रांची: नामकुम के आरसीएच स्थित आईपीएच सभागार में बुधवार को एनएचएम के नियुक्त 280 चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र के वितरण कार्यक्रम में प्रधान सचिव के दिए गए वक्तव्य पर राज्य भर के चिकित्सकों ने विरोध जताना शुरू किया. गुरुवार को स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी की तरफ से स्पष्टीकरण जाहिर करते हुए कहा कि उनके कहने का उद्देश्य कुछ और था लेकिन चिकित्सक उसे गलत दिशा में समझ रहे हैं.
दरअसल, नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने कहा कि डॉक्टरी पेशे में लोग इसलिए आते हैं ताकि उन्हें काम ना करना पड़े और उन्हें दहेज में भारी-भरकम रकम मिल सके. स्वास्थ्य सचिव के इस बयान को लेकर डॉक्टर ने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया. झारखंड इकाई के आईएमए ने इसकी घोर निंदा की. आईएमए ने राज्यपाल को पत्र लिखते हुए स्वास्थ्य सचिव पर कार्रवाई करने की मांग भी की.डॉक्टरों के विरोध को देखते हुए एनएचएम के अभियान निदेशक रवि शंकर शुक्ला ने प्रधान सचिव के इस बयान को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया. उन्होंने कहा कि प्रधान सचिव ने बुधवार को जिस उद्देश्य के साथ कहा था उस उद्देश्य को कार्यक्रम में मौजूद चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्य कर्मी ने गलत रूप में लिया है.अभियान सचिव रवि शंकर शुक्ला ने स्पष्टीकरण पत्र में लिखते हुए कहा कि बुधवार को स्वास्थ्य सचिव ने कोरोना काल में स्वास्थ्यकर्मियों के उत्कृष्ट कार्यों का उल्लेख किया था और उन्होंने स्पष्ट कहा था कि लोग ऐसा समझते हैं कि डॉक्टरी पेशे में कोई काम नहीं होता है और वह भारी-भरकम दहेज के लिए डॉक्टर बनते हैं. जबकि स्वास्थ्य सचिव की ऐसी कोई मंशा थी.
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स्वास्थ विभाग के सचिव के तरफ से दिए गए बयान को लेकर राज्य के डॉक्टरों में खासा विरोध देखा जा रहा है, लेकिन अब यह माना जा रहा है कि स्वास्थ सचिव और स्वास्थ विभाग की ओर से स्पष्टीकरण जारी करने के बाद कहीं ना कहीं डॉक्टरों के आक्रोश में कमी देखी जाएगी.