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स्कंद पुराण में भी छठ महापर्व का है जिक्र, जानें अर्घ्य देने का समय

प्रोफेसर सर्व नारायण झा ने बताया कि कहा कि सूर्य विद्या के देवता हैं. यह व्रत करने से वे विद्या बढ़ाते हैं. उन्होंने बताया कि चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत बहुत कठिन होता है. खरना के दिन एक भुक्त यानी एक ही बार अन्न-जल ग्रहण करने का विधान है. उसके बाद व्रती को निर्जला रहना है.

भगवान भास्कर की आराधना
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Published : Nov 1, 2019, 8:02 AM IST

दरभंगा: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ गुरुवार को हो गई है. इसको लेकर कई कथाएं प्रचलित है. कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ व्रत की परंपरा बहुत पुरानी है. इसका प्रमाण प्राचीनतम धर्म ग्रंथ स्कंद पुराण में विस्तार से मिलता है.

देखें पूरी खबर

अर्घ्य का समय
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सर्व नारायण झा के नेतृत्व में कई दशकों से विवि मिथिला पांचांग का प्रकाशन होता आ रहा है. इसी पंचांग के अनुसार मिथिलांचल के इलाके में हिंदू धर्म के व्रत-त्योहार और शुभ कार्य होते हैं. कुलपति ने बताया कि विवि पंचांग के अनुसार इस बार षष्ठी को अपराह्न 5:30 में सूर्यास्त होगा. उसके पहले सायंकालीन अर्घ्य दे देना है. जबकि सप्तमी को पूर्वाह्न 6:32 में सूर्योदय होगा. उसी समय प्रातःकालीन अर्घ्य देना है.

छठ महापर्व,  नहाय खाय की विधि, chhath puja,
खरना पूजा की तस्वीर

क्या है विधान?
प्रोफेसर सर्व नारायण झा ने बताया कि सूर्य विद्या के देवता हैं. यह व्रत करने से वे विद्या बढ़ाते हैं. उन्होंने बताया कि चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत बहुत कठिन होता है. खरना के दिन एक भुक्त यानी एक ही बार अन्न-जल ग्रहण करने का विधान है. उसके बाद व्रती को निर्जला रहना है. व्रतियों को भूमि शैया करनी चाहिए. इस व्रत के दौरान असत्य वचन या झूठ नहीं बोलना चाहिए तभी इसका वांछित फल प्राप्त होता है.

'आराधना से कष्ट होते हैं दूर'
प्रोफेसर सर्व नारायण झा ने स्कंद पुराण के अनुसार छठ व्रत की महिमा और उसके विधि को बताया है. उन्होंने बताया कि छठ व्रत में भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. इनकी आराधना से कुष्ट और क्षय जैसा कोई भी असाध्य रोग हो, वह ठीक हो जाता है.

दरभंगा: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ गुरुवार को हो गई है. इसको लेकर कई कथाएं प्रचलित है. कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ व्रत की परंपरा बहुत पुरानी है. इसका प्रमाण प्राचीनतम धर्म ग्रंथ स्कंद पुराण में विस्तार से मिलता है.

देखें पूरी खबर

अर्घ्य का समय
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सर्व नारायण झा के नेतृत्व में कई दशकों से विवि मिथिला पांचांग का प्रकाशन होता आ रहा है. इसी पंचांग के अनुसार मिथिलांचल के इलाके में हिंदू धर्म के व्रत-त्योहार और शुभ कार्य होते हैं. कुलपति ने बताया कि विवि पंचांग के अनुसार इस बार षष्ठी को अपराह्न 5:30 में सूर्यास्त होगा. उसके पहले सायंकालीन अर्घ्य दे देना है. जबकि सप्तमी को पूर्वाह्न 6:32 में सूर्योदय होगा. उसी समय प्रातःकालीन अर्घ्य देना है.

छठ महापर्व,  नहाय खाय की विधि, chhath puja,
खरना पूजा की तस्वीर

क्या है विधान?
प्रोफेसर सर्व नारायण झा ने बताया कि सूर्य विद्या के देवता हैं. यह व्रत करने से वे विद्या बढ़ाते हैं. उन्होंने बताया कि चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत बहुत कठिन होता है. खरना के दिन एक भुक्त यानी एक ही बार अन्न-जल ग्रहण करने का विधान है. उसके बाद व्रती को निर्जला रहना है. व्रतियों को भूमि शैया करनी चाहिए. इस व्रत के दौरान असत्य वचन या झूठ नहीं बोलना चाहिए तभी इसका वांछित फल प्राप्त होता है.

'आराधना से कष्ट होते हैं दूर'
प्रोफेसर सर्व नारायण झा ने स्कंद पुराण के अनुसार छठ व्रत की महिमा और उसके विधि को बताया है. उन्होंने बताया कि छठ व्रत में भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. इनकी आराधना से कुष्ट और क्षय जैसा कोई भी असाध्य रोग हो, वह ठीक हो जाता है.

Intro:दरभंगा। कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ व्रत की परंपरा बहुत पुरानी है। इसका प्रमाण प्राचीनतम धर्म ग्रंथ स्कंद पुराण में विस्तार से मिलता है। यह कहना है कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा का। कुलपति के नेतृत्व में संस्कृत विवि कई दशक से विवि मिथिला पांचांग का प्रकाशन करता है। इसी पांचांग के अनुसार मिथिलांचल के इलाके में हिंदू धर्म के व्रत-त्योहार और शुभ कार्य होते हैं। कुलपति ने बताया कि विवि पांचांग के अनुसार इस बार षष्ठी को अपराह्न 5:30 में सूर्यास्त होगा। उसके पहले सायंकालीन अर्घ्य दे देना है। जबकि सप्तमी को पूर्वाह्न 6:32 में सूर्योदय होगा। उसी समय प्रातःकालीन अर्घ्य देना है।


Body:कुलपति ने स्कंद पुराण के अनुसार छठ व्रत की महिमा और उसके करने की विधि बतायी। उन्होंने बताया कि छठ व्रत में भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। इनकी आराधना से कुष्ट और क्षय जैसा कोई भी असाध्य रोग हो, वह ठीक हो जाता है। इसके अलावा किसी व्यक्ति की संतान अगर होकर जीवित नहीं रहती हो तो व्रत करने से वह भी दीर्घायु होती है। उन्होंने कहा कि सूर्य विद्या के देवता हैं। यह व्रत करने से वे विद्या बढ़ाते हैं।


Conclusion:उन्होंने बताया कि चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत बहुत कठिन होता है। खरना के दिन एक भुक्त यानी एक ही बार अन्न-जल ग्रहण करने का विधान है। उसके बाद व्रती को निर्जला रहना है। व्रतियों को भूमि शैया करनी चाहिए। इस व्रत के दौरान असत्य वचन या झूठ नहीं बोलना चाहिए तभी इसका वांछित फल प्राप्त होता है।

बाइट 1- प्रो. सर्व नारायण झा, कुलपति, केएसडीएसयू.

विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
दरभंगा
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