रांचीः झारखंड में राज्य के गौसेवा आयोग से निबंधित 21 गौशालाएं हैं तो कुल 25 गौशालाएं गौशाला न्यास के तहत चलाएं जा रहे हैं. लेकिन गौ-संवर्धन और गौ-रक्षा के नाम पर खूब होती राजनीति के बीच सच्चाई यह है कि राज्य की गौशालाएं जबरदस्त आर्थिक संकट से जूझ रही हैं. यहां रहने वाली गायों का दाना पानी अब दाताओं के दान पर निर्भर हो रहा है.
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राज्य के ज्यादातर गौशालाओं की यह स्थिति तब है जब सरकार ने अभी हाल के दिनों में यह घोषणा की है कि अब 50 रुपये प्रतिदिन की जगह 100 प्रतिदिन रुपये उन गाय के दाना चारा के लिए सरकार देगी, जिसे पशु तस्करों से प्रशासन ने बचाकर गौशाला को सौंपा है. सरकार की इस घोषणा के एक सप्ताह बाद तक जहां इसका नोटिफिकेशन अभी तक जारी नहीं हुआ है. वहीं दूसरी ओर मार्च से लेकर अभी तक यानी लगभग नौ महीने से पशुपालन विभाग और Jharkhand State Cow Service Commission से एक रुपये की भी राशि पशुओं के चारा के लिए नहीं दिया गया है.
उन्होंने कहा कि बैंक खाते की जगह पीएल एकाउंट में राशि जमा होने, गौशालाओं की ओर से उपयोगिता प्रमाण पत्र देने में विलंब और जमा किए विपत्र में कुछ खामियों के चलते ऐसा होता है. झारखंड राज्य गौ सेवा आयोग की निबंधक ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष का अनुदान की राशि अभी प्राप्त हुई है, जिसे गौशाला तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
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क्या कहते हैं विभागीय मंत्री
अनुदान के अभाव में राज्य की गौशालाओं की खस्ताहाल स्थिति का सीधा असर गौशाला में रह रही गायों के आहार और पोषण पर पड़ रहा है. Etv Bharat ने राज्य की गौशालाओं की आर्थिक तंगी और सरकार की ओर से मिलने वाली अनुदान राशि समय पर उपलब्ध हो इसकी व्यवस्था को लेकर कृषि मंत्री से सवाल किया. मंत्री ने बताया कि जो भी बकाया है उसका भुगतान सरकार करेगी.
मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि वो इसको लेकर पूरी तरह संवेदनशील हैं और हेमंत सरकार सजग है. इसलिए ना सिर्फ गौशाला बल्कि निजी पशुपालक भी अगर रेस्क्यू में बचाए पशु का पालन डीसी की अनुशंसा पर करते हैं तो उनको भी अनुदान दिया जाएगा. पशु तस्करों से बचाए गए गौ वंशीय पशुओं के चारा 100 प्रतिदिन एक वर्ष तक करने के लिए सरकार पूरी तरह संवेदनशील है.