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निजी विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक गतिविधियों की राज्यपाल ने की समीक्षा, यूजीसी के मापदंड को पूरा करने का दिया निर्देश - review of academic activities

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने आज विभिन्न निजी विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा की है. समीक्षा बैठक में राज्यपाल ने सभी निजी विश्वविद्यालयों को यूजीसी एवं सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों को यथाशीघ्र पूर्ण करने का निर्देश दिया है.

private universities review
निजी विश्वविद्यालयों की समीक्षा
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Published : Dec 17, 2021, 10:16 PM IST

रांची: राज्यपाल रमेश बैस ने आज (17 दिसंबर) राजभवन में विभिन्न निजी विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा की है. निजी विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक में अपर मुख्य सचिव, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के केके. खंडेलवाल, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव शैलेश कुमार सिंह एवं राज्य में स्थित विभिन्न निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद थे.

ये भी पढ़ें- JPSC Controversy: राजभवन पहुंची बीजेपी, जेपीएससी परीक्षा में गड़बड़ी की सीबीआई जांच की मांग

छात्रों के हित को ध्यान में रखें निजी विश्वविद्यालय

समीक्षा बैठक में राज्यपाल ने सभी निजी विश्वविद्यालयों को यूजीसी एवं सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों को यथाशीघ्र पूर्ण करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि सभी निजी विश्वविद्यालयों को छात्रहित सर्वोपरि रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक राज्य में काफी निजी विश्वविद्यालय खुल रहे हैं. उन्होंने छतीसगढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि जबसे निजी विश्वविद्यालय खुलने के लिए मान्यता देने की प्रचलन शुरू हुई है छत्तीसगढ़ में 2001 से अब तक 125 से अधिक विश्वविद्यालय खुल गये. यहां तक कि कुछ विश्वविद्यालय होटलों से संचालित हो रहे थे. उन्होंने छात्रहित में इस विषय को गंभीरतापूर्वक उठाया. परिणाम यह हुआ कि बिना यूजीसी और सरकार के मापदंड के बिना संचालित निजी विश्वविद्यालय बंद हो गए और दो माह के अंदर मात्र 6 विश्वविद्यालय ही शेष बच गए हैं.

शिक्षा को व्यवसाय नहीं बनाएं
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि शिक्षा को व्यवसाय के रूप में कतई नहीं लेना चाहिये. छात्रहित में ऐसी शिक्षा व्यवस्था का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने कहा कि आश्चर्य व दुख का विषय है कि हमारे राज्य में स्थापित निजी विश्वविद्यालय यूजीसी और सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों को पूर्ण नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यूजीसी की अनुमति के बिना निजी विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न कोर्स प्रारम्भ कर विद्यार्थियों को डिग्री वितरित कर दी जाती हैं.ऐसा कर वे सिर्फ विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.

निजी विश्वविद्यालयों को नसीहत
राज्यपाल ने समीक्षा बैठक में निजी विश्वविद्यालयों को नसीहत दी है. उन्होंने कहा एक समय नेतरहाट में पढ़ने के लिये हर विद्यार्थी इच्छुक रहते थे.मां-बाप का सपना होता था कि उनके बच्चे का नेतरहाट विद्यालय में हो. उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा कि क्या हम यहां के विश्वविद्यालयों में उस प्रकार का वातावरण नहीं स्थापित कर सकते हैं जहां देश-विदेश से विद्यार्थी शिक्षा हासिल करने आएं. उन्होंने कहा कि सभी निजी विश्वविद्यालयों को अपने विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करनी चाहिये ताकि वे सम्मानजनक रोजगार प्राप्त कर सकें. उन्होंने विश्वविद्यालयों में टीचर-स्टूडेंट्स अनुपात में सुधार लाने पर ज़ोर दिया. राज्यपाल ने कहा कि विडंबना है कि बहुत से निजी विश्वविद्यालयों को कई साल पहले मान्यता मिलने के बावजूद न तो अपना भवन और न ही पर्याप्त भूमि.

दिव्यांगों के लिए विश्वविद्यालयों में विशेष व्यवस्था
राज्यपाल ने सभी निजी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि वे अपने यहां छात्राओं एवं दिव्यांगो के लिए पृथक शौचालय की व्यवस्था करें. उन्होंने दिव्यांगो के लिए रैम्प का निर्माण शीघ्र करने का निदेश दिया. राज्यपाल ने कहा कि लोकसभा की सामाजिक न्याय और अधिकारता संसदीय समिति का अध्यक्ष होने के नाते डिसेबिलिटी विधेयक के अध्ययन के दौरान कई शहरों का भ्रमण किया और देश भर के दिव्यांगजनों से मिला उनकी बातें सुनी व उनकी प्रतिभाएं देखी इसलिए दिव्यांगों के लिए रैम्प की आवश्यकता को मैं समझता हूं.

महिलाओं को मिले रोजगार

उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय यहां की महिलाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार सुलभ कराने की दिशा में गंभीरतापूर्वक ध्यान दें. राज्यपाल ने कहा कि देश के विभिन्न अस्पतालों में केरल की नर्सेज को देखा जाता है. उन्होंने कहा कि हम झारखंड की महिलाओं को नर्स की बेहतर प्रशिक्षण क्यों नहीं दे सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि आज हमारे विद्यार्थी यहां से डिग्री प्राप्त कर राज्य के बाहर नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इस राज्य में भी कई कंपनियां हैं आप सभी को चाहिये कि विद्यार्थियों के प्लेसमेंट के लिए पूरा प्रयास करें. उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों को अपने यहाँ प्लेसमेंट सेंटर को प्रभावी बनाने के लिए निर्देश दिया. राज्यपाल ने निजी विश्वविद्यालयों को विभिन्न प्रशासनिक पदों कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्तीय सलाहकार, वित्तीय पदाधिकारी इत्यादि पर नियुक्ति के समय उनकी पृष्ठभूमि की ओर गंभीरतापूर्वक जांच करने के लिए कहा है. राज्यपाल ने कहा कि कॉलेज के अधिकारियों की छवि बेहतर होना चाहिये ताकि विश्वविद्यालय की छवि खराब न हो.

अपर मुख्य सचिव का निर्देश.
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के. के. खंडेलवाल, ने कहा कि राज्यपाल राज्य में उच्च शिक्षा के विकास के लिए चिंतित हैं. वे इसके लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिए उनका निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों के पास 25 एकड़ की भूमि होनी चाहिये. इसके अतिरिक्त 5 वर्ष के अंदर पूर्णतः आधारभूत संरचना विकसित होना चाहिए. उन्होंने सभी निजी विश्वविद्यालयों से निर्धारित मापदंडों का शीघ्र अनुपालन करने हेतु निदेश दिया.गौरतलब है कि राज्य में कुल 16 निजी विश्वविद्यालय है.

रांची: राज्यपाल रमेश बैस ने आज (17 दिसंबर) राजभवन में विभिन्न निजी विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा की है. निजी विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक में अपर मुख्य सचिव, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के केके. खंडेलवाल, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव शैलेश कुमार सिंह एवं राज्य में स्थित विभिन्न निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद थे.

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छात्रों के हित को ध्यान में रखें निजी विश्वविद्यालय

समीक्षा बैठक में राज्यपाल ने सभी निजी विश्वविद्यालयों को यूजीसी एवं सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों को यथाशीघ्र पूर्ण करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि सभी निजी विश्वविद्यालयों को छात्रहित सर्वोपरि रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक राज्य में काफी निजी विश्वविद्यालय खुल रहे हैं. उन्होंने छतीसगढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि जबसे निजी विश्वविद्यालय खुलने के लिए मान्यता देने की प्रचलन शुरू हुई है छत्तीसगढ़ में 2001 से अब तक 125 से अधिक विश्वविद्यालय खुल गये. यहां तक कि कुछ विश्वविद्यालय होटलों से संचालित हो रहे थे. उन्होंने छात्रहित में इस विषय को गंभीरतापूर्वक उठाया. परिणाम यह हुआ कि बिना यूजीसी और सरकार के मापदंड के बिना संचालित निजी विश्वविद्यालय बंद हो गए और दो माह के अंदर मात्र 6 विश्वविद्यालय ही शेष बच गए हैं.

शिक्षा को व्यवसाय नहीं बनाएं
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि शिक्षा को व्यवसाय के रूप में कतई नहीं लेना चाहिये. छात्रहित में ऐसी शिक्षा व्यवस्था का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने कहा कि आश्चर्य व दुख का विषय है कि हमारे राज्य में स्थापित निजी विश्वविद्यालय यूजीसी और सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों को पूर्ण नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यूजीसी की अनुमति के बिना निजी विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न कोर्स प्रारम्भ कर विद्यार्थियों को डिग्री वितरित कर दी जाती हैं.ऐसा कर वे सिर्फ विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.

निजी विश्वविद्यालयों को नसीहत
राज्यपाल ने समीक्षा बैठक में निजी विश्वविद्यालयों को नसीहत दी है. उन्होंने कहा एक समय नेतरहाट में पढ़ने के लिये हर विद्यार्थी इच्छुक रहते थे.मां-बाप का सपना होता था कि उनके बच्चे का नेतरहाट विद्यालय में हो. उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा कि क्या हम यहां के विश्वविद्यालयों में उस प्रकार का वातावरण नहीं स्थापित कर सकते हैं जहां देश-विदेश से विद्यार्थी शिक्षा हासिल करने आएं. उन्होंने कहा कि सभी निजी विश्वविद्यालयों को अपने विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करनी चाहिये ताकि वे सम्मानजनक रोजगार प्राप्त कर सकें. उन्होंने विश्वविद्यालयों में टीचर-स्टूडेंट्स अनुपात में सुधार लाने पर ज़ोर दिया. राज्यपाल ने कहा कि विडंबना है कि बहुत से निजी विश्वविद्यालयों को कई साल पहले मान्यता मिलने के बावजूद न तो अपना भवन और न ही पर्याप्त भूमि.

दिव्यांगों के लिए विश्वविद्यालयों में विशेष व्यवस्था
राज्यपाल ने सभी निजी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि वे अपने यहां छात्राओं एवं दिव्यांगो के लिए पृथक शौचालय की व्यवस्था करें. उन्होंने दिव्यांगो के लिए रैम्प का निर्माण शीघ्र करने का निदेश दिया. राज्यपाल ने कहा कि लोकसभा की सामाजिक न्याय और अधिकारता संसदीय समिति का अध्यक्ष होने के नाते डिसेबिलिटी विधेयक के अध्ययन के दौरान कई शहरों का भ्रमण किया और देश भर के दिव्यांगजनों से मिला उनकी बातें सुनी व उनकी प्रतिभाएं देखी इसलिए दिव्यांगों के लिए रैम्प की आवश्यकता को मैं समझता हूं.

महिलाओं को मिले रोजगार

उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय यहां की महिलाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार सुलभ कराने की दिशा में गंभीरतापूर्वक ध्यान दें. राज्यपाल ने कहा कि देश के विभिन्न अस्पतालों में केरल की नर्सेज को देखा जाता है. उन्होंने कहा कि हम झारखंड की महिलाओं को नर्स की बेहतर प्रशिक्षण क्यों नहीं दे सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि आज हमारे विद्यार्थी यहां से डिग्री प्राप्त कर राज्य के बाहर नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इस राज्य में भी कई कंपनियां हैं आप सभी को चाहिये कि विद्यार्थियों के प्लेसमेंट के लिए पूरा प्रयास करें. उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों को अपने यहाँ प्लेसमेंट सेंटर को प्रभावी बनाने के लिए निर्देश दिया. राज्यपाल ने निजी विश्वविद्यालयों को विभिन्न प्रशासनिक पदों कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्तीय सलाहकार, वित्तीय पदाधिकारी इत्यादि पर नियुक्ति के समय उनकी पृष्ठभूमि की ओर गंभीरतापूर्वक जांच करने के लिए कहा है. राज्यपाल ने कहा कि कॉलेज के अधिकारियों की छवि बेहतर होना चाहिये ताकि विश्वविद्यालय की छवि खराब न हो.

अपर मुख्य सचिव का निर्देश.
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के. के. खंडेलवाल, ने कहा कि राज्यपाल राज्य में उच्च शिक्षा के विकास के लिए चिंतित हैं. वे इसके लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिए उनका निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों के पास 25 एकड़ की भूमि होनी चाहिये. इसके अतिरिक्त 5 वर्ष के अंदर पूर्णतः आधारभूत संरचना विकसित होना चाहिए. उन्होंने सभी निजी विश्वविद्यालयों से निर्धारित मापदंडों का शीघ्र अनुपालन करने हेतु निदेश दिया.गौरतलब है कि राज्य में कुल 16 निजी विश्वविद्यालय है.

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