रांची: जेलों में धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है. इसे रोकने के लिए झारखंड के डीजीपी कमलनयन चौबे ने सीआईडी मुख्यालय को एक पत्र भेजा है. जिसमें आम कैदियों और हार्डकोर कैदियों को अलग रखने की बात कही गई है.
डीजीपी के पत्र आने के बाद सीआईडी और एडीजी ने सभी जिलों के एसपी से इस संबंध में पत्राचार किया है. नए आदेश के मुताबिक, जेलों में बंद हार्डकोर आतंकी और आम कैदियों को अलग अलग रखा जाएगा. वहीं जेलों में कट्टरता रोकने के लिए कैदियों के बीच अध्यात्मिक गुरूओं के जरिए शिक्षा भी दी जाएगी.
जेलों में कट्टरता फैलाने वालों की पहचान का आदेश
सीआईडी और एडीजी के पत्र में जिक्र है कि जेल अधिकारियों को कट्टरता रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है. यही वजह है कि हार्डकोर आतंकी और आम कैदियों को अलग-अलग करने की जरुरत है. वैसे लोग जो लगातार धार्मिक कट्टरता बढ़ाने में लगे हैं, उन्हें चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जरुरत है.
वहीं, जेलों में कट्टरता रोकने के लिए एनजीओ के मदद से सलाह दी गई है. समय-समय पर धार्मिक- अध्यात्मिक गुरुओं के कार्यक्रम, वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम, लाइब्रेरी और शैक्षणिक सुविधाएं मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है. जरुरत पड़ने पर मनोवैज्ञानिकों के इस्तेमाल का भी आदेश दिया गया है.
कार्रवाई कर रिपोर्ट की मांग
सीआईडी एडीजी ने जिलों के एसपी को निर्देश दिया है कि जेल में कट्टरता रोकने को लेकर दिए गए निर्देशों का कार्रवाई प्रतिवेदन दे. इस कार्रवाई प्रतिवेदन को केंद्रीय गृह मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी को भेजा जाएगा. मिली जानकारी के मुताबिक, देश भर के जेलों में कट्टरता रोकने के लिए एनआईए, आईबी, राज्य पुलिस और जेल प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी. बैठक के बाद गृह मंत्रालय ने इस संबंध में कार्रवाई के लिए राज्यों को पत्र भेजा था.