रांची: पिछले दिनों निजी संस्था के एक पत्रकार की गर्ववती पत्नी के इलाज में लापरवाही बरतने के कारण गर्भ में ही बच्चे की मौत हो गयी. मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट कर दोषी पर कार्रवाई करने की बात कही है लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि जब एक पत्रकार की पत्नी को स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के कारण इन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो आम लोगों की क्या स्थिति हो रही होगी.
दरअसल, पत्रकार विनय मुर्मू अपनी पत्नी का डिलीवरी कराने निजी अस्पताल पहुंचे, जहां निजी अस्पतालों ने कोविड-19 के जांच रिपोर्ट नहीं होने के कारण ऑपरेशन करने से मना कर दिया जिसके बाद अपनी गर्भवती पत्नी और होने वाले बच्चे का जान बचाने के लिए पत्रकार विनय मुर्मू सदर अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी और वहां से वह अपने बच्चे को लेकर डोरंडा के लिए रवाना हुए जहां पर नर्सों ने कागजी कार्रवाई का हवाला देकर काफी समय बर्बाद कर दिया जिस कारण अत्यधिक रक्त के रिसाव होने की वजह से बच्चे की पेट के अंदर ही मौत हो गई.
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इस पूरे मामले पर स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट कर दोषी पर कार्रवाई करने की बात कही है लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि जब एक पत्रकार की पत्नी को स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के कारण इन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो आम लोगों की क्या स्थिति हो रही होगी. घटना की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने दोषी पर कार्रवाई करने की बात तो कर दी लेकिन यह सिर्फ दिखावे तक का ही लग रहा है. क्योंकि अभी तक डोरंडा में लापरवाही करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई तक नहीं की गई है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पूरे मामले में दोषी लोगों पर कार्रवाई नहीं करती है तो यह उनकी संवेदनहीनता को दिखाता है.