड़ा इलाका शहरी आबादी वाला है. इस कारण बाघ पर खतरा बना हुआ रहता है.

पलामू टाइगर रिजर्व बाघों के लिए सुरक्षित एरिया घोषित है. यह इलाका बाघों के लैंडस्केप कॉरिडोर से जुड़ा हुआ है. पीटीआर से सतपुड़ा के जंगल तक बाघों का कॉरिडोर है. कुछ दिनों पहले ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिजर्व ने झारखंड-ओडिशा बॉर्डर से एक बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू किया था. हालांकि बाद में बाघिन वापस उसी इलाके में लौट आई थी. बाघ 400 से 500 किलोमीटर में अपने कॉरिडोर को डेवलप करता है.

ये भी पढ़ें-

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मध्य प्रदेश से पश्चिम बंगाल पहुंचा बाघ, डेवलेप हुआ कॉरिडोर, पलामू बना बाघों का जंक्शन - TIGER CORRIDOR

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पीटीआर से बाघ पहुंचा है दलमा

दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व का एक बाघ पिछले कुछ महीनों से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और झारखंड के दलमा के इलाके में अपना ठिकाना बनाए हुए है. बाघ की मॉनिटरिंग के लिए पलामू टाइगर रिजर्व की एक स्पेशल टीम भी दलमा के इलाके में कैंप कर रही है. पलामू टाइगर रिजर्व से दलमा के बीच एक प्राकृतिक कॉरिडोर है, जिसके माध्यम से बाघ दलमा पहुंचा है.

जानकारी देते पीटीआर के उप निदेशक प्रजेश कांत जेना. (वीडियो-ईटीवी भारत)

"दलमा के बाघ को पीटीआर लाने की तैयारी है. बाघ को ट्रेंकुलाइज किया जाएगा. इस दौरान वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट के एक टीम भी मौजूद रहेगी. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार दलमा का बाघ पीटीआर का है. नेचुरल कॉरिडोर के माध्यम से बाघ दलमा गया है. एनटीसीए से गाइड लाइन मांगा गया है. बाघ के मूवमेंट पर निगरानी रखी जा रही है."- प्रजेश कांत जेना, उप निदेशक, पीटीआर

दलमा में बाघ शिकार के लिए मवेशियों पर निर्भर

दलमा के इलाके में बाघों के लिए शिकार नहीं है. बाघ अपनी भूख को मिटाने के लिए मवेशी का शिकार कर रहा है. दलमा का इलाका हाथियों के लिए चर्चित है. इलाके में हिरण, चीतल, नीलगाय, बायसन जैसे जंगली जीव बेहद ही कम है. बाघ ज्यादातर इन्हीं जानवरों का शिकार करता है. दलमा से सटा हुआ एक बड़ा इलाका शहरी आबादी वाला है. इस कारण बाघ पर खतरा बना हुआ रहता है.

पलामू टाइगर रिजर्व बाघों के लिए सुरक्षित एरिया घोषित है. यह इलाका बाघों के लैंडस्केप कॉरिडोर से जुड़ा हुआ है. पीटीआर से सतपुड़ा के जंगल तक बाघों का कॉरिडोर है. कुछ दिनों पहले ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिजर्व ने झारखंड-ओडिशा बॉर्डर से एक बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू किया था. हालांकि बाद में बाघिन वापस उसी इलाके में लौट आई थी. बाघ 400 से 500 किलोमीटर में अपने कॉरिडोर को डेवलप करता है.

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Last Updated : Feb 19, 2025, 1:31 PM IST
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