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1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार बनाना बेबुनियाद, मधु कोड़ा ने सीएम को पत्र के जरिए भेजा सुझाव

पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखी हैं. पूर्व सीएम ने अपने पत्र में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति (1932 Khatian Based domicile Policy) से 1932 हटाने की मांग की है.

Former CM Madhu Koda
पूर्व सीएम मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात का नहीं मिला समय
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Published : Sep 19, 2022, 3:52 PM IST

Updated : Sep 19, 2022, 5:25 PM IST

रांचीः पूर्व सीएम मधु कोड़ा 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति (1932 Khatian Based domicile Policy) पर विरोध जता चुके हैं. पूर्व सीएम ने मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए समय मांगी थी, लेकिन समय नहीं मिला. इसके बाद मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्थानीय नीति पर अपना सुझाव दिया है. उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा है कि स्थानीय नीति सिर्फ खतियान आधारित होना चाहिए. उन्होंने पत्र में यह भी जिक्र किया है कि मुलाकात के लिए समय मांगा. लेकिन आपकी व्यस्तता की वजह से समय नहीं मिला. इसके बाद पत्र लिखा हूं.

यह भी पढ़ेंः Video: स्थानीय नीति पर हेमंत कैबिनेट के फैसले पर दुमका में जश्न

पूर्व सीएम ने अपने पत्र में कहा है कि स्थानीयता को परिभाषित करते हुए जो प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है. उसमें यह लिखा गया है कि जो झारखंड राज्य के भौगोलिक सीमा में निवास करता हो और स्वयं अथवा उसके पूर्वज का नाम 1932 या उसके पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो. दूसरा यह कि भूमिहीन के मामले में उसकी पहचान संबंधित ग्राम सभा द्वारा की जायेगी, जो झारखंड में प्रचलित भाषा, रहन सहन, वेश-भूषा, संस्कृति और परंपरा पर आधारित होगी.

Former CM Madhu Koda
पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र
Former CM Madhu Koda
पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र

उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव में वर्णित स्थानीयता का आधार 1932 का खतियान माना गया है. इससे कोल्हान प्रमंडल के सभी जिलों में रहने वाले लोग इस परिधि से बाहर हो जायेंगे. कोल्हान प्रमंडल के लोगों के पास सर्वे सेटलमेंट 1934, 1958, 1964-65 और 1970-72 आदि का जमीन पट्टा और खतीयान धारक हैं. इससे पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला के लाखों लोग स्थानीयता से मिलने वाले लाभ से वंचित हो जायेंगे.

मधु कोड़ा ने अपने पत्र में हेमंत सोरेन से 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति की जगह केवल खतियान आधारित स्थानीयता को दर्ज किये जाने की मांग की है. ग्रामसभा को संवैधानिक अधिनियमित नियम रूप से ग्राम सभा की कृत्य शक्ति, कर्तव्यों और जिम्मेदारी को सुस्पष्ट परिभाषित करने की भी मांग की है.

रांचीः पूर्व सीएम मधु कोड़ा 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति (1932 Khatian Based domicile Policy) पर विरोध जता चुके हैं. पूर्व सीएम ने मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए समय मांगी थी, लेकिन समय नहीं मिला. इसके बाद मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्थानीय नीति पर अपना सुझाव दिया है. उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा है कि स्थानीय नीति सिर्फ खतियान आधारित होना चाहिए. उन्होंने पत्र में यह भी जिक्र किया है कि मुलाकात के लिए समय मांगा. लेकिन आपकी व्यस्तता की वजह से समय नहीं मिला. इसके बाद पत्र लिखा हूं.

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पूर्व सीएम ने अपने पत्र में कहा है कि स्थानीयता को परिभाषित करते हुए जो प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है. उसमें यह लिखा गया है कि जो झारखंड राज्य के भौगोलिक सीमा में निवास करता हो और स्वयं अथवा उसके पूर्वज का नाम 1932 या उसके पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो. दूसरा यह कि भूमिहीन के मामले में उसकी पहचान संबंधित ग्राम सभा द्वारा की जायेगी, जो झारखंड में प्रचलित भाषा, रहन सहन, वेश-भूषा, संस्कृति और परंपरा पर आधारित होगी.

Former CM Madhu Koda
पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र
Former CM Madhu Koda
पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र

उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव में वर्णित स्थानीयता का आधार 1932 का खतियान माना गया है. इससे कोल्हान प्रमंडल के सभी जिलों में रहने वाले लोग इस परिधि से बाहर हो जायेंगे. कोल्हान प्रमंडल के लोगों के पास सर्वे सेटलमेंट 1934, 1958, 1964-65 और 1970-72 आदि का जमीन पट्टा और खतीयान धारक हैं. इससे पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला के लाखों लोग स्थानीयता से मिलने वाले लाभ से वंचित हो जायेंगे.

मधु कोड़ा ने अपने पत्र में हेमंत सोरेन से 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति की जगह केवल खतियान आधारित स्थानीयता को दर्ज किये जाने की मांग की है. ग्रामसभा को संवैधानिक अधिनियमित नियम रूप से ग्राम सभा की कृत्य शक्ति, कर्तव्यों और जिम्मेदारी को सुस्पष्ट परिभाषित करने की भी मांग की है.

Last Updated : Sep 19, 2022, 5:25 PM IST
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