रांची: झारखंड में पर्यटन स्थल पर मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के मामले पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कई निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार झारखंड को पर्यटन हब बना सकती है. यहां प्रकृति का दिया हुआ सब कुछ है. सिर्फ आकर्षक ढंग से डेवलप करने की जरूरत है.
मलूटी मंदिर जीर्णोद्धार मामले पर नाराजगी
अदालत ने कहा कि पर्यटन स्थल को विकसित करने की जरुरत है. अदालत ने मलूटी मंदिर जीर्णोद्धार मामले पर नाराजगी व्यक्त की है. सरकार को निर्माण पर निगरानी करने को कहा है. एक्सपर्ट से राय लेकर उसे ठीक ढंग से ठीक करने को कहा गया है.
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'झारखंड को पर्यटन हब बनाया जा सकता है'
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सहित नारायण प्रसाद की अदालत में पर्यटन स्थलों में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के पर्यटन विभाग के सचिव उपस्थित हुए. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार चाहे तो झारखंड को पर्यटन हब बना सकती है.
पर्यटन स्थल के विकास पर जोर
उन्होंने राज्य सरकार के सड़क की प्रशंसा करते हुए कहा कि राज्य सरकार का जो बना हुआ सड़क है बहुत ही अच्छा है. सड़क से पर्यटन स्थल का एप्रोचिंग तो हो गया है. अब जरूरत है आकर्षक ढंग से पर्यटन स्थल का विकास करने की. उन्होंने कहा कि जिन पर्यटन स्थल पर गहराई है, वहां पर्यटकों को नजदीक पहुंचने के लिए सुगम व्यवस्था कर दी जाए. उन्होंने उम्रदराज लोगों के लिए जोन्हा फॉल का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर वहां संभव हो तो एक्सीलेटर लगाया जाए, ताकि लोग सुगमता से नीचे भी जा सकें.
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मंदिरों की नगर मलूटी पर चर्चा
सुनवाई के दौरान मंदिरों की नगर मलूटी पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मलूटी में जिस तरह से मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, उसमें उसे मूर्त रूप से नहीं किया जा रहा है. पुराने निर्माण के फोटो और नए निर्माण को देखने के बाद लगता है कि निर्माणकर्ता ने तो मंदिरों को कबाड़ा ही कर दिया है. उन्होंने कहा कि मूल स्वरुप से छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए था. उन्होंने एक्सपर्ट से राय लेकर उसे ठीक करने का निर्देश दिया है. साथ ही राज्य सरकार को निर्माण पर लगातार निगरानी करने को भी कहा है.
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पर्यटन सचिव अदालत में उपस्थित हुए
अदालत ने राज्य सरकार को मैक्लुस्कीगंज को भी डेवलप करने का निर्देश दिया है. बता दें कि बबलू कुमार ने झारखंड के पर्यटन स्थलों में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर जनहित याचिका दायर की है. उसी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व में अदालत ने पर्यटन विभाग के सचिव को उपस्थित होकर जवाब पेश करने को कहा था. अदालत के उसी आदेश के आलोक में पर्यटन सचिव अदालत में उपस्थित हुए.