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BJP का टिकट पाकर गदगद हुए लालू के पूर्व सिपहसालार, कहा- RJD पूरी तरह हो चुकी है साफ - झारखंड विधानसभा चुनाव 2019

आरजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए जनार्दन पासवान को बीजेपी ने चतरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका दिया है. टिकट मिलने की सूचना पाते ही जनार्दन पासवान अपने समर्थकों के साथ रांची स्थित बीजेपी कार्यालय पहुंचे जहां उनका जमकर स्वागत किया गया.

जनार्दन पासवान से बातचीत
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Published : Nov 10, 2019, 7:33 PM IST

Updated : Nov 10, 2019, 7:40 PM IST

रांची: आरजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए जनार्दन पासवान को बीजेपी ने चतरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका दिया है. टिकट मिलने की सूचना पाते ही जनार्दन पासवान अपने समर्थकों के साथ रांची स्थित बीजेपी कार्यालय पहुंचे जहां उनका जमकर स्वागत किया गया. ईटीवी भारत संवाददाता प्रशांत कुमार ने जनार्दन पासवान से उनकी भविष्य की रणनीति पर बातचीत की जिस पर उन्होंने खुलकर अपना पक्ष रखा.

जनार्दन पासवान से बातचीत

'65 प्लस के नारे को पूरा करेंगे'
आरजेडी के राष्ट्रीय सचिव और चतरा के पूर्व विधायक जनार्दन पासवान आरजेडी की नैया को डूबते हुए देख लालटेन छोड़कर अब भगवा रंग में रंग गए हैं. बीजेपी में शामिल होने के बाद यह कयास लगाया जा रहा था कि चतरा सीट से विधानसभा का टिकट उन्हें बीजेपी की तरफ से मिलेगा और यह सही भी साबित हुआ. जनार्दन पासवान ने टिकट देने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सहित सभी बड़े नेताओं को शुक्रिया अदा किया. जनार्दन पासवान के अनुसार चतरा में आरजेडी पूरी तरह से समाप्त हो चुका है. जनार्दन पासवान के अनुसार बीजेपी के विकास की नीति से प्रभावित होकर वे पार्टी में शामिल हुए थे और उसी विकास के पथ पर आगे चलते हुए बीजेपी के 65 प्लस के नारे को पूरा करेंगे.

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: BJP ने जारी की पहली सूची, 10 सीटिंग विधायकों का कटा टिकट

2009 में बने थे विधायक
आरजेडी के टिकट पर चतरा से पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके जनार्दन पासवान दो बार जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे. एकीकृत बिहार में वे पहली बार 1995 में विधानसभा के उम्मीदवार बने थे लेकिन माकपा प्रत्याशी संतू दास की हत्या के बाद चुनाव स्थगित हो गया था. कुछ माह बाद उपचुनाव में आरजेडी उम्मीदवार की हैसियत से जनार्दन फिर मैदान में उतरे और विजयी हुए थे. 2000 में बीजेपी उम्मीदवार के हाथों उन्हें हार मिली थी इसके बाद 2005 के चुनाव में उन्होंने फिर आरजेडी से भाग्य आजमाया इस बार भी उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी. 2009 में वे बीजेपी उम्मीदवार को रिकॉर्ड मतों से पराजित कर झारखंड विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार से मात खा गए.

सुभाष यादव क आगमन के बाद छोड़ी पार्टी
चतरा की राजनीति में पटना के बालू कारोबारी सुभाष प्रसाद यादव का जब आगमन हुआ तब पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज होकर जनार्दन पासवान ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. इसका उन्हें फायदा भी हुआ और पार्टी ने उन्हें विधानसभा में अपना उम्मीदवार बनाया है.

रांची: आरजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए जनार्दन पासवान को बीजेपी ने चतरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका दिया है. टिकट मिलने की सूचना पाते ही जनार्दन पासवान अपने समर्थकों के साथ रांची स्थित बीजेपी कार्यालय पहुंचे जहां उनका जमकर स्वागत किया गया. ईटीवी भारत संवाददाता प्रशांत कुमार ने जनार्दन पासवान से उनकी भविष्य की रणनीति पर बातचीत की जिस पर उन्होंने खुलकर अपना पक्ष रखा.

जनार्दन पासवान से बातचीत

'65 प्लस के नारे को पूरा करेंगे'
आरजेडी के राष्ट्रीय सचिव और चतरा के पूर्व विधायक जनार्दन पासवान आरजेडी की नैया को डूबते हुए देख लालटेन छोड़कर अब भगवा रंग में रंग गए हैं. बीजेपी में शामिल होने के बाद यह कयास लगाया जा रहा था कि चतरा सीट से विधानसभा का टिकट उन्हें बीजेपी की तरफ से मिलेगा और यह सही भी साबित हुआ. जनार्दन पासवान ने टिकट देने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सहित सभी बड़े नेताओं को शुक्रिया अदा किया. जनार्दन पासवान के अनुसार चतरा में आरजेडी पूरी तरह से समाप्त हो चुका है. जनार्दन पासवान के अनुसार बीजेपी के विकास की नीति से प्रभावित होकर वे पार्टी में शामिल हुए थे और उसी विकास के पथ पर आगे चलते हुए बीजेपी के 65 प्लस के नारे को पूरा करेंगे.

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: BJP ने जारी की पहली सूची, 10 सीटिंग विधायकों का कटा टिकट

2009 में बने थे विधायक
आरजेडी के टिकट पर चतरा से पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके जनार्दन पासवान दो बार जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे. एकीकृत बिहार में वे पहली बार 1995 में विधानसभा के उम्मीदवार बने थे लेकिन माकपा प्रत्याशी संतू दास की हत्या के बाद चुनाव स्थगित हो गया था. कुछ माह बाद उपचुनाव में आरजेडी उम्मीदवार की हैसियत से जनार्दन फिर मैदान में उतरे और विजयी हुए थे. 2000 में बीजेपी उम्मीदवार के हाथों उन्हें हार मिली थी इसके बाद 2005 के चुनाव में उन्होंने फिर आरजेडी से भाग्य आजमाया इस बार भी उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी. 2009 में वे बीजेपी उम्मीदवार को रिकॉर्ड मतों से पराजित कर झारखंड विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार से मात खा गए.

सुभाष यादव क आगमन के बाद छोड़ी पार्टी
चतरा की राजनीति में पटना के बालू कारोबारी सुभाष प्रसाद यादव का जब आगमन हुआ तब पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज होकर जनार्दन पासवान ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. इसका उन्हें फायदा भी हुआ और पार्टी ने उन्हें विधानसभा में अपना उम्मीदवार बनाया है.

Intro:राष्ट्रीय जनता दल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए जनार्दन पासवान को भाजपा ने चतरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका दिया है. टिकट मिलने की सूचना पाते ही जनार्दन पासवान अपने समर्थकों के साथ रांची स्थित भाजपा कार्यालय पहुंचे जहां उनका जमकर स्वागत किया गया. ईटीवी संवाददाता प्रशांत कुमार ने जनार्दन पासवान से उनकी भविष्य की रणनीति पर बातचीत की जिस पर उन्होंने खुलकर अपना पक्ष रखा..

राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सचिव और चतरा के पूर्व विधायक जनार्दन पासवान आरजेडी की नैया को डूबते हुए देख लालटेन छोड़कर अब भगवा रंग में रंग गए हैं. भाजपा में शामिल होने के बाद यह कयास लगाया जा रहा था कि चतरा सीट से विधानसभा का टिकट उन्हें भाजपा की तरफ से मिलेगा और यह सही भी साबित हुआ. जनार्दन पासवान ने टिकट देने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सहित सभी बड़े नेताओं को शुक्रिया अदा किया. जनार्दन पासवान के अनुसार चतरा में आरजेडी पूरी तरह से समाप्त हो चुका है यह आने वाले चुनाव में साफ पता चल जाएगा. जनार्दन पासवान के अनुसार भाजपा के विकास की नीति से प्रभावित होकर वे पार्टी में शामिल हुए थे और उसी विकास के पथ पर आगे चलते हुए बीजेपी के 65 प्लस के नारे को पूरा करेंगे.


राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चतरा से पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके जनरल पासवान दो बार जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे एकीकृत बिहार में वे पहली बार 5995 में विधानसभा के उम्मीदवार बने थे परंतु माकपा प्रत्याशी संतू दास की हत्या के बाद चुनाव स्थगित हो गया था कुछ माह बाद उपचुनाव में राजद उम्मीदवार की हैसियत से जनार्दन फिर मैदान में उतरे और विजई हुए थे 2000 में भाजपा उम्मीदवार सत्ता के हाथों उन्हें हार मिली थी इसके बाद 2005 के चुनाव में उन्होंने फिर राजद से भाग्य आजमाया इस बार भी उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी. 2009 में वे भाजपा उम्मीदवार को रिकॉर्ड मतों से पराजित कर झारखंड विधानसभा पहुंचे थे.लेकिन 2014 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार से मात खा गए.

चतरा की राजनीति में पटना के बालू कारोबारी सुभाष प्रसाद यादव का जब आगमन हुआ तब पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज होकर जनार्दन पासवान ने भाजपा का दामन थाम लिया था और इसका उन्हें फायदा भी हुआ और पार्टी ने उन्हें विधानसभा में अपना उम्मीदवार बनाया है।


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Last Updated : Nov 10, 2019, 7:40 PM IST
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