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महंगाई की मार नहीं झेल पा रहा है निर्माण क्षेत्र, जानिए छह महीने में कितने बढ़े दाम - घर बनाने के लिए मैटेरियल

बढ़ती महंगाई ने लोगों के आशियाने के सपने को और मुश्किल बना दिया है. पिछले कुछ महीने में बढ़ती महंगाई का असर कंस्ट्रकशन फील्ड पर भी पड़ा है. ईंट, सीमेंट, छड़ और अन्य सामनों के दाम में काफी उछाल आया है. ऐसे में अपने घर की चाह रहने वाले लोगों की परेशानी बढ़ गई है.

Inflation affected construction sector
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Published : May 27, 2022, 3:56 PM IST

Updated : May 27, 2022, 7:12 PM IST

रांची: बढ़ती महंगाई ने सरकारी-गैरसरकारी स्तर पर चल रहे निर्माण कार्य को बुरी तरह प्रभावित किया है. सीमेंट, छड़, गिट्टी, बालू और ईंट के दामों में 30% तक की वृद्धि हुई है. इस वजह से ना केवल रीयल स्टेट सेक्टर से जुड़े लोगों का प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ गया है बल्कि आशियाना बनाने की चाहत रखने वाले आम लोग भी परेशान हैं.

पहले कोरोना महामारी और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण क्रूड, कोयला और स्टील की कीमतों में बढ़ोतरी ने कंस्ट्रक्शन फील्ड को बुरी तरह से प्रभावित किया है. कंस्ट्रकशन में इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे ईट, सीमेंट, बालू और लोहा की कीमतों में 6 महीने के अंदर 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. निर्माण क्षेत्र से जुड़े CREDAI ने सरकार से मूल्य नियंत्रित करने की मांग की है. क्रेडाई के अध्यक्ष विजय अग्रवाल ने कहा कि बढ़ती महंगाई की वजह से रियल एस्टेट को बुरी तरह प्रभावित किया है. हालत यह है कि अभी के समय में बालू के दाम आसमान छू रहे हैं जिस वजह से कई प्रोजेक्ट बंद पड़े हैं.

देखें वीडियो

सीमेंट हुआ महंगा: सीमेंट व्यवसायी रबिंद्र कुमार साहू कहते हैं कि पहले कोरोना के कारण व्यवसाय पर मार पड़ी और अब महंगाई के कारण बिक्री प्रभावित हो चुकी है. उन्होंने कहा कि दिसंबर 2021 में जो सीमेंट 300 रुपये से नीचे बिकता था आज वह 380 रुपये प्रति बैग बिक रहा है, यानी प्रति बैग 80 रुपये का इजाफा सिर्फ 6 महीने के अंदर ही हो चुका है. महंगाई की मार का असर सरकारी और गैर सरकारी दोनों प्रोजेक्ट पर पड़ा है.

बालू की कीमतों में भी आया उछाल: घर बनाने के लिए मैटेरियल खरीद रहे सोमन उरांव कहते हैं जो बालू 17, 500 में प्रति हाइवा मिलता था वह आज 25000 रुपया में भी प्लास्टर के लिए नहीं मिल रहा है. उसी तरह सीमेंट, छड़ और ईंट के दाम में वृद्धि हुई है. सरकारी कॉन्ट्रैक्टर किशोर नाथ शाहदेव कहते हैं कि निर्माण क्षेत्र में महंगाई की वजह से ना केवल रोजगार को प्रभावित किया है. बल्कि सरकार के कई योजनाओं के प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ जाने से इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की परेशानी बढ़ दी है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए.


क्यों बढ़ रहे हैं मैटेरियल के दाम: मटेरियल कॉस्ट बढ़ने के पीछे पेट्रेल डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी को माना जा रहा है. पेट्रेल और डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्टिग और शिपिंग कॉस्ट दोगुने हो गए हैं. महंगाई के कारण लेवर कॉस्ट भी बढ़ा है. इन सबके अलावा ग्लोबल मार्केट में रूस यूक्रेन युद्द के कारण कोयला और स्टील का की सप्लाई बंद है जिससे इनकी कीमते बढ़ीं हैं. भारतीय स्टील और कोल की मांग विदेशों में बढ़ी हैं जिसके कारण भारत से एक्सपोर्ट बढ़ा है ऐसे में देश में इन चीजों की कीमतें बढ़ी हैं.

रांची: बढ़ती महंगाई ने सरकारी-गैरसरकारी स्तर पर चल रहे निर्माण कार्य को बुरी तरह प्रभावित किया है. सीमेंट, छड़, गिट्टी, बालू और ईंट के दामों में 30% तक की वृद्धि हुई है. इस वजह से ना केवल रीयल स्टेट सेक्टर से जुड़े लोगों का प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ गया है बल्कि आशियाना बनाने की चाहत रखने वाले आम लोग भी परेशान हैं.

पहले कोरोना महामारी और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण क्रूड, कोयला और स्टील की कीमतों में बढ़ोतरी ने कंस्ट्रक्शन फील्ड को बुरी तरह से प्रभावित किया है. कंस्ट्रकशन में इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे ईट, सीमेंट, बालू और लोहा की कीमतों में 6 महीने के अंदर 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. निर्माण क्षेत्र से जुड़े CREDAI ने सरकार से मूल्य नियंत्रित करने की मांग की है. क्रेडाई के अध्यक्ष विजय अग्रवाल ने कहा कि बढ़ती महंगाई की वजह से रियल एस्टेट को बुरी तरह प्रभावित किया है. हालत यह है कि अभी के समय में बालू के दाम आसमान छू रहे हैं जिस वजह से कई प्रोजेक्ट बंद पड़े हैं.

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सीमेंट हुआ महंगा: सीमेंट व्यवसायी रबिंद्र कुमार साहू कहते हैं कि पहले कोरोना के कारण व्यवसाय पर मार पड़ी और अब महंगाई के कारण बिक्री प्रभावित हो चुकी है. उन्होंने कहा कि दिसंबर 2021 में जो सीमेंट 300 रुपये से नीचे बिकता था आज वह 380 रुपये प्रति बैग बिक रहा है, यानी प्रति बैग 80 रुपये का इजाफा सिर्फ 6 महीने के अंदर ही हो चुका है. महंगाई की मार का असर सरकारी और गैर सरकारी दोनों प्रोजेक्ट पर पड़ा है.

बालू की कीमतों में भी आया उछाल: घर बनाने के लिए मैटेरियल खरीद रहे सोमन उरांव कहते हैं जो बालू 17, 500 में प्रति हाइवा मिलता था वह आज 25000 रुपया में भी प्लास्टर के लिए नहीं मिल रहा है. उसी तरह सीमेंट, छड़ और ईंट के दाम में वृद्धि हुई है. सरकारी कॉन्ट्रैक्टर किशोर नाथ शाहदेव कहते हैं कि निर्माण क्षेत्र में महंगाई की वजह से ना केवल रोजगार को प्रभावित किया है. बल्कि सरकार के कई योजनाओं के प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ जाने से इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की परेशानी बढ़ दी है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए.


क्यों बढ़ रहे हैं मैटेरियल के दाम: मटेरियल कॉस्ट बढ़ने के पीछे पेट्रेल डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी को माना जा रहा है. पेट्रेल और डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्टिग और शिपिंग कॉस्ट दोगुने हो गए हैं. महंगाई के कारण लेवर कॉस्ट भी बढ़ा है. इन सबके अलावा ग्लोबल मार्केट में रूस यूक्रेन युद्द के कारण कोयला और स्टील का की सप्लाई बंद है जिससे इनकी कीमते बढ़ीं हैं. भारतीय स्टील और कोल की मांग विदेशों में बढ़ी हैं जिसके कारण भारत से एक्सपोर्ट बढ़ा है ऐसे में देश में इन चीजों की कीमतें बढ़ी हैं.

Last Updated : May 27, 2022, 7:12 PM IST
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