रांची: नर्सिंग हॉस्टल में रह रही फर्स्ट ईयर, सेकंड ईयर और थर्ड ईयर की लगभग 200 छात्राओं ने रिम्स प्रबंधन से घर जाने के लिए गुहार लगाई है. नर्सिंग छात्राओं ने मांग करते हुए कहा कि हॉस्टल में किसी भी तरह की सुरक्षा को लेकर इंतजाम नहीं किए गए हैं.
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सुरक्षा के मानकों का ध्यान नहीं
छात्राओं का कहना है कि हॉस्टल के एक कमरे में लगभग 6 छात्राएं रह रही हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. मेस में मुहैया कराए जाने वाले खाने में भी किसी तरह की भी सुरक्षा के मानकों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. इसीलिए नर्सिंग की छात्राएं ने रिम्स प्रबंधन से मांग की है कि उन्हें कुछ दिनों के लिए घर जाने की अनुमति दी जाए. हॉस्टल में रह रही नर्सिंग की छात्राओं ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव नितिन मदन कुलकर्णी और रांची के उपायुक्त राय महिमापत रे की ओर से छात्रों को घर भेजने के सभी व्यवस्था कर दिए गए हैं सिर्फ प्रबंधन की अनुमति की जरूरत है लेकिन प्रबंधन की ओर से अनुमति नहीं दी जा रही है. छात्राओं ने कहा कि हॉस्टल के अंदर रहकर वे ऑनलाइन क्लास कर रही हैं जो कि घरों पर भी किया जा सकता है. वहीं उन्होंने कहा कि कोविड 19 के संक्रमण के दौर में वे न तो मरीजों की सेवा कर पा रही हैं और न ही उन्हें किसी तरह की फिलहाल ट्रेनिंग दी जा रही है. ऐसे में हम अपने घर से रहकर ऑनलाइन क्लास कर सकती हैं.
प्रबंधन ने कहा नहीं भेजने के कई कारण
नर्सिंग की छात्राओं ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि हॉस्टल में रहकर उन्हें संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है. इसीलिए उन्होने अपने घर जाने की मांग प्रबंधन से की. लेकिन प्रबंधन अपने बेवजह जिद के कारण घर जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. वहीं रिम्स प्रबंधन का कहना है कि महामारी के दौर में छात्राओं को घर नहीं भेजा जा सकता है. नर्सिंग हॉस्टल की इंचार्ज प्रभा डे का कहना है कि महामारी के इस दौर में नर्सिंग की छात्राओं को घर नहीं भेजने का निर्णय प्रबंधन की ओर से कई कारणों को देख कर लिया जा रहा है. हालांकि उन्होंने किसी भी कारण को मीडिया से अब तक साझा नहीं किया. अब यह देखना होगा रिम्स प्रबंधन और नर्सिंग हॉस्टल में रह रही छात्राओं के बीच में हुए इस विवाद में क्या समाधान निकाला जाता है.