ETV Bharat / city

शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई, जानिए सरकार ने क्या दी दलील

author img

By

Published : Sep 22, 2021, 8:16 AM IST

Updated : Sep 22, 2021, 8:34 AM IST

झारखंड हाई कोर्ट में सरकार की नई थोक शराब नीति को लेकर बहस हुई. जिसमें कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनते हुए अगली तारीख पर फिर से अपनी दलील रखने को कहा.

hearing on new liquor policy in jharkhand high court
शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में राज्य सरकार की नई थोक शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मामले में फिर 29 सितंबर को दोनों पक्षों से अपनी बात रखने को कहा है.

ये भी पढ़ेंः झारखंड हाई कोर्ट ने जगन्नाथ मंदिर न्यास समिति को भेजा नोटिस, जानिए क्यों

शराब नीति के मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई थोक शराब नीति में किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से लगाए गए आरोप गलत और निराधार है. टेंडर से पहले गजट में प्रकाशन की बाध्यता नहीं है. वहीं ममले में हस्तक्षेप याचिका दायर करने वाले अन्य पक्ष के अधिवक्ताओं ने भी महाधिवक्ता की इस दलील पर अपनी स्वीकृति देते हुए कहा कि राज्य सरकार के द्वारा बनाई गई नई शराब नीति सही है. नियम संगत है.

जानकारी देते अधिवक्ता

वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सरकार की इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि सरकार की नई थोक शराब नीति में कई खामियां हैं. यह शराब नीति नियम संगत नहीं है. इसलिए इस शराब नीति को रद्द कर देना चाहिए. फिर से शराब नीति बनाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि पूर्व के बनाए गए शराब नीति को हटाए बिना नई शराब नीति नहीं बनाई जा सकती है.

बता दें कि याचिका झारखंड रिटेल लिकर वेंडर एसोसिएशन के अध्यक्ष अचिंत्य साव ने हाई कोर्ट में दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से थोक शराब बिक्री के लिए बनाई गई नई नियमावली नियम संगत नहीं है. इसमें कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है. एक्साइज एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत बनने वाली नई नियमावली से पहले उस पर आपत्ति मांगा जाना अनिवार्य है. आपत्ति को समाहित करते हुए उसे कैबिनेट भेजा जाता है. वहां से सहमति मिलने पर नियमावली की अधिसूचना जारी की जाती है. लेकिन सरकार ने आपत्ति मंगाने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया है. एक्साइज एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत पहले ही एक नियमावली बनी है. ऐसे में जब तक उक्त नियमावली को हटाया नहीं जाता है, तब तक नई नियमावली नहीं बनाई जा सकती है. अदालत से नई नियमावली को निरस्त करने की मांग की गई है.

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में राज्य सरकार की नई थोक शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मामले में फिर 29 सितंबर को दोनों पक्षों से अपनी बात रखने को कहा है.

ये भी पढ़ेंः झारखंड हाई कोर्ट ने जगन्नाथ मंदिर न्यास समिति को भेजा नोटिस, जानिए क्यों

शराब नीति के मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई थोक शराब नीति में किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से लगाए गए आरोप गलत और निराधार है. टेंडर से पहले गजट में प्रकाशन की बाध्यता नहीं है. वहीं ममले में हस्तक्षेप याचिका दायर करने वाले अन्य पक्ष के अधिवक्ताओं ने भी महाधिवक्ता की इस दलील पर अपनी स्वीकृति देते हुए कहा कि राज्य सरकार के द्वारा बनाई गई नई शराब नीति सही है. नियम संगत है.

जानकारी देते अधिवक्ता

वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सरकार की इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि सरकार की नई थोक शराब नीति में कई खामियां हैं. यह शराब नीति नियम संगत नहीं है. इसलिए इस शराब नीति को रद्द कर देना चाहिए. फिर से शराब नीति बनाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि पूर्व के बनाए गए शराब नीति को हटाए बिना नई शराब नीति नहीं बनाई जा सकती है.

बता दें कि याचिका झारखंड रिटेल लिकर वेंडर एसोसिएशन के अध्यक्ष अचिंत्य साव ने हाई कोर्ट में दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से थोक शराब बिक्री के लिए बनाई गई नई नियमावली नियम संगत नहीं है. इसमें कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है. एक्साइज एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत बनने वाली नई नियमावली से पहले उस पर आपत्ति मांगा जाना अनिवार्य है. आपत्ति को समाहित करते हुए उसे कैबिनेट भेजा जाता है. वहां से सहमति मिलने पर नियमावली की अधिसूचना जारी की जाती है. लेकिन सरकार ने आपत्ति मंगाने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया है. एक्साइज एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत पहले ही एक नियमावली बनी है. ऐसे में जब तक उक्त नियमावली को हटाया नहीं जाता है, तब तक नई नियमावली नहीं बनाई जा सकती है. अदालत से नई नियमावली को निरस्त करने की मांग की गई है.

Last Updated : Sep 22, 2021, 8:34 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.