रांचीः झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन है. सत्र शीतकालीन है लेकिन अब तक सदन का माहौल काफी गर्म रहा है. आज सदन में जेएमएम विधायक लोबिन हेंब्रम ने छत्तीसगढ़ मॉडल पर सवाल उठाया. जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर सरकार छत्तीसगढ़ की तरह यहां शराब बेचने की सोच रही है तो यह बहुत ही शर्मनाक है. वो इसका पुरजोर विरोध करते हैं.
हेमंत सोरेन बेचेंगे शराब, लोबिन ने कहा- शर्मनाक
झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने सरकार से पूछा कि क्या यह बात सही है कि छत्तीसगढ़ की तर्ज पर हेमंत सरकार भी खुद शराब बेचने की तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक बात कोई और हो नहीं सकती. उन्होंने कहा कि झारखंड के आंदोलनकारी शिबू सोरेन हमेशा नशाबंदी की बात करते. वहीं दूसरी तरफ उनके पुत्र हेमंत सोरेन अगर ऐसा करने की तैयारी कर रहे हैं तो यह शर्मनाक बात है. लोबिन हेम्ब्रम के इस सवाल पर भाजपा विधायकों ने जमकर चुटकी ली.
भोजनावकाश के बाद पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2021 को सदन पटल पर रखा गया. भाकपा माले विधायक विनोद सिंह, आजसू विधायक लंबोदर महतो, भाजपा विधायक अनंत ओझा और रामचंद्र चंद्रवंशी, निर्दलीय विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव ने विधेयक में कई कमियां बताते हुए इसे प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव रखा. विनोद सिंह ने कहा कि 56 पेज के विधेयक को पढ़ने के लिए 56 मिनट का समय भी नहीं दिया गया है. प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि विधेयक में सभी भाइयों को समाहित किया गया है इसलिए उसको प्रवर समिति में भेजने का कोई औचित्य नहीं है. लिहाजा मतदान के बाद यह विधेयक स्वीकृत हो गया.
भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरू हो चुकी है. संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम के आग्रह को स्वीकार करते हुए भाजपा विधायक मनीष जायसवाल के निलंबन को आसन ने वापस ले लिया है.
ओबीसी आरक्षण पर संसदीय कार्य मंत्री का आश्वासन
कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद ने आबादी के अनुपात में पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ देने की मांग की. ध्यानाकर्षण के दौरान उन्होंने इस मसले को उठाया. अंबा प्रसाद ने कहा कि झारखंड में ओबीसी को सिर्फ 14% आरक्षण मिलता है. पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में ओबीसी की आबादी करीब 52% है. लिहाजा इस अनुपात में आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि इस मसले को लेकर सरकार संवेदनशील है. इस पर मंथन चल रहा है. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि बहुत जल्द इस मसले को लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी.
विधायक प्रदीप यादव के सवाल के जवाब में प्रभारी मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि 31 मार्च 2022 से पहले स्ल़टर हाउस चालू करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
प्रदीप यादव ने सवाल उठाया कि रांची में 17 करोड़ की लागत से स्लाटर हाउस बना. लेकिन अब तक चालू नहीं हुआ. 3 साल बीतने के बाद भी अब तक स्लाटर हाउस के संचालन को लेकर रेगुलेशन नहीं बना है. इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने 2018 में ही रेगुलेशन बनाने का आदेश दिया था. दरअसल ये आदेश इसलिए आया था क्योंकि उस समय पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में नगर आयुक्त ने खुदरा दुकानों को यह कहते हुए बंद करने का आदेश दिया था कि अब पशुओं का वध स्लॉटर हाउस में होगा.
प्रदीप यादव ने पूछा कि रांची में सीवरेज ड्रेनेज के नाम पर 100 करोड़ खर्च हुआ है. फिर भी नतीजा शून्य है. इसलिए पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी बननी चाहिए.
नवीन जयसवाल ने सूचना तहत सवाल उठाया कि रांची नगर निगम क्षेत्र में महज 10000 घर नियमित हैं. इसके अलावा तमाम घर अनियमित, जिसे तोड़ने के लिए नगर आयुक्त बार-बार नोटिस दे रहे हैं. क्या सरकार बुलडोजर चलाना चाहती है. उन्होंने सदन से मांग की है कि वैसे घरों को नियमित करने के लिए कोई प्रावधान किया जाना चाहिए.
दीपिका पांडेय सिंह के सवाल के जवाब में मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि झारखंड 59.23 लाख घरों तक 2024 तक पेयजल आपूर्ति करना है. पूर्व की सरकार ने महज पौने चार लाख घरों तक पानी पहुंचाया था लेकिन वर्तमान सरकार 10 लाख घरों तक पहुंचा चुकी है. उन्होंने कहा कि तेजी से निविदा प्रक्रिया निकाली जा रही है . उन्होंने भरोसा दिलाया कि 2024 तक झारखंड के सभी घरों में नल से जल पहुंच जाएगा.
सूचना के माध्यम से दीपिका पांडेय सिंह ने पेयजल स्वच्छता विभाग के सचिव का मसला उठाया. उन्होंने कहा कि विभागीय सचिव फोन भी नहीं उठाते हैं और अगर उनके चेंबर में गए तो कुर्सी छोड़कर खड़े भी नहीं होते हैं. प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह ने पूछा कि एक तरफ साल 2024 तक हर घर तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन अभी तक सिर्फ 15% ही कवरेज हो पाया है.
बता दें कि झारखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र का आज अंतिम दिन है. यह सत्र 16 दिसंबर से शुरू हुआ था. सत्र में 5 कार्यदिवस थे. पूरा सत्र हंगामेदार रहा. इस हंगामे के बीच सरकार ने कई कार्य निपटाए. दूसरा अनुपूरक बजट और मॉब लिंचिंग से जुड़ा विधेयक भी पास कराया.
वहीं चौथे दिन बीजेपी विधायक मनीष जायसवाल को पूरे सत्र से स्पीकर ने निलंबित कर दिया. Jharkhand Assembly Winter Session की कार्यवाही के चौथे दिन मनीष जायसवाल ने जेपीएसएसी और हजारीबाग में पीएचईडी टेंडर घोटाले का मामला उठाया था. उन्होंने कहा कि जेपीएससी से जैसे गंभीर विषय पर सरकार चुप बैठी हुई है जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी के विधायक हर दिन विरोध करते आ रहे हैं. इससे साफ है कि इस सरकार को सदन से कोई लेना देना नहीं है. यह कहते हुए मनीष जायसवाल ने ध्यानाकर्षण की कॉपी फाड़ दी और कहा कि ऐसी कार्यवाही का हिस्सा बनना बेकार है.
बीजेपी विधायक मनीष जायसवाल के इस कृत्य पर आपत्ति जताते हुए सत्ता पक्ष के विधायक भी वेल में आ गए और कार्रवाई की मांग करने लगे. हंगामा बढ़ता देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही भोजनावकाश तक स्थगित कर दी. भोजनावकाश के बाद कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने मनीष जायसवाल के अमर्यादित हरकत का हवाला देते हुए आसन से संज्ञान लेने का आग्रह किया.
इसके कुछ पल बाद ही स्पीकर ने बीजेपी विधायक मनीष जयवाल से पूरे सत्र से निष्काषित करने का आदेश सुना दिया. इसके विरोध में भाजपा के तमाम विधायकों ने प्रोसिडिंग की कॉपी फाड़कर सभी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. तब स्पीकर ने कहा कि उनपर कार्रवाई क्यों की गई है, यह सभी जानते हैं. उन्होंने कहा कि ध्यानाकर्षण के दौरान उन्होंने अपनी बात रखते हुए अमर्यादित व्यवहार किया था. हालाकि स्पीकर के आदेश के बाद भी जब मनीष जयसवाल सदन से बाहर नहीं निकले तो मार्शल आउट कराया गया.