रांचीः चारा घोटाला में डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद की ओर से डे टू डे बहस हो रही. इसी मामले में मंगलवार को सीबीआई की विशेष अदालत में उनके अधिवक्ता ने लालू प्रसाद की बच्चियों का स्कूल में नामांकन के बिंदु पर बहस की.
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सीबीआई की विशेष अदालत में उनके अधिवक्ता ने कहा कि लालू प्रसाद ने फॉर्म पर हस्ताक्षर कर भेज दिया था. मोहंती शुक्ला बच्चियों को पढ़ाती थी, कौन उनका स्थानीय अभिभावक बना, इसके बारे में लालू यादव को कोई जानकारी नहीं थी. इस मामले में सीबीआई बेवजह उन्हें फंसा रही है. मामले की सुनवाई सीबीआई के विशेष जज एसके शशि की अदालत में हुई.
लालू यादव के अधिवक्ता संजय कुमार ने बताया कि पूर्व की बहस के दौरान अदालत को बताया गया था कि 1990 में गैर-व्यावसायिक वाहन से मवेशी ढोए गए थे. इसके नाम पर कोषागार से 26 हजार रुपये की निकासी की गयी थी, इसमें लालू यादव की कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने तो खुद सीबीआई जांच की बात कही थी. लेकिन तत्कालीन पशुपालन सचिव डीएन सहाय ने कहा था कि मेरी बात सीबीआई के निदेशक से हुई है वो इस केस को लेने को तैयार नहीं है. इसकी जांच सीआईडी या निगरानी से कराई जाए. इस मामले को लेकर लालू यादव ने मुख्य सचिव से मंतव्य मांगा, इसमें उनके मुवक्किल कहीं से भी दोषी नहीं है.
चारा घोटाला के सबसे बड़े इस मामले में बुधवार को लालू प्रसाद की ओर से जारी बहस पूरी होने आसार है. सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि इसी मामले में डॉ. राधा रमन सहाय की ओर से बहस पूरी की गयी. इस मामले में 89 आरोपियों की बहस पूरी कर ली गयी है.
चारा घोटाले के सबसे बड़े डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़े मामले में लालू प्रसाद, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, डॉ. आरके राणा, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, डॉ. केएम प्रसाद, डॉ. गौरी शंकर प्रसाद समेत 104 आरोपी मुकदमा का सामना कर रहे हैं. सीबीआई ने प्रारंभ में 170 लोगों को आरोपी बनाया था. लालू यादव समेत 147 आरोपियों के खिलाफ आरोप गठित किया गया था. सुनवाई के दौरान अब तक बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र समेत 37 आरोपियों का निधन हो चुका है.