रांची: राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को बहुमत मिली. तीन पार्टी को मिलाकर महागठबंधन ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की. झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में महागठबंधन की सरकार बन चुकी है. हेमंत सोरेन राज्य के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिए. हेमंत सोरेन झारखंड की राजनीति में बड़ा नाम हैं. उनकी गिनती झारखंड के कद्दावर नेताओं में होती है.
1975 में हेमंत का जन्म
38 वर्षीय हेमंत, शिबू सोरेन के बेटे हैं. हेमंत का जन्म 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ जिले के सुदूर नेमरा गांव में हुआ था. उनके दो बेटे हैं, उनका नाम निखिल और अंश है, जबकि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन निजी स्कूल की संचालक हैं.
इंजीनियर बनना चाहते थे हेमंत
हेमंत का राजनीति में आने का किस्सा भी दिलचस्प है. उनकी मां रूपी सोरेन उन्हें इंजीनियर बनाना चाहती थीं, लेकिन किस्मत और हेमंत को कुछ और ही करना था. उन्होंने 12वीं तक ही पढ़ाई की और फिर इंजीनियरिंग में दाखिला तो लिया मगर बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी. 2003 में उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. हेमंत सोरेन 2009 में राज्यसभा के सदस्य चुने गए. बाद में उन्होंने दिसंबर 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में संथाल परगना के दुमका सीट से जीत हासिल की और राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया.
2010 में बने उप मुख्यमंत्री
इसके बाद जब 2010 में भारतीय जनता पार्टी के अर्जुन मुंडा की सरकार बनी तो समर्थन के बदले हेमंत सोरेन को उप मुख्यमंत्री बनाया गया, हालांकि, जनवरी 2013 को झामुमो की समर्थन वापसी के चलते बीजेपी के नेतृत्व वाली अर्जुन मुंडा की गठबंधन सरकार गिर गई. 13 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन ने झारखंड के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. 38 साल की उम्र में हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बने.
2014 में दुमका सीट से मिली हार
2014 का विधानसभा चुनाव हेमंत के मुख्यमंत्री रहते हुए जेएमएम ने उनके नेतृत्व में लड़ा, लेकिन वो खुद दुमका से बीजेपी की लुईस मरांडी से हार गए, हालांकि हेमंत सोरेन बरहेट से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे, लेकिन पार्टी को बहुमत नहीं दिला सके, लिहाजा उन्हें विपक्ष में बैठना पड़ा और उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिला.
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इस बार यानि 2019 के विधानसभा चुनाव में पिछली गलितयों को सुधारते हुए हेमंत ने कांग्रेस और आरजेडी के साथ महागठबंधन बनाया और सरकारी की नाकामियों को लोगों तक बखूबी पहुंचाया, जिसका नतीजा है कि हेमंत सोरेन एक बार फिर से राज्य की बागडोर संभाल रहे हैं.