रांची: राजधानी रांची के सदर थाना क्षेत्र में जमीन कारोबारी दिलावर खान की मदद के लिए हथियार प्लांट कर दो निर्दोष युवकों को फंसाने के मामले में एटीएस के तत्कालीन इंस्पेक्टर ब्रम्हदेव प्रसाद पर विभागीय कार्रवाई को लेकर जांच शुरू हो गई है. विभागीय कार्रवाई में पक्ष रखने के लिए इंस्पेक्टर को दो हफ्ते का वक्त दिया गया है.
क्या है पूरा मामला
इसी साल पांच जून को एटीएस ने आतंकियों की सूचना मिलने पर रांची के सदर थाना क्षेत्र के बूटी मोड़ इलाके में छापेमारी की थी. उस दौरान हथियार के साथ दो युवकों को पकड़ा भी गया था. लेकिन 12 घंटे के भीतर ही रांची पुलिस की जांच में यह तथ्य आ गया था कि पुलिस ने आतंकियों की मौजूदगी की सूचना के बहाने जमीन कारोबारी के राह में बाधा बन रहे दो युवकों को हथियार प्लांट कर फंसाया है. पूरे मामले में रांची डीआईजी अखिलेश झा ने पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट दी थी. जिसके बाद एटीएस एसपी और इंस्पेक्टर को हटा दिया गया था. इंस्पेक्टर ब्रम्हदेव प्रसाद को एटीएस से हटाकर आईटीएस भेज दिया गया था. मुख्यालय के स्तर पर विभागीय कार्रवाई का आदेश जारी हुआ था.
ये भी पढ़ें- बिहार विधानसभा गठबंधन टूटने पर बीजेपी ने ली चुटकी, झारखंड आरजेडी ने कहा- नाराजगी जल्द होगी दूर
क्या आया था जांच में
हथियार प्लांट कर युवकों को फंसाने में एटीएस के इंस्पेक्टर से लेकर एसपी तक की भूमिका संदिग्ध बताई गई थी. एटीएस ने पूरे मामले में सिमी के आतंकियों की मौजूदगी की झूठी कहानी गढ़ी थी. जांच में एटीएस के अधिकारियों की ओर से आतंकी संगठन सिमी के नाम पर झूठ का पुलिंदा खड़ा किए जाने की भी पुष्टि हुई थी.
ये भी पढ़ें- लेक में मिली लाश, युवती के आत्महत्या की आशंका
इंस्पेक्टर ने दिलावर की मुलाकात एसपी से कराई
पूरे मामले की जांच में एटीएस के इंस्पेक्टर ब्रम्हदेव प्रसाद की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी. जानकारी के मुताबिक, रांची में थानेदार रहते हुए ब्रम्हदेव प्रसाद का परिचय दिलावर खान से था. छापेमारी के पूर्व ब्रम्हदेव प्रसाद ने दिलावर खान की मुलाकात एटीएस एसपी शैलेंद्र वर्णवाल से कराई थी. इसके बाद सिमी के आतंकियों की मौजूदगी की झूठी कहानी गढ़ कर बूटी मोड़ में बंशी उरांव के मकान में छापेमारी की गई थी.