रांची: राजधानी में गर्मी की शुरुआत के पहले ही अगलगी की घटनाएं लगतार हो रही हैं. पिछले 3 दिनों में 5 जगहों पर आग लगने की वजह से लाखों का नुकसान हुआ है. अगलगी की घटनाएं वैसे इलाकों में ज्यादा हुई है, जहां गलियां संकरी हैं. वहां अग्निशमन विभाग के वाहन पहुंचने से पहले ही लाखों की संपत्ति जलकर स्वाहा हो गई. गर्मी के पहले ही अगलगी की घटनाओं को देखते हुए अग्निशमन विभाग ने आम लोगों से सतर्कता बरतने की अपील की है साथ ही जरूरी हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं.
लगतार हो रही अगलगी की घटनाएं
पिछले तीन दिनों में रांची के मेन रोड, बहू बाजार, अपर बाजार, चुटिया और गाड़ीखाना में अगलगी की घटनाओं से आम लोग दहशत में हैं. मेन रोड में आग लगने की वजह से तीन दुकानें जलकर राख हो गई. वहीं बहू बाजार में आग लगने की वजह से इंडियन बैंक बाल-बाल बचा. वहीं चुटिया इलाके में आग लगने की वजह से फास्ट फूड का एक पूरा काउंटर ही जलकर राख हो गया.
इन घटनाओं से इंगित हो रहा कि गर्मी शुरू होने से पहले ही राजधानी में आग का खतरा मंडराने लगा है. सबसे खतरे की बात तो यह है कि जिन-जिन इलाकों में आग लगी है, वहां फायर सेफ्टी के कोई भी उपाय नहीं थे, जिसकी वजह से शुरुआत में आग को काबू नहीं किया जा सका और लाखों का नुकसान दुकान मालिकों को उठाना पड़ा. स्टेट फायर ऑफिसर बंधु उरांव की माने तो लगातार हो रही अगलगी की वारदातों को देखते हुए कंट्रोल रूम के चार नंबर आम लोगों के लिए जारी किए गए हैं, ताकि वह सही समय पर सूचना दे सकें.
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नियमों की अनदेखी कर हुए निर्माण, बने खतरा
राजधानी रांची में दिनों दिन बढ़ती आबादी और नियमों को दरकिनार कर शहर की तंग गलियों में बहुमंजिला इमारत के निर्माण ने आम लोगों को खतरे में डाल दिया है. राजधानी रांची की तंग गलियों में कई जगह बड़ी बड़ी बिल्डिंग में बना दी गई है. अगर वहां आग लग गई तो फिर किसी भी तरह की फायर फाइटिंग सिस्टम वहां काम नहीं करेगा. नतीजा अगर इस तरह की वारदात हो जाती है, तो बड़ा हादसा हो सकता है. हालांकि इस मामले को लेकर कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है, यहां तक कि वह दुकानदार भी जिनके व्यापारिक प्रतिष्ठान आग के मुहाने पर खड़े हैं, लेकिन वह भी इस खतरे से अपने आपको अंजान बना रहे हैं.
अपर बाजार के हालात सबसे चिंताजनक
राजधानी रांची का सबसे बड़ा व्यापार का केंद्र अपर बाजार सबसे खतरनाक स्थिति में है. इस इलाके में प्रतिदिन 10 करोड़ से अधिक का कारोबार होता है, लेकिन कभी यहां अगर अगलगी की घटना घट जाए तो तंग गलियों में दमकल नहीं पहुंच सकेगा. उस दौरान अगलगी में नुकसान होगा, उसका अनुमान लगाने भर से ही कई लोगों को दिल का दौरा पड़ सकता है.
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आम लोगों को सचेत रहने की जरूरत
उधर, झारखंड अग्निशमन विभाग की माने तो आम लोगों को भी सचेत रहना होगा. वैसे अग्निशमन विभाग के भरोसे नहीं रह सकते हैं, जरूरत है कि हर व्यापारिक प्रतिष्ठान और घर में फायर सेफ्टी के इंतजाम हो, ताकि आग पर शुरुआत में ही काबू पाया जा सके. अगर फायर सेफ्टी के इंतजाम आम लोगों के पास होंगे तो वे शुरुआत में आग पर काबू पाने की कोशिश करेंगे. तब तक अग्निशमन विभाग का दस्ता भी मौके पर पहुंच जाएगा, जिससे नुकसान बहुत कम होगा.
काम नहीं करता डायल 101
लेकिन सबसे बड़े खतरे की बात तो यह है कि अग्निशमन विभाग का इमरजेंसी नंबर डायल 101 भी कई महीनों से ठप पड़ा है. इस नंबर पर कॉल करने पर नॉट रिचेबल की सूचना आती है, ऐसे में पुलिस के डायल हंड्रेड के भरोसे से पूरा अग्निशमन विभाग चल रहा है. अगर अगलगी की घटनाओं को त्वरित सूचना देना भी संभव नहीं है, तो आप समझ सकते हैं कि आग की वारदातों से कैसे बचा जा सकता है. हालांकि अग्निशमन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि कई ऐसे नंबर जारी किए गए हैं जिनसे सीधे आग लगने की घटनाओं की जानकारी दी जा सकती है.
आग लगने पर इन नंबरों में करे संपर्क, 100 डायल पर भी दे सकते हैं सूचना
- फायर कंट्रोल रूम डोरंडा- 9304953404
- फायर कंट्रोल ऑड्रे हॉउस- 9304953406
- फायर कंट्रोल पिस्का मोर- 9304953405,
- फायर कंट्रोल धुर्वा- 9304953407
- फायर कंट्रोल सीटीआई धुर्वा- 9304953408