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झारखंड विधानसभा चुनाव: जब 25 वोटों ने बचाई थी राजा के बेटे की प्रतिष्ठा - 2014 assembly elections

राज्य गठन के बाद झारखंड में चौथी बार विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है. कई सीटों पर कांटे की टक्कर होती है, जहां यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि जीत किसकी होगी. पिछले विधानसभा चुनाव में ऐसे कई जीत हार हुए, जिसमें 25 से 35 वोटों ने फैसला किया.

झारखंड विधानसभा चुनाव
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Published : Sep 17, 2019, 7:44 AM IST

रांची: हर चुनाव में जीत और हार होती है ये अलग बात है उसका अंतर क्या है, लेकिन कुछ हार जो होती है वो कसक दे जाती है. राज्य गठन के बाद झारखंड में चौथी बार विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है. कई सीटों पर कांटे की टक्कर होती है, जहां यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि जीत किसकी होगी.

देखिए स्पेशल स्टोरी


बात करें कुछ ऐसी ही सीटों की जब 25 और 35 वोटों ने किया था जीत और हार का फैसला. 2014 के चुनाव में सात सीटें ऐसी थी जिस पर जीत-हार के लिए प्रत्याशियों को अंतिम राउंड की काउंटिंग तक इंतजार करना पड़ा था.

  • 2005 में हुसैनाबाद सीट के नजीतों ने सबको चौंका दिया था. इस चुनाव में राजद के संजय कुमार की सिर्फ 35 वोट से हार हुई थी. उन्हें एनसीपी के कमलेश सिंह ने हराया था.
  • 2009 विधानसभा चुनाव में हटिया सीट पर सिर्फ 25 वोट से जीत-हार का फैसला हुआ था. हटिया से कांग्रेस के प्रत्याशी रातू महाराजा के पुत्र गोपाल एस.एन.शाहदेव ने बीजेपी के रामजी लाल सारडा को हराया था. इतने कम अंतर से हार-जीत का रिकॉर्ड झारखंड में अब तक नहीं टूटा है.
  • वहीं 2014 में खूंटी जिला के तोरपा सीट से जेएमएम प्रत्याशी पौलुस सुरीन ने बीजेपी के कोचे मुंडा को महज 43 वोट के अंतर से हराया था.
  • 2014 में ही बड़कागांव सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला देवी ने आजसू प्रत्याशी रौशन लाल चौधरी को 411 वोटों से हराया था.
  • 2014 के चुनाव में ही लोहरदगा सीट पर आजसू के कमल किशोर ने कांग्रेस के सुखदेव भगत को 592 वोट से हराया था.
  • खास बात यह है कि 2009 के चुनाव में भी कमल किशोर भगत ने सुखदेव भगत को 606 वोटों से हराया था.
  • 2014 के चुनाव में राजमहल सीट पर बीजेपी के अनंत ओझा ने जेएमएम के मो. ताजुद्दीन को 702 वोट के अंतर से हराया था.
  • 2014 विधानसभा चुनाव में बोरियो सीट पर बीजेपी के ताला मरांडी ने जेएमएम के लोबिन हेंब्रम को 712 वोटों से हराया था.
  • 2014 विधानसभा चुनाव में ही सरायकेला सीट पर जेएमएम के चंपई सोरेन ने बीजेपी के गणेश महली को महज 1,115 वोटों से हराया था.
  • 2014 विधानसभा चुनाव में पांकी सीट का रिजल्ट भी चौकाने वाला था. यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विदेश सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार कुशवाहा शशिभूषण मेहता को 1,995 वोट से हराया था. हालांकि बाद में विदेश सिंह का असमय निधन हो गया था और उपचुनाव में उनके पुत्र देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू ने उपचुनाव जीता था.

रांची: हर चुनाव में जीत और हार होती है ये अलग बात है उसका अंतर क्या है, लेकिन कुछ हार जो होती है वो कसक दे जाती है. राज्य गठन के बाद झारखंड में चौथी बार विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है. कई सीटों पर कांटे की टक्कर होती है, जहां यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि जीत किसकी होगी.

देखिए स्पेशल स्टोरी


बात करें कुछ ऐसी ही सीटों की जब 25 और 35 वोटों ने किया था जीत और हार का फैसला. 2014 के चुनाव में सात सीटें ऐसी थी जिस पर जीत-हार के लिए प्रत्याशियों को अंतिम राउंड की काउंटिंग तक इंतजार करना पड़ा था.

  • 2005 में हुसैनाबाद सीट के नजीतों ने सबको चौंका दिया था. इस चुनाव में राजद के संजय कुमार की सिर्फ 35 वोट से हार हुई थी. उन्हें एनसीपी के कमलेश सिंह ने हराया था.
  • 2009 विधानसभा चुनाव में हटिया सीट पर सिर्फ 25 वोट से जीत-हार का फैसला हुआ था. हटिया से कांग्रेस के प्रत्याशी रातू महाराजा के पुत्र गोपाल एस.एन.शाहदेव ने बीजेपी के रामजी लाल सारडा को हराया था. इतने कम अंतर से हार-जीत का रिकॉर्ड झारखंड में अब तक नहीं टूटा है.
  • वहीं 2014 में खूंटी जिला के तोरपा सीट से जेएमएम प्रत्याशी पौलुस सुरीन ने बीजेपी के कोचे मुंडा को महज 43 वोट के अंतर से हराया था.
  • 2014 में ही बड़कागांव सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला देवी ने आजसू प्रत्याशी रौशन लाल चौधरी को 411 वोटों से हराया था.
  • 2014 के चुनाव में ही लोहरदगा सीट पर आजसू के कमल किशोर ने कांग्रेस के सुखदेव भगत को 592 वोट से हराया था.
  • खास बात यह है कि 2009 के चुनाव में भी कमल किशोर भगत ने सुखदेव भगत को 606 वोटों से हराया था.
  • 2014 के चुनाव में राजमहल सीट पर बीजेपी के अनंत ओझा ने जेएमएम के मो. ताजुद्दीन को 702 वोट के अंतर से हराया था.
  • 2014 विधानसभा चुनाव में बोरियो सीट पर बीजेपी के ताला मरांडी ने जेएमएम के लोबिन हेंब्रम को 712 वोटों से हराया था.
  • 2014 विधानसभा चुनाव में ही सरायकेला सीट पर जेएमएम के चंपई सोरेन ने बीजेपी के गणेश महली को महज 1,115 वोटों से हराया था.
  • 2014 विधानसभा चुनाव में पांकी सीट का रिजल्ट भी चौकाने वाला था. यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विदेश सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार कुशवाहा शशिभूषण मेहता को 1,995 वोट से हराया था. हालांकि बाद में विदेश सिंह का असमय निधन हो गया था और उपचुनाव में उनके पुत्र देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू ने उपचुनाव जीता था.
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रांची: हर चुनाव में जीत और हार होती है ये अलग बात है उसका अंतर क्या है, लेकिन कुछ हार जो होती है वो कसक दे जाती है. राज्य गठन के बाद झारखंड में चौथी बार विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है. कई सीटों पर कांटे की टक्कर होती है, जहां यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि जीत किसकी होगी. 

बात करें कुछ ऐसी ही सीटों की जब 25 और 35 वोटों ने किया था जीत हार का फैसला. 2014 के चुनाव में सात सीटें ऐसी थी जिसपर जीत-हार के लिए प्रत्याशियों को अंतिम राउंड की काउंटिंग तक इंतजार करना पड़ा था. 

2005 में हुसैनाबाद सीट के नजीतों ने सबको चौंका दिया था. इस चुनाव में राजद के संजय कुमार की सिर्फ 35 वोट से हार हुई थी. उन्हें एनसीपी के कमलेश सिंह ने हराया था. 

2009 विधानसभा चुनाव में हटिया सीट पर सिर्फ 25 वोट से जीत-हार का फैसला हुआ था. हटिया से कांग्रेस के प्रत्याशी रातू महाराजा के पुत्र गोपाल एस.एन.शाहदेव से भाजपा के रामजी लाल सारडा को हराया था. इतने कम अंतर से हार-जीत का रिकॉर्ड झारखंड में अब तक नहीं टूटा है. 

वहीं 2014 में खूंटी जिला के तोरपा सीट से जेएमएम प्रत्याशी पौलुस सुरीन ने बीजेपी के कोचे मुंडा को महज 43 वोट के अंतर से हराया था. 

2014 में ही बड़कागांव सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला देवी ने आजसू प्रत्याशी रौशन लाल चौधरी को 411 वोटों से हराया था. 

2014 के चुनाव में ही लोहरदगा सीट पर आजसू के कमल किशोर ने कांग्रेस के सुखदेव भगत को 592 वोट से हराया था.

खास बात यह है कि 2009 के चुनाव में भी कमल किशोर भगत ने सुखदेव भगत को 606 वोटों से हराया था.

2014 के चुनाव में राजमहल सीट पर बीजेपी के अनंत ओझा ने जेएमएम के मो. ताजुद्दीन को 702 वोट के अंतर से हराया था.

2014 विधानसभा चुनाव में बोरियो सीट पर बीजेपी के ताला मरांडी ने जेएमएम के लोबिन हेंब्रम को 712 वोटों से हराया था. 

2014 विधानसभा चुनाव में ही सरायकेला सीट पर जेएमएम के चंपई सोरेन ने बीजेपी के गणेश महली को महज 1,115 वोटों से हराया था. 

2014 विधानसभा चुनाव में पांकी सीट का रिजल्ट भी चौकाने वाला था. यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विदेश सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार कुशवाहा शशिभूषण मेहता को 1,995 वोट से हराया था. हालांकि बाद में विदेश सिंह का असमय निधन हो गया था और उपचुनाव में उनके पुत्र देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू ने उपचुनाव जीता था. 





पैकेज

हर चुनाव में जीत और हार होती है ये अलग बात है उसका अंतर क्या है, लेकिन कुछ हार जो होती है वो कसक दे जाती है. राज्य गठन के बाद झारखंड में चौथी बार विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है. कई सीटों पर कांटे की टक्कर होती है, जहां यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि जीत किसकी होगी. 

बात करें कुछ ऐसी ही सीटों की जब 25 और 35 वोटों ने किया था जीत हार का फैसला

2005 विधानसभा चुनाव में हुसैनाबाद सीट पर एनसीपी के कमलेश सिंह ने राजद के संजय कुमार को 35 वोट हराया था.

2009 विधानसभा चुनाव में हटिया सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी गोपाल एस.एन. शाहदेव ने बीजेपी के रामजी लाल सारडा को 25 वोट से हराया था. 

2014 विधानसभा चुनाव में तोरपा सीट से जेएमएम प्रत्याशी पौलुस सुरीन ने  बीजेपी के कोचे मुंडा को 43 वोट से हराया था. 

2014 में ही बड़कागांव सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला देवी ने आजसू प्रत्याशी रौशन लाल चौधरी को 411 वोटों से हराया था. 

2014 के चुनाव में ही लोहरदगा सीट पर आजसू के कमल किशोर ने कांग्रेस के सुखदेव भगत को 592 वोट से हराया था.

खास बात यह है कि 2009 के चुनाव में भी कमल किशोर भगत ने सुखदेव भगत को 606 वोटों से हराया था.

2014 के चुनाव में राजमहल सीट पर बीजेपी के अनंत ओझा ने जेएमएम के मो. ताजुद्दीन को 702 वोट के अंतर से हराया था.

2014 विधानसभा चुनाव में बोरियो सीट पर बीजेपी के ताला मरांडी ने जेएमएम के लोबिन हेंब्रम को 712 वोटों से हराया था. 

सांसे रोक देने वाले ये फैसले एक रोमांचक क्रिकेट मैच की तरह होते हैं. जहां जो जीता वहीं सिकंदर जीत चाहे एक वोट की हो या एक लाख की 





 


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