रांचीः झारखंड के परिवहन विभाग में एक बड़े धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. ट्रांसपोर्टरों की ओर से जमा किया गया पैसा सरकार के खजाने में गया ही नहीं और उनके अकाउंट से पैसे भी कट गए. यह मामला लाख-दो लाख रुपये का नहीं है, बल्कि करोड़ों का है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह हेरफेर लगभग 5 करोड़ के आसपास का है. इसमें विभागीय लापरवाही कहां हुई और ट्रांसपोर्टरों से कहां चूक हुई है. इसकी जांच शुरू कर दी गई है.
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एप के जरिए जमा किया गया पैसा सरकार के खाते में गया, सुविधा केंद्र से जमा पैसे गायब: ट्रांसपोर्ट विभाग ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ साथ दूसरे बैंकों को पत्र भेजकर पूछा है कि ट्रांसपोर्टरों के जिस अकाउंट से पैसा कटा है, वह पैसा किस अकाउंट में गया है. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि जो पैसा सीधे ऐप से सरकार के खाते में भेजा गया, वह पैसा तो सरकार के खाते में जमा हुआ. लेकिन जो पैसा सुविधा केंद्रों के माध्यम से जमा किया गया, वह पैसा सरकार के खाते में नहीं पहुंचा. यहीं से लगभग 5 करोड़ की धोखाधड़ी कर ली गई है.
इस मामले की जानकारी तब हुई, जब ट्रांसपोर्टरों को दूसरे क्वार्टर का टैक्स जमा करने के लिए नोटिस पहुंचा. इस नोटिस में पहले क्वार्टर का पैसा नहीं जमा करने का मामला भी दिया गया. इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए झारखंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अरुण कुमार ने बताया कि झारखंड में 3904 वाहनों का पैसा सरकार के खजाने में जमा नहीं हुआ है. यह परिवहन विभाग द्वारा कहा जा रहा है. लेकिन जिन लोगों ने पैसा जमा किया है, उनके पास पूरा पैसा जमा करने की रसीद है. अरुण कुमार ने बताया कि 3400 रुपये टैक्स के रूप में सरकार के खाते में जमा करने थे, जिसे गाड़ी मालिकों ने जमा भी कर दिया. लेकिन सरकार की तरफ से यह बताया जा रहा है कि सरकार के खजाने में सिर्फ 34 रुपये पहुंचे हैं. जबकि जिन लोगों ने पैसा जमा किया है, उन्हें 3400 रुपये की रसीद मिली है. ऐसा एक नहीं, बल्कि कई गाड़ी मालिक हैं. इन लोगों ने इस रसीद को पदाधिकारियों के सामने रखा है और बताया है कुछ लोगों ने पूरा पैसा जमा किया और उसका साक्ष्य यह रसीद है. लेकिन विभाग द्वारा यह कहा जा रहा है कि उन्हें सिर्फ 34 रुपये मिले हैं. इस बात को लेकर 3904 वाहन मालिकों से फिर से ट्रांसपोर्ट विभाग पैसे मांग रही है. पहले क्वार्टर का भी टैक्स जमा करने का आदेश दिया गया है, जिससे सभी वाहन मालिक परेशान हैं. इसकी वजह है कि पैसा जमा किया. लेकिन पैसा सरकार के खाते में गया नहीं.
इस मामले में ट्रांसपोर्टरों की परेशानी तब बढ़ गई, जब झारखंड के परिवहन आयुक्त ने अपने पत्रांक संख्या 28/2016/603 date 25 may 2022 के माध्यम से सभी जिला परिवहन पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि 3904 वाहन मालिकों ने अपने पहले क्वार्टर का टैक्स नहीं जमा किया है, उनसे टैक्स की राशि जमा करवाया जाये. अन्यथा ऐसी गाड़ियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाए. वाहन मालिकों को इस बात की जानकारी मिली तो उनके पैर ने नीचे की जमीन ही खिसक गई. इसकी वजह है कि सभी वाहन मालिकों ने अपना पैसा जमा कर दिया था. इसको लेकर क्षेत्रीय स्तर पर पदाधिकारियों से बात की. लेकिन पदाधिकारियों की ओर से एक ही जवाब दिया जाता रहा कि पैसा जमा कर दीजिए, अन्यथा गाड़ी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाएगा.
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ट्रांसपोर्ट विभाग को आने वाला पैसा वित्त विभाग के माध्यम से आता है और यह पैसा सरकार के सॉफ्टवेयर के तहत की जमा होता है. वित्त विभाग के सॉफ्टवेयर से यह पैसा ट्रांसपोर्ट विभाग को लगभग 15 दिन के बाद जाता है. इसलिए इस विषय पर ध्यान भी नहीं दिया गया. क्योंकि जिन लोगों से बात की जा रही थी, उन्होंने रसीद दिखाया था. लेकिन जब इस पूरे मामले की पड़ताल की गई तो पता चला कि सरकार के पास पूरे पैसे ही नहीं जमा हुए हैं. दरअसल वाहन मालिकों ने 3400 रुपये सरकार के खाते में ट्रांसफर किए, जिसकी रसीद दिखा रहे हैं. लेकिन सरकार के खाते में सिर्फ 34 रुपये पहुंचे. विभागीय पड़ताल में यह बात जरूर सामने आई है कि जिन लोगों ने रसीद दिखाई है, उनके खाते से पैसा निकल गया है. लेकिन यह पैसा सरकार के खजाने में नहीं पहुंचा. इसे लेकर सरकार की ओर से जांच के आदेश दिए गए हैं.
विभागीय अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार यह गड़बड़ी सामने आई है और इसको लेकर जांच की जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने अपने ऐप के माध्यम से पैसे दिए या फिर सीधे खाते में पैसा डाला है. उन सभी लोगों के पैसे विभाग को मिल गये हैं. लेकिन जिन लोगों ने जन सुविधा केंद्र के माध्यम से पैसा जमा किये हैं, उसका पैसा विभाग को नहीं मिला. उन्होंने कहा कि जिन लोगों के पैसे विभाग को प्राप्त नहीं हुए, उन लोगों ने साइबर कैफे या जन सुविधा केंद्र के माध्यम से पैसे जमा कराये हैं. उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज कराई जायेगी.