रांची: जिले में अवैध रूप से हो रहे बालू खनन को रोकने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत में सरकार की ओर से समय से जवाब पेश नहीं किए जाने के कारण शुक्रवार को विस्तृत सुनवाई नहीं हो सकी. अदालत ने 10 जुलाई को मामले पर विस्तृत सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की है.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में अवैध ढंग से बालू खनन को रोकने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. दोनों न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई पूरी की. सरकार की ओर से अधिवक्ता और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अपने-अपने घर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखे.
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ठेकेदार पर जुर्माना
याचिकाकर्ता राम सुभाग सिंह ने अदालत को बताया कि पलामू में पांच जगह से लगातार बालू का अवैध ढंग से उठाव किया जा रहा है. पहले ठेकेदार को ठेका दिया गया था, लेकिन जितने उठाने का ठेका दिया गया था, उससे कहीं अधिक उठाव किया गया. मामले की जांच खनन पदाधिकारी ने किया. उसके बाद खनन पदाधिकारी ने ठेकेदार पर जुर्माना भी लगाया, लेकिन ठेकेदार ने किसी का प्रवाह किए बगैर बिना जुर्माना देते हुए लगातार बालू का उठाव करते रहा.
मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तिथि निर्धारित
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि ठेकेदार पर कार्रवाई की गई है. उसके लाइसेंस को रद्द कर दिया गया है, लेकिन सरकार ने अदालत में विलंब से जवाब पेश किया, जिसके कारण अदालत ने मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तिथि निर्धारित की है. बता दें कि उपेंद्र सिंह को पहले बालू उठाव के लिए ठेका मिला था, जो फरवरी 2019 में ही खत्म हो गया. उसके बाद भी बिना ठेका के अवैध ढंग से लगातार बालू उठाव किया जा रहा है. उसी को रोकने के लिए जनहित याचिका दायर की थी. उस याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले पर विस्तृत सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तिथि निर्धारित की है.