रांची: झारखंड में मानव तस्करी (Human Trafficking In Jharkhand) रुकने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामले में मानव तस्करी की शिकार पाकुड़ की चार बच्चियां और साहिबगंज की एक महिला को दिल्ली में मुक्त कराया गया है (4 girls of Jharkhand were made free in Delhi). एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र नई दिल्ली की नोडल ऑफिसर नचिकेता ने बताया कि मुक्त कराई गई बच्चियों को मानसिक और शारीरिक रूप से इतना प्रताड़ित किया गया है कि ये मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गई हैं. वर्तमान में अभी तीनों का इलाज चल रहा है. पाकुड़ जिला और साहिबगंज जिला प्रशासन के सहयोग से मुक्त कराई गईं बच्चियों एवं महिला को आज वापस उनके गृह जिले में पुनर्वासित किया जा रहा है.
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दरअसल, झारखंड में गरीबी और लाचारी का फायदा उठाकर गांव के ही कुछ फरेबी लोगों को धोखा देते हैं. परिवार के लोगों को बहला कर उनके बच्चों को महानगरों में बेच देते हैं, जहां उनका शोषण होता है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कई मंच पर इन बातों का जिक्र कर चुके हैं. उनका मानना है कि झारखंड की बेटियां महानगरों में दाई बनकर नहीं बल्कि नर्स या प्रोफेशनल बंद कर जाना चाहिए. उनकी पहल पर मानव तस्करी के शिकार बच्चों को मुक्त करा कर पुनर्वासित किया जा रहा है.
आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार नई दिल्ली के एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले-भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है. इसे लेकर दिल्ली पुलिस, बाल कल्याण समिति, नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है.