रांची: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री और देश के तमाम राज्यपालों, कुलपतियों, मुख्यमंत्रियों और शिक्षा मंत्रियों की इस ऑनलाइन सम्मेलन में झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हुई. झारखंड की राज्यपाल सह राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने इस दौरान कहा कि उच्च शिक्षा की दिशा में यह नीति कारगर साबित होगी.
वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद के संबोधन के संबंध में उन्होंने कहा कि जो भी बातें इस वेबिनार के जरिए कहीं गई हैं. वह काफी महत्वपूर्ण हैं. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने यह भी कहा कि इस शिक्षा नीति के माध्यम से जहां उच्च शिक्षा में क्वालिटी और रिसर्च बेस्ड तरीके से बेहतरी आएगी. वहीं, इसमें विद्यार्थियों की आवश्यकताओं और रूचि का भी ख्याल रखा गया है. इसके कारण उच्च शिक्षा में ग्रॉस इनरोलमेंट रेसीओ भी बढ़ेगा. इस शिक्षा नीति के माध्यम से सभी वर्गों तक उच्च शिक्षा पहुंचाने का प्रयास किया गया है.
व्यवसाय रोजगार परक शिक्षा नीति
व्यवसाय रोजगार परक शिक्षा की दिशा में भी यह शिक्षा नीति कारगर साबित होगी. नई शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा का ध्यान रखा गया है, जो झारखंड जैसे राज्य के लिए वरदान है. इस राज्य में पग-पग पर ऐसे कई भाषाएं हैं, जो विलुप्त के कगार पर हैं, लेकिन इस शिक्षा नीति से ये भाषाएं एक बार फिर जीवंत होंगी. उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्रिय भागीदारीता का निर्वाहन करेगा. झारखंड के 32 प्रकार, ओडिशा के 62 प्रकार के जनजातीय समुदायों को मिलकर पूरे भारतवर्ष में 700 प्रकार के जनजातीय समुदाय के लोग लगभग 10 से 11 करोड़ की संख्या में निवास करते हैं. यदि हम मातृभाषा के लिए जनजातीय भाषा का चयन आबादी के अनुसार करें तो अत्यंत उपयुक्त होगा. क्योंकि 700 भाषाओं में पाठ्यक्रम और पुस्तकों की व्यवस्था कराने में समय लग सकता है.
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प्राचीन और नवीन शिक्षा पर जोर
इसमें प्राचीन और नवीन शिक्षा पर जोर दिया गया है. इस नई शिक्षा नीति में लोकल से लेकर ग्लोबल का भी संदेश है. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि शिक्षा नीति पूरे देश के साथ-साथ झारखंड के लिए भी काफी बेहतर साबित होगा.