रांची: आदिवासी और गैर मजरुआ जमीन के दस्तावेज गायब होने के मामले को लेकर जांच का आदेश दिया गया है. रांची में जमीन हस्तांतरण में हुए गड़बड़ी में अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होगी. जमीन हस्तांतरण के मामले में सिर्फ रात्रि प्रहरी और अनुसेवकों को दोषी मानकर उसके खिलाफ प्राथमिकी किए जाने को भी विभाग ने उचित नहीं माना है.
भू-राजस्व विभाग को पूर्व में रांची जिले के कई इलाकों में जमीन के अवैध हस्तांतरण की शिकायत मिली थी. इसके बाद विभाग ने उपायुक्त को जांच का आदेश दिया था. वर्ष 2017 में हुई गड़बड़ी की जांच चरणबद्ध तरीके से की गई थी. कब्जाधारियों को नोटिस जारी कर अपने दस्तावेज सौंपने के लिए कहा गया था. जांच के दौरान यह खुलासा हुआ था कि आदिवासी और गैर मजुरुआ जमीन की रजिस्टर अंचल कार्यालय से गायब हो गए हैं. वहीं, कुछ दस्तावेजों के पेज भी गायब हैं तो कुछ में ओवर राइटिंग की गई है.
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इसके बाद जिला प्रशासन ने जांच की और अंचल कार्यालय के रात्रि प्रहरी और अनुसेवक पर प्राथमिकी दर्ज की. हालांकि, पुलिस के जांच में भी इस बात का खुलासा नहीं हुआ कि रजिस्टर कहां है और उसमें किस-किस तरह की गड़बड़ी की गई थी. जानकारी के अनुसार, रांची जिले के कई अंचलों की शिकायत फिर विभाग के पास पहुंची है. इसके बाद विभाग ने आयुक्त को अधिकारियों की भूमिका की जांच करने का निर्देश दिया है.